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US से दक्षिण कोरिया के 316 श्रमिकों की रिहाई, क्या है पूरा मामला? | यंग भारत न्यूज Photograph: (IANS)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । अमेरिका में एक हफ्ते तक चले तनाव और कूटनीतिक प्रयासों के बाद आखिरकार वो पल आ ही गया जब 316 से ज़्यादा दक्षिण कोरियाई श्रमिकों को रिहा कर दिया गया। ये वो कामगार थे जिन्हें पिछले हफ्ते जॉर्जिया में एक हुंडई-एलजी बैटरी प्लांट के निर्माण स्थल पर आव्रजन अधिकारियों ने हिरासत में ले लिया था। उनकी रिहाई से दक्षिण कोरिया ने राहत की सांस ली है।
इस घटना ने दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को लेकर जारी बातचीत के बीच एक अप्रत्याशित तनाव पैदा कर दिया था।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, जॉर्जिया में हुंडई मोटर ग्रुप और एलजी एनर्जी सॉल्यूशन के संयुक्त उद्यम द्वारा बनाए जा रहे एक इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी प्लांट पर छापे से सब कुछ बदल गया।
यह छापा इतना बड़ा था कि इसे "होमलैंड सुरक्षा जांच के इतिहास में सबसे बड़ा एकल स्थल प्रवर्तन अभियान" कहा गया। इस दौरान कुल 475 लोग गिरफ्तार किए गए, जिनमें से ज़्यादातर दक्षिण कोरियाई थे।
इन श्रमिकों को अल्पकालिक या घूमने फिरने वाले वीजा पर अमेरिका में काम करते हुए पाया गया था, जो कि नियमों के ख़िलाफ़ है। लेकिन, इस छापे ने केवल कानूनी प्रक्रिया को ही नहीं, बल्कि भावनाओं को भी हिला दिया। हथकड़ी और जंजीरों में बंधे कोरियाई लोगों के वीडियो फुटेज ने दक्षिण कोरिया में सदमा, गुस्सा और विश्वासघात की भावना पैदा कर दी।
कूटनीति का काम, ट्रंप का दखल
जैसे ही यह खबर सोल तक पहुंची दक्षिण कोरिया की सरकार तुरंत हरकत में आ गई। विदेश मंत्री चो ह्यून समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों ने तुरंत अमेरिका से संपर्क साधा। वाशिंगटन स्थित कोरियाई दूतावास की एक टीम ने हिरासत केंद्रों में जाकर श्रमिकों को हर संभव सहायता दी। उनके कूटनीतिक प्रयासों का असर तब दिखा, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद इस मामले में दखल दिया।
ट्रंप ने कहा कि वह अमेरिका में निवेश कर रही विदेशी कंपनियों को अपने "स्मार्ट" लोगों को लाने के लिए कानूनी रास्ते खोजने में मदद करेंगे। उनका यह बयान कोरियाई कामगारों की रिहाई की दिशा में एक बड़ा कदम था।
ट्रंप का प्रशासन अमेरिका के जहाज निर्माण, चिप निर्माण और ऑटोमोटिव जैसे उद्योगों को फिर से खड़ा करने के लिए कोरियाई कंपनियों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहता है और यह छापा उनके इस लक्ष्य के आड़े आ रहा था।
एक हफ्ते की नजरबंदी ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंग पर भी गहरा असर डाला। उन्होंने सार्वजनिक रूप से इस घटना की जिम्मेदारी ली और अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया। अब दोनों देशों के बीच श्रमिकों के लिए एक नई वीजा श्रेणी बनाने पर चर्चा शुरू हो गई है।
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