/young-bharat-news/media/media_files/2025/06/01/HPbxQpRXixZkOjj0h1Pq.jpg)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत के खिलाफ आग उगल रहे हैं। चाहे मामला अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे भारतीयों को बेड़ियों में जकड़कर वापस भेजने का हो, या फिर टैरिफ का। आपरेशन सिंदूर के बाद भी भारत पाकिस्तान के बीच सीज फायर को लेकर ट्रंप के बयानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख पर बट्टा लगाया। ताजा मामला हालांकि ट्रंप से सीधे तौर पर नहीं जुड़ा है लेकिन अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 1.29 अरब डालर के एक मामले में जिस तरह से यू टर्न लेकर इसरो की कंपनी पर शिकंजा कसा है वो हैरत में डालने वाला है। फैसले पर ट्रंप के असर से इन्कार भी नहीं किया जा सकता, क्योंकि अमेरिका की ही एक दूसरी अदालत इसरो की कंपनी को राहत दी थी। : america | Judiciary
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने अपनी ही निचली कोर्ट के फैसले को पलटा
दरअसल, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि मॉरीशस स्थित सीसी/देवास और भारत स्थित देवास मल्टीमीडिया की तरफ से भारत के एंट्रिक्स कॉरपोरेशन के खिलाफ दायर 1.29 बिलियन डॉलर के Arbitral award enforcement suit को लेकर अमेरिकी अदालतें सुनवाई कर सकती हैं। उसने इस दलील को खारिज कर दिया कि एंट्रिक्स का अमेरिका के साथ ज्यादा लेनादेना नहीं रहा। इस फैसले से अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने नौवीं सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स के 2023 के उस फैसले को पलट दिया, जिसने इस आधार पर मुकदमा खारिज कर दिया था कि एंट्रिक्स एक सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय कंपनी है। उसके पास Foreign Sovereign Immunities Act (FSIA) के तहत व्यक्तिगत अधिकार क्षेत्र का समर्थन करने के लिए अमेरिका के साथ पर्याप्त संबंध नहीं थे।
टाप कोर्ट ने कहा- हम मुकदमे को वापस भेजते हैं
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सैमुअल एलिटो ने कहा कि FSIA के तहत व्यक्तिगत अधिकार क्षेत्र तब मौजूद होता है जब प्रतिरक्षा का अपवाद लागू होता है। नौवें सर्किट को और ज्यादा तथ्यों की जरूरत थी, इसलिए हम नीचे दिए गए फैसले को पलटते हैं और मुकदमे को आगे की कार्यवाही के लिए वापस भेजते हैं। FSIA के तहत प्रत्यक्ष प्रभाव मानक संप्रभु प्रतिरक्षा को हटा देता है, जहां किसी विदेशी राज्य की वाणिज्यिक गतिविधि संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रत्यक्ष प्रभाव डालती है। जस्टिस एलिटो ने कहा कि FSIA को यूएस में विदेशी राज्यों पर मुकदमा चलाने के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करने के लिए लाया गया था। अदालत ने यह भी कहा कि FSIA के प्रतिरक्षा अपवादों के लिए अमेरिका के साथ पर्याप्त संबंध की आवश्यकता होती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने एंट्रिक्स के वैकल्पिक बचावों पर कोई निर्णय नहीं दिया।
जानिए कैसे एक डील बन गई 1.29 अरब डालर का बतंगड़
2005 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की कंपनी एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने बेंगलुरु स्थित कंपनी देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक सौदा किया था। समझौते के तहत एंट्रिक्स को देवास को दो इसरो उपग्रह ट्रांसपोंडर पट्टे पर देने थे, जिससे वह एस-बैंड स्पेक्ट्रम का उपयोग करके पूरे भारत में उपग्रह-आधारित मल्टीमीडिया सेवाएं प्रदान कर सके। 2011 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए एकतरफा समझौते को रद्द कर दिया। इसके कारण देवास ने अनुबंध को गलत तरीके से खत्म करने का आरोप लगाते हुए अंतर्राष्ट्रीय चैंबर ऑफ कॉमर्स (ICC) के समक्ष Arbitral कार्यवाही शुरू की। 2015 में ICC ट्रिब्यूनल ने देवास को 562.5 मिलियन डॉलर का हर्जाना देने का आदेश दिया। इसके अलावा देवास के विदेशी निवेशकों ने भारत के खिलाफ द्विपक्षीय निवेश संधियों (BIT) के तहत दावे शुरू किए, जिसके परिणामस्वरूप उनके पक्ष में अतिरिक्त Arbitral award मिले।
भारतीय अदालतों ने देवास पर कस दिया था शिंकजा
एंट्रिक्स और भारत सरकार ने कहा कि यह सौदा शुरू से जालसाजी वाला था। 2021 में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने देवास को एक फर्जी कंपनी बताते हुए इसके खिलाफ आदेश दिया। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में इस निर्णय को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया कि देवास जालसाज कंपनी है और उसने हेरफेर किया था। 2022 में दिल्ली हाईकोर्ट ने Arbitral award को रद्द कर दिया। कोर्ट ने माना कि देवास-एंट्रिक्स सौदा धोखाधड़ी के इरादे से किया गया था। award को लागू करने की अनुमति देने से धोखाधड़ी को बढ़ावा मिलेगा, ऐसा कुछ जिसे भारतीय कानूनी प्रणाली बर्दाश्त नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट ने इसे बरकरार रखा।
उधर, देवास ने यूएस सहित कई अधिकार क्षेत्रों में award को लागू करने की मांग की। लोअर कोर्ट ने award को मंजूर किया लेकिन नौवें सर्किट की अदालत ने अधिकार क्षेत्र का हवाला देकर फैसले को उलट दिया। अब यूएस सुप्रीम कोर्ट ने जो किया है वो भारत के लिए झटका है। USA, US Supreme Court, $1.29 billion lawsuit,ISRO-owned Antrix, 2005 satellite deal, S-band spectrum allocation