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अमेरिका के H-1B Visa को टक्कर देगा चीन का K Visa, जानें किसके लिए खोले दरवाजे?

अमेरिका के H-1B वीजा की फीस बढ़ने के बाद चीन ने स्टेम टैलेंट को आकर्षित करने के लिए के वीजा लॉन्च किया है। यह नया वीजा 1 अक्टूबर से लागू होगा और इसे H-1B का सस्ता और आसान विकल्प माना जा रहा है। लाखों भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए चीन एक नया अवसर बन सकता है।

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Ajit Kumar Pandey
अमेरिका के H-1B Visa को टक्कर देगा चीन का K Visa, जानें किसके लिए खोले दरवाजे? | यंग भारत न्यूज

अमेरिका के H-1B Visa को टक्कर देगा चीन का K Visa, जानें किसके लिए खोले दरवाजे? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । अमेरिका में H-1B वीजा की फीस में भारी बढ़ोतरी के बाद, चीन ने एक बड़ा दांव खेला है। उसने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित क्षेत्र के टैलेंट को आकर्षित करने के लिए 'K वीजा' की शुरुआत की है। यह नया वीजा 1 अक्टूबर, 2025 से लागू होगा। इस कदम को अमेरिका के H-1B वीजा को सीधी टक्कर देने के तौर पर देखा जा रहा है। 

क्या यह वीजा उन लाखों भारतीयों के लिए एक नया और सुनहरा विकल्प बन सकता है जो अमेरिका जाने का सपना देखते हैं? 

अमेरिका की बढ़ी फीस, चीन की खुली बाहें 

हाल ही में, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा की फीस को 6 लाख से बढ़ाकर 88 लाख रुपये कर दिया, जिससे दुनियाभर के पेशेवर, खासकर भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स, चिंता में पड़ गए। इस मुश्किल घड़ी में चीन एक बड़ा विकल्प बनकर उभरा है। 

चीन ने युवा और प्रतिभाशाली विदेशी पेशेवरों को लुभाने के लिए 'K वीजा' नामक एक नई श्रेणी शुरू की है, जिसे कई लोग 'चीनी H-1B' कह रहे हैं। यह कदम चीन को ग्लोबल टैलेंट हब बनाने की उसकी महत्वाकांक्षा का हिस्सा है। 

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क्या है K वीजा और किसके लिए है यह? 

चीन का के वीजा खास तौर पर उन युवाओं के लिए है जिन्होंने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्रों में डिग्री हासिल की है। यह वीजा उन ग्रेजुएट्स के लिए है जिन्होंने मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों या अनुसंधान संस्थानों से कम से कम बैचलर डिग्री ली हो। 

चीन का मकसद उन उच्च-कुशल पेशेवरों को अपनी ओर खींचना है जो दुनिया भर में अवसरों की तलाश में हैं। इस वीजा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाता है। आवेदकों को अब किसी चीनी कंपनी या स्थानीय स्पॉन्सर की जरूरत नहीं होगी, जो पहले एक बड़ी बाधा थी। इसके बजाय, अब पात्रता आपकी शिक्षा, अनुभव और उम्र पर आधारित होगी। 

H-1B से कैसे अलग है चीन का K वीजा? 

चीन का K वीजा कई मायनों में अमेरिका के H-1B वीजा से अलग है, और शायद बेहतर भी। 

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कम लागत और तेज प्रक्रिया: जहां H-1B वीजा की फीस आसमान छू रही है, वहीं के वीजा तेज और कम खर्चीला माना जा रहा है। 

आसान शर्तें: H-1B वीजा में कड़ी शर्तें और लंबा इंतजार होता है, जबकि के वीजा में प्रक्रिया आसान है और इसमें स्थानीय काम की अनिवार्यता नहीं है। 

ग्लोबल टैलेंट पर फोकस: के वीजा का मुख्य मकसद सिर्फ रोजगार देना नहीं, बल्कि देश में रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देना है, जिससे चीन की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले। 

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क्या भारत के लिए यह एक मौका है? 

भारत, स्टेम टैलेंट का एक बड़ा केंद्र है। हर साल लाखों इंजीनियर, वैज्ञानिक और तकनीशियन निकलते हैं। अमेरिका के सख्त वीजा नियमों और महंगी फीस से परेशान होकर अब कई भारतीय पेशेवर एक वैकल्पिक मार्ग की तलाश में हैं। 

चीन का के वीजा उनके लिए एक आकर्षक विकल्प बन सकता है। चीन की सरकार को उम्मीद है कि इस वीजा के जरिए वो अमेरिका से हजारों प्रतिभाशाली प्रोफेशनल्स को अपनी ओर खींच सकेंगे। अगर यह योजना सफल होती है, तो यह वैश्विक टैलेंट मार्केट में एक बड़ा बदलाव ला सकता है और चीन को एक नए टेक और रिसर्च पावरहाउस के रूप में स्थापित कर सकता है। 

चीन पहले से ही 75 देशों के साथ वीजा-मुक्त यात्रा समझौते कर चुका है। इस नए के वीजा से वह विदेशी नागरिकों की संख्या को तेजी से बढ़ाना चाहता है। 2025 की पहली छमाही में ही चीन में 3.8 करोड़ विदेशी यात्राएं दर्ज की गईं, जिनमें से 1.36 करोड़ वीजा-मुक्त थीं। 

यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में 53% अधिक है। यह दिखाता है कि चीन अपनी सीमाओं को विदेशियों के लिए तेजी से खोल रहा है। चीन का के वीजा सिर्फ एक वीजा नहीं, बल्कि वैश्विक टैलेंट वॉर का एक अहम हिस्सा है। यह एक ऐसा कदम है जो अमेरिका की सालों से चली आ रही H-1B वीजा नीति को चुनौती देता है। 

क्या यह लाखों प्रोफेशनल्स का ध्यान अमेरिका से हटाकर चीन की ओर मोड़ पाएगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन एक बात साफ है, चीन ने दुनिया को दिखा दिया है कि वह आर्थिक और तकनीकी महाशक्ति बनने की दौड़ में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता।

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