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EXPLAINED- ट्रम्प ने कुछ नहीं गंवाया पर पुतिन फिर भी क्यों जीत गए

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा कि पुतिन ने वह सब कुछ हासिल कर लिया जो वह चाहते थे। दूसरी तरफ ट्रम्प ने बहुत कम हासिल किया।

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Shailendra Gautam
जहां डोनाल्ड ट्रंप और पुतिन मिलेंगे वहां क्यों जा रहे Indian Army के 400 जवान? | यंग भारत न्यूज

जहां डोनाल्ड ट्रंप और पुतिन मिलेंगे वहां क्यों जा रहे Indian Army के 400 जवान? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई हाई-प्रोफाइल मीट शुक्रवार को यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने या रोकने पर किसी समझौते के बिना संपन्न हुई। यह 1945 के बाद से यूरोप में सबसे भीषण संघर्ष है और अब अपने चौथे वर्ष में है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बेहद अहम बातचीत की है, लेकिन अलास्का के एंकोरेज में यूक्रेन युद्ध पर केंद्रित लगभग तीन घंटे की शिखर वार्ता के बाद कोई अंतिम समझौता नहीं हो पाया।

ट्रम्प बोले- कई पर सहमति तो कुछ मुद्दे अनसुलझे

पुतिन के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा- हम कई बिंदुओं पर सहमत हुए। लेकिन कुछ बिंदु ऐसे हैं जिन पर हम अभी एकमत नहीं हैं। हमने कुछ प्रगति की है, इसलिए जब तक कोई समझौता नहीं होता, तब तक कोई समझौता नहीं हो सकता। उन्होंने कहा- और अब बहुत कम मुद्दे बचे हैं। कुछ उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं। एक शायद सबसे महत्वपूर्ण है। हमारे पास उस तक पहुंचने की बहुत अच्छी संभावना है। लेकिन हम वहां तक नहीं पहुंच पाए। लगभग ढाई घंटे की बैठक के बाद रूसी राष्ट्रपति ने संक्षिप्त टिप्पणी में कहा कि वह और ट्रम्प यूक्रेन पर एक समझौते पर पहुंच गए हैं। उन्होंने यूरोप को चेतावनी दी कि वह बातचीत को बाधित न करे।

अमेरिका के एनएसए रहे बोल्टन ने कहा- पुतिन जीत गए

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ अलास्का शिखर सम्मेलन में स्पष्ट रूप से जीत हासिल की। लेकिन ये भी एक सच है कि ट्रम्प हारे नहीं, जिससे यूक्रेन के लिए किसी भी निकट भविष्य के शांति समझौते पर संदेह पैदा हो गया। बोल्टन ने कहा कि ट्रम्प और बैठकों के अलावा कुछ भी हासिल नहीं कर पाए, जबकि पुतिन संबंधों को फिर से स्थापित करने में काफी आगे बढ़ गए हैं। बोल्टन ने कहा कि पुतिन प्रतिबंधों से बच गए और युद्ध विराम का सामना नहीं कर रहे हैं। साथ ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के लिए कोई ठोस अगला कदम निर्धारित नहीं है।

बोल्टन ने कहा- मुझे लगता है कि व्हाइट हाउस ने उम्मीदें कम कर दी हैं क्योंकि यहां इसे संभालना बहुत जटिल है। उन्होंने कहा कि पुतिन युद्ध के मैदान में आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन अगर वह बच निकल सकते हैं तो कुछ भी नहीं छोड़ेंगे। बोल्टन ने कहा कि पुतिन ने वह सब कुछ हासिल कर लिया जो वह चाहते थे। दूसरी तरफ ट्रम्प ने बहुत कम हासिल किया। ट्रम्प ने यह कहकर बातचीत का समापन किया कि वह शायद जल्द ही पुतिन से फिर मिलेंगे, जिस पर रूसी नेता ने जवाब दिया, "अगली बार मॉस्को में।"

जानिए मीटिंग में क्या कुछ हुआ 

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- रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ट्रम्प के इस दावे से सहमति जताई कि अगर वह 2020 के चुनाव के बाद भी पद पर बने रहते तो युद्ध शुरू ही नहीं होता। प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में पुतिन ने अंग्रेजी में बात करते हुए ट्रम्प को अगले दौर की शांति वार्ता के लिए मास्को बुलाया। ट्रम्प ने इस प्रस्ताव को दिलचस्प बताया और कहा कि यह एक संभावना है। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें इस पर थोड़ी आलोचना झेलनी पड़ सकती है। फिर उन्होंने कहा- मुझे लगता है कि यह संभव हो सकता है।

- पुतिन ने बातचीत के दोस्ताना लहजे के लिए ट्रम्प का धन्यवाद कर कहा कि रूस और अमेरिका को पन्ने पलटकर सहयोग की ओर लौटना चाहिए। उन्होंने ट्रम्प की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्हें इस बात का स्पष्ट अंदाजा है कि वो क्या हासिल करना चाहते हैं। वो अपने देश की समृद्धि की सच्ची परवाह करते हैं, साथ ही यह भी समझते हैं कि रूस के अपने राष्ट्रीय हित भी हैं। वैसे ट्रम्प और पुतिन ने लगभग तीन घंटे की बैठक के बाद पत्रकारों के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। पुतिन ने सबसे पहले बोलते हुए कहा कि उनके बीच एक समझ बन गई है, लेकिन क्या, इसका ब्योरा नहीं दिया।

वन टू वन मीट थ्री टू थ्री में बदली

वार्ता वन टू वन होनी थी लेकिन ये तीन-पर-तीन सत्र में बदल गई, जिसमें अमेरिकी अधिकारी मार्को रुबियो और स्टीव विटकॉफ ट्रम्प के साथ, और सर्गेई लावरोव और यूरी उशाकोव पुतिन के साथ शामिल हुए। यह बदलाव ट्रम्प की 2018 की हेलसिंकी बैठक की तुलना में सतर्क दृष्टिकोण दर्शाता है, जब चुनाव में दखलंदाजी पर अमेरिकी खुफिया जानकारी के मामले में पुतिन का पक्ष लेने के लिए उनकी आलोचना की गई थी। 

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