नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) परियोजना को बार-बार मिल रही चुनौतियों के बीच, चीन अब बलूच विद्रोही गुटों से सीधी बातचीत की रणनीति पर विचार कर रहा है। शीर्ष खुफिया सूत्रों के अनुसार, बीजिंग ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ से भी संपर्क किया है। इस परियोजना में 60 अरब डॉलर से अधिक का निवेश हो चुका है, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा बलूचिस्तान में केंद्रित है वही इलाका जहां से लगातार CPEC पर हमले हो रहे हैं।
पाक सेना से भरोसा उठा, अब बलूच समुदाय से सीधा संवाद
CNN-News18 की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन अब पाकिस्तानी सेना को दरकिनार कर बलूच समूहों से सीधे बात करना चाहता है ताकि
CPEC प्रोजेक्ट्स की प्रगति हो सके और बलूचिस्तान में निवेश सुरक्षित रह सके, इसके साथ ही
BRI के साझेदार देशों को सकारात्मक संकेत दिया जा सके।
चीन का मानना है कि बलूचिस्तान के वास्तविक हितधारक बलूच समुदाय ही हैं। पाक सेना पर निर्भरता सिर्फ अविश्वास और असफल वादों की वजह बन रही है।
बलूच विद्रोही CPEC से नाराज़, चीन पर नहीं है भरोसा
हालांकि चीन की यह रणनीति आसान नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बलूच समूहों में चीन को लेकर अविश्वास गहरा है। 2019 में दुबई में हुई एक गुप्त बातचीत विफल हो चुकी है, जिसके बाद से तनाव और बढ़ा है। कुछ बलूच गुट बातचीत को तैयार हैं, जबकि कुछ अभी भी चीन की मंशा को लेकर संदेह में हैं। इनके बीच स्वायत्ता, राजस्व बंटवारा और सैन्य कार्रवाई बंद करने जैसे मुद्दों को लेकर मतभेद हैं।
स्थानीयों में नाराजगी, राजस्व वितरण बना तनाव का कारण
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चीन CPEC मार्गों पर पुलिस चौकियों की स्थापना में दिलचस्पी दिखा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों में विरोध बढ़ा है। ग्वादर बंदरगाह से मिलने वाला 91 प्रतिशत राजस्व चीन के हिस्से में जाता है, जबकि स्थानीय समुदायों को बहुत कम मिलता है। इन सभी कारणों से बलूचिस्तान में असंतोष गहरा रहा है।
क्या बलूच विद्रोहियों से बातचीत CPEC को बचा पाएगी?
CPEC चीन की Belt and Road Initiative (BRI) का अहम हिस्सा है। बलूचिस्तान में विद्रोह और स्थानीय नाराजगी ने इस परियोजना को लगातार चुनौती दी है। अब देखना यह होगा कि क्या चीन की यह सीधी बातचीत की रणनीति CPEC को पटरी पर ला पाएगी, या यह पाकिस्तान और चीन के बीच राजनीतिक तनाव का नया अध्याय बन जाएगा।