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Explain: बगैर Uranium के इजरायल ने कैसे बना लिए 90 एटम बम

सवाल ये है कि इजरायल में तो यूरेनियम मिलता ही नहीं है। फिर आखिर 90 एटम बम बनाने में वो कैसे कामयाब हो गया। इजराइल ने कभी भी अपने देश में परमाणु परीक्षण नहीं किया।

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Shailendra Gautam
ईरान-इजरायल के बीच फंसी डिप्लोमैसी की डोर! तेल — ट्रेड और तटस्थता — तीनों को एक साथ साधेगा भारत? | यंग भारत न्यूज

ईरान-इजरायल के बीच फंसी डिप्लोमैसी की डोर! तेल—ट्रेड और तटस्थता—तीनों को एक साथ साधेगा भारत? | यंग भारत न्यूज

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः ईरान को एक झटके में इजरायल ने जिस तरह से झकझोरा उससे दुनिया भर में उसकी साख काफी ऊपर हुई है। अमेरिकी फाइटर जेट जब ईरान पहुंचे तो उससे पहले ही इजरायल उनका बड़ा नुकसान कर चुका था। एक नरसंहार की राख से पैदा हुए यहूदी राज्य ने दिखा दिया कि छोटा होने के बावजूद भी वो कितना खतरनाक है। हालांकि ईरान से लड़ाई में इजरायल ने पूरी ताकत नहीं दिखाई। नहीं तो ईरान दुनिया के नक्शे से भी गायब हो जाता। उसके पास 90 एटम बम बताए जाते हैं। लेकिन सवाल ये है कि इजरायल में तो यूरेनियम मिलता ही नहीं है। फिर आखिर 90 एटम बम बनाने में वो कैसे कामयाब हो गया। इजराइल इसलिए भी अलग है क्योंकि इसने कभी भी अपने देश में परमाणु परीक्षण नहीं किया।

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1956 के स्वेज संकट के बाद फ्रांस के नजदीक आया इजरायल 

इसमें कोई शक नहीं कि इजरायल अपने जन्म से ही लड़ाका था। इसी तेवर के चलते उसके भीतर इच्छा जागी कि एटम बम बनाया जाए। इसी वजह से 1952 में इजराइल परमाणु ऊर्जा आयोग (IAEC) को बनाया गया। इसके चीफ अर्नस्ट डेविड बर्गमैन ने घोषणा की थी कि एक परमाणु बम यह सुनिश्चित करेगा कि यहूदियों को कभी भी वध के लिए भेड़ की तरह नहीं ले जाया जाएगा। इजराइल का IAEC गुप्त रूप से स्थापित किया गया था।

यूरेनियम की खोज शुरू कर दी गई थी। इसने विदेश से यहूदी वैज्ञानिकों की भर्ती की। अकादमिक संबंध से अपने परमाणु कार्यक्रम के लिए तकनीकी और वैचारिक आधार तैयार किया। लेकिन यह 1956 का स्वेज संकट था जिसने इजराइल की महत्वाकांक्षा को हकीकत में तब्दील कर दिया। स्वेज संकट के दौरान फ्रांस, मिस्र के संयुक्त आक्रमण में इजराइल की भूमिका थी। फ्रांस इसके लिए उसका आभारी था। एक गुप्त समझौते में फ्रांस ने इजरायल को रिएक्टर बनाने के लिए परमाणु जानकारी, सामग्री और उपकरण प्रदान किए। फ्रांसीसी इंजीनियरों ने नेगेव रेगिस्तान में डिमोना में सुविधा को डिजाइन और निर्माण करने में मदद की। वैसे तो यह एक रिसर्च सेंटर था, लेकिन इसमें एक भूमिगत प्लूटोनियम सिस्टम था।

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अमेरिका को खटका इजरायल पर निक्सन ने बचा लिया

फ्रांस और इजरायल की दोस्ती अमेरिका की निगाहों में आ गई। यह वही समय था जब अमेरिकी निरीक्षकों को डिमोना में जाने की अनुमति दी गई थी। मुख्य निरीक्षक फ्लॉयड कलर ने दीवारों पर ताजा प्लास्टर की सूचना दी। लेकिन रिचर्ड निक्सन के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी दबाव कम हो गया। 1969 में निक्सन और इजरायली प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर ने एक शांत समझौता किया। इसके तहत इजरायल की ओर से कोई सार्वजनिक परमाणु परीक्षण नहीं होगा, और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए वाशिंगटन की ओर से उस पर कोई दबाव नहीं होगा। 1967 तक इजरायल ने दो या तीन कच्चे परमाणु उपकरण तैयार कर लिए थे। लेकिन ये नाकाफी था। इजरायल के सपनों को पंख तब लगे जब 1960 और 70 के दशक में इजरायल और दक्षिण अफ्रीका के बीच एक गुप्त लेकिन शक्तिशाली गठजोड़ बना। 

इजरायल और दक्षिण अफ्रीका का गठजोड़ हुआ निर्णायक

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इजराइल के पास तकनीक थी लेकिन यूरेनियम की कमी थी। दक्षिण अफ़्रीका के पास यूरेनियम था लेकिन तकनीक नहीं थी। 1962 में दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल को 10 टन येलोकेक यूरेनियम भेजा। 1965 तक इस प्रवाह को एक ऐसे सौदे का रूप दिया गया, जिसने अंतर्राष्ट्रीय निगरानी को चकमा दिया। दशक भर में दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल को चुपचाप 500 टन यूरेनियम इकट्ठा करने में मदद की। बदले में प्रिटोरिया को इजरायली परमाणु तकनीक तक पहुंच मिली। आधिकारिक तौर पर दोनों ने जोर देकर कहा कि उनके परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण थे, लेकिन गुप्त रूप से दोनों ने हथियारों का पीछा किया। 1974 में दक्षिण अफ्रीका ने एक बुनियादी परमाणु उपकरण का परीक्षण भी किया, संभवतः इजरायल की मदद से। तब तक पेलिंडाबा दक्षिण अफ्रीका का मुख्य परमाणु अनुसंधान केंद्र बन गया था। 

अमेरिकी उपग्रह ने रहस्यमयी दोहरी चमक का पता लगाया

सितंबर 1979 को अमेरिकी वेला 6911 उपग्रह ने दक्षिण अफ्रीका के पास दक्षिण अटलांटिक पर एक रहस्यमयी दोहरी चमक का पता लगाया, जिसे परमाणु परीक्षण के संकेत के रूप में देखा गया। किसी भी देश ने जिम्मेदारी नहीं ली, लेकिन संदेह जल्दी ही रंगभेदी दक्षिण अफ्रीका और इजरायल पर गया। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। बम बनाए जा चुके थे। हालांकि दक्षिण अफ्रीका ने 1991 में अपने परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने और परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर करने का निर्णय लिया जबकि यहूदी राष्ट्र ने उन्हें अपने पास रखा।  nuclear threat israel | Israel Nuclear Target | iran israel not present in content

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