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US के पूर्व NSA जॉन बोल्टन का भारत-अमेरिकी संबध पर चौंकाने वाला खुलासा | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ दशकों पुरानी साझेदारी को तहस-नहस कर दिया। बोल्टन का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका और भारत के संबंध नई ऊंचाइयों पर हैं। उन्होंने दावा किया कि ट्रंप की नीतियों ने भारत को रूस और चीन के करीब जाने पर मजबूर किया।
जॉन बोल्टन ने हाल ही में स्काई न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में यह कहकर सनसनी फैला दी कि डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में अमेरिका ने भारत के साथ अपने संबंधों को बिगाड़ दिया। उनका कहना है कि दशकों से अमेरिका भारत को सोवियत संघ और रूस से दूर करने की कोशिश कर रहा था, खासकर हथियारों की खरीद के मामले में। लेकिन ट्रंप की नीतियों ने इस प्रयास पर पानी फेर दिया।
पूर्व एनएसए जॉन बोल्टन ने बताया कि ट्रंप प्रशासन की अचानक व्यापार वार्ताओं को रोकने और भारत पर टैरिफ लगाने जैसी हरकतों ने भारत को नाराज कर दिया। उन्होंने कहा कि भारत सोच रहा था कि वह ट्रंप के साथ व्यापार समझौता कर सकता है, लेकिन ट्रंप ने ऐसा नहीं किया, बल्कि उल्टा 25 फीसदी टैरिफ लगा दिया।
कश्मीर विवाद और ट्रंप का 'शांति दूत' बनना
बोल्टन ने दावा किया कि ट्रंप ने कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव का पूरा श्रेय खुद लेने की कोशिश की। उन्होंने कहा, "जब कश्मीर में तनाव बढ़ा और फिर शांत हुआ, तो ट्रंप ने इसका पूरा श्रेय लेते हुए कहा कि उन्होंने छह-सात युद्ध रोके हैं और उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए।" बोल्टन ने कहा कि ट्रंप की इस हरकत से भारत बहुत नाराज था।
भारत को रूस और चीन के पास धकेला
पूर्व एनएसए जॉन बोल्टन के अनुसार, अमेरिका दशकों से भारत को चीन के खतरे से आगाह कर रहा था और इसी के तहत जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ मिलकर एशियाई सुरक्षा चतुर्भुज क्वॉड बनाया गया। लेकिन ट्रंप की नीतियों ने भारत को एक बार फिर से रूस और चीन के पास जाने पर मजबूर कर दिया। बोल्टन का यह कहना इसलिए भी अहम है क्योंकि हाल के वर्षों में भारत ने अमेरिका से रक्षा खरीद बढ़ाई है और दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग भी मजबूत हुआ है।
बोल्टन खुद भी हैं जांच के घेरे में
दिलचस्प बात यह है कि जॉन बोल्टन का यह बयान ऐसे समय आया है जब वह खुद अमेरिकी सरकार की जांच का सामना कर रहे हैं। हाल ही में उनके घर और दफ्तर पर गोपनीय दस्तावेज रखने के आरोप में छापेमारी की गई थी। इस छापेमारी को लेकर बोल्टन ने कहा है कि यह उन्हें चुप कराने की कोशिश है।
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