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Explained: सीज फायर होने से अमेरिका, इजरायल और ईरान तीनों को फायदा, जानिए कैसे

ट्रम्प जानते थे कि ईरान की जनता एकजुट दिख रही है। वहां के लोग सरकार के खिलाफ सड़क पर नहीं आए हैं। ये चीज अमेरिका के लिए खतरे की घंटी की तरह से था। यानि ईरान भविष्य में आतंकी हमलों का रास्ता अपना सकता है।

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Shailendra Gautam
Donald Trump, Benjamin Netanyahu and Ayatollah Ali Khamenei

Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कःईरान से 12 दिनों के संघर्ष के बाद आखिरकार अमेरिका और इजरायल सीज फायर को लेकर सहमत हो गए। लड़ाई में जिस नाटकीय अंदाज में आगे बढ़ी उससे एक बार तो ये लगने लगा था कि कहीं ये तीसरे विश्वयुद्ध का कारण न बन जाए। जितने नाटकीय अंदाज में ये युद्ध शुरू हुआ खत्म उससे भी कहीं ज्यादा नाटकीय तरीके से हुआ। फिलहाल तीनों पक्ष युद्ध विराम को लेकर सहमति जता चुके हैं। खास बात है कि तीनों ही अलग अलग तरीके से दावा कर रहे हैं कि उनकी जीत हुई। ऐसे में ये समझना काफी दिलचस्प होगा कि ईरान पर हमले के बाद आखिर में इजरायल और अमेरिका के हाथ क्या लगा। ये जानना भी काफी अहम है कि इतने हमलों को झेलने के बाद ईरान सीज फायर पर खुश क्यों हो रहा है। 

हैरत में डालने वाला रहा अमेरिका का रुख

इजरायल ने जब ईरान पर हमले शुरू किए तो अमेरिकी रुख ये था कि बेंजामिन नेतन्याहू गलत कर रहे हैं। उनको ईरान पर हमला नहीं करना चाहिए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प लगातार कह रहे थे कि ये लड़ाई गलत है। हालांकि जब इजरायल ने हमला कर ही दिया तो ट्रम्प खुले तौर पर नेतन्याहू के पीछे खड़े हो गए। वो इजरायल की हिमायत तो कर रहे थे पर उनका ये भी कहना था कि अमेरिका दो सप्ताह के भीतर फैसला करेगा कि लड़ाई में शामिल हो या नहीं। लेकिन दो दिनों बाद ही वो अपनी बात से पलट गए। Operation Midnight Hammer के जरिये अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बम बरसाए। US' B-2 Bombers का ईरान ने माकूल जवाब दिया। उसने भी कतर में स्थिति अमेरिका के Al Udeid air base को निशाना बनाया। हालांकि हमले से पहले ईरानी सेना ने कतर सरकार को बता दिया था कि वो अपने बचाव का उपाय कर ले। ईरानी हमले के बाद ये माना जा रहा था कि ये लड़ाई व्यापक हो सकती है पर अचानक सीज फायर सामने आ गया। 

समझते हैं कि अमेरिका ने क्या हासिल किया?

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हमले के बाद अमेरिका ने कहा कि ईरान की परमाणु सुविधाएं पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं। हालांकि अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि हमले अभी जारी रहेंगे पर उसके बाद अचानक से सीज फायर का ऐलान हो गया। खास बात है कि डोनाल्ड ट्रम्प ने खुद इसके लिए कोशिश की।  वाशिंगटन जानता है कि संघर्ष आगे बढ़ाने का रास्ता नहीं है। एक लंबा युद्ध डोनाल्ड ट्रम्प के लिए राजनीतिक रूप से हानिकारक होगा। वैसे भी वो अपने से पहले के राष्ट्रपतियों को इस बात के लिए लताड़ चुके हैं कि अमेरिका को बेवजह की लड़ाई में फंसाकर रखा गया। चुनाव से पहले वो खुद को शांति दूत की तरह से पेश करते रहे थे। ट्रम्प जानते थे कि ईरान की जनता एकजुट दिख रही है। वहां के लोग सरकार के खिलाफ सड़क पर नहीं आए हैं। ये चीज अमेरिका के लिए खतरे की घंटी की तरह से था। यानि ईरान भविष्य में आतंकी हमलों का रास्ता अपना सकता है। अमेरिका के लिए एक चीज जो अच्छी मानी जा सकती है वो ये कि उसने ईरान पर ताबड़तोड़ हमले किए। पलटवार में ईरान ने कतर के उसके एयरबेस को निशाना बनाया पर अमेरिकी सेना ने हमले को बेअसर कर दिया। यानि ट्रम्प को कोई नुकसान नहीं हुआ। यही वजह रही कि ट्रम्प ने ईरान के उस कदम की सराहना की जिसमें खामनेई के लोगों ने कतर पर हमला करने से पहले वहां की सरकार को अलर्ट भेज दिया था। यहीं से सीज फायर की भूमिका तैयार हुई। हालांकि अमेरिका में ट्रम्प के उस कदम की आलोचना हो रही है जिसमें ईरान पर हमला करने का फैसला लिया गया। लेकिन ट्रम्प के लिए राहत की बात ये है कि उनके खिलाफ चल रही दूसरी बातें बंद हो गई हैं। अब ईरान बातचीत के लिए टेबल पर बैठने को तैयार दिख रहा है तो वो खुद को शांति का दूत बताकर कह सकते हैं कि सीजफायर मैंने कराया। यानि कुल मिलाकर इस लड़ाई में कूदना अमेरिका के लिए हर तरह से फायदे का सौदा ही रहा।


अमेरिका के साथ आने से नेतन्याहू हुए मजबूत

अमेरिका के सटीक हवाई हमलों से पहले के सप्ताह में इजरायल ने परमाणु और सैन्य लक्ष्यों पर हमला करके और तेहरान की हवाई सुरक्षा को बेअसर कर दिया था। नेतन्याहू ने ऐसा करके ईरान के खिलाफ अपनी श्रेष्ठता को दुनिया के सामने रखने में कामयाबी हासिल की। ​​इजरायली सेना ने ब्रिगेडियर जनरल अली शादमानी सहित ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के प्रमुख लोगों की भी हत्या कर दी। तेहरान के खुफिया प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद काजमी और ब्रिगेडियर जनरल हसन मोहके को मार गिराया गया। इसमें कोई शक नहीं कि ईरान पर हमले से इजरायल ने दिखा दिया कि वो कितनी बड़ी ताकत है। लड़ाई में अमेरिका न कूदता तो इजरायल के सामने वैश्विक दबाव से निपटने का संकट होता लेकिन ट्रम्प के साथ आने से नेतन्याहू को अब कोई खतरा नहीं है। सारी दुनिया को ये संदेश मिल चुका है कि अमेरिका अपने पुराने दोस्त इजरायल के साथ खड़ा है। इसमें कोई शक नहीं कि इजरायल ने ईरान को काफी ज्यादा कमजोर कर दिया है। नेतन्याहू को इसका फायदा मिलेगा। उन पर करप्शन के आरोप हैं और सरकार से बाहर होने का खतरा लगातार मंडरा रहा था। अब वो अपने लोगों के बीच हीरो हैं। इजरायल के लोग मान रहे हैं कि नेतन्याहू एक जरूरत हैं। 

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अमेरिका से दो-दो हाथ करके खामनेई बन गए सुपर हीरो

हालांकि लड़ाई में ईरान को बहुत ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। उसके कई वैज्ञानिक मारे गए। बहुत से टाप आर्मी कमांडर निपट गए पर लड़ाई में अमेरिका का कूदना उसके लिए फायदेमंद रहा। ईरान ने दुनिया को संदेश दे दिया कि वो किसी से नहीं डरता है। ईरानी सेना ने कतर में अमेरिकी बेस को टारगेट करके दिखा दिया कि उसने दुनिया के सबसे ताकतवर देश से लोहा लिया है। इसी बात से ईरानी जनता खामनेई के पीछे एकजुट खड़ी दिख रही है। अमेरिका के लड़ाई में कूदने के बाद ईरान के लिए दोहरी मुश्किल बन पड़ी थी। अगर वो अमेरिका को नुकसान पहुंचा देता है तो लड़ाई लंबी और भयावह हो सकती थी। इसी वजह से उसने कतर को पहले से अलर्ट दे दिया था कि वो अमेरिका के बेस पर मिसाइल अटैक करेगा। उसकी इसी बात से ट्रम्प भी बाग-बाग हो गए। यानि ईरान ने हमला करके दिखा दिया कि वो अमेरिका की परवाह नहीं करता तो अलर्ट से ये संदेश गया कि वो अमेरिका से पंगा बढ़ाने का ख्वाहिशमंद नहीं है। ईरान की सबसे बड़ी ताकत उसके अपने लोग हैं। उसने सीज फायर के आखिरी मिनट तक इजरायल पर मिसाइलों से हमला किया। उसने ये दिखाया कि वो किसी से घबरा नहीं रहा है। अब जब अमेरिका ने उसे सीजफायर के लिए कहा तो वो तुरंत मान गया। ईरान को पता है कि फिलहाल ये इजरायल से ज्यादा उसके हित में है, क्योंकि सामने अमेरिका खड़ा था।  Iran Israel Conflict Explained | Iran Israel Conflict | iran israel not present in content


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