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Explainer : पाकिस्तान पर मेहरबान Donald Trump — PAK Army को मिलेगी AMRAAM मिसाइल, India कितना तैयार? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।पाकिस्तान को अमेरिका से घातक AIM-120 AMRAAM मिसाइलें मिलने वाली हैं। यह वही मिसाइल है जिसने 2019 में विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के मिग-21 को निशाना बनाया था। डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में हुए इस 51 बिलियन डॉलर के सौदे से पाकिस्तान की वायुसेना PAF को नई ताकत मिलेगी।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह डील भारत की सुरक्षा के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकती है। यह सिर्फ एक सैन्य सौदा नहीं है यह एक भू-राजनीतिक Geopolitical बदलाव का संकेत है। अमेरिका का अपने सहयोगी पाकिस्तान को वापस घातक हथियार देना, दक्षिण एशिया की शक्ति संतुलन को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
इस डील के केंद्र में है AIM-120 AMRAAM Advanced Medium-Range Air-to-Air Missile मिसाइल, जिसे हवाई युद्ध में दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइलों में से एक माना जाता है।
क्यों 'AMRAAM' नाम सुनते ही भारत की चिंता बढ़ी?
AMRAAM मिसाइल भारत के लिए कोई नया नाम या अज्ञात खतरा नहीं है। 27 फरवरी 2019 को बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद जब भारतीय और पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों के बीच हवा में मुकाबला हुआ था, तब पाकिस्तानी वायुसेना PAF के F-16 फाइटर जेट ने इसी मिसाइल का इस्तेमाल किया था। यह मिसाइल विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के मिग-21 बाइसन को निशाना बनाने में सफल रही थी, जिसके बाद उन्हें पाकिस्तान के कब्ज़े वाले इलाके में इजेक्ट करना पड़ा था।
यह घटना भारतीय वायुसेना के लिए एक गहरा सबक थी और AMRAAM मिसाइल की मारक क्षमता का सबसे बड़ा प्रमाण। AIM-120 मिसाइल "फायर एंड फॉरगेट" Fire and Forget टेक्नोलॉजी पर काम करती है। इसका मतलब है कि एक बार लॉन्च होने के बाद, इसे अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए विमान से किसी मार्गदर्शन की ज़रूरत नहीं होती। यह इसे और भी घातक बना देता है।
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ट्रंप प्रशासन की 'मेहरबानी' 51 बिलियन डॉलर का मेगा-डील
अमेरिकी रक्षा विभाग DoW ने हाल ही में एक बड़ी अधिसूचना जारी की, जिसमें रेथियॉन Raytheon कंपनी से AIM-120 मिसाइलें खरीदने वाले देशों में पाकिस्तान का नाम भी शामिल था। शुरुआत में यह 6 मिलियन डॉलर के अतिरिक्त कॉन्ट्रैक्ट के रूप में सामने आया, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक बड़े, लंबे समय से लंबित सौदे का हिस्सा है जिसकी कुल कीमत 51 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुकी है।
इस डील में पाकिस्तान के साथ ब्रिटेन, जापान, सऊदी अरब और तुर्की जैसे नाटो और प्रमुख सहयोगी देश भी शामिल हैं। डील की समय सीमा मिसाइलों की आपूर्ति मई 2030 तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस लिस्ट में तुर्की जो हाल ही में F-35 कार्यक्रम से बाहर हुआ था का होना भी भू-राजनीतिक समीकरणों में बदलाव का संकेत देता है।
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन जो अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद से पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, इस डील के माध्यम से इस्लामाबाद को एक बड़ा संकेत दे रहा है।
PAF के F-16 को मिलने जा रही यह मिसाइल
यह मिसाइल केवल उन लड़ाकू विमानों के साथ काम करती है जो इससे लैस होने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और पाकिस्तान के बेड़े में यह जिम्मेदारी F-16 फाइटर जेट्स के पास है। F-16 पाकिस्तानी वायुसेना की रीढ़ है और इसका आधुनिकीकरण उसकी हवाई श्रेष्ठता Air Superiority को बनाए रखने की एक महत्वपूर्ण रणनीति है।
पाकिस्तान पहले से ही AIM-120C5 वर्ज़न का इस्तेमाल कर रहा है जो उसने 2010 के आसपास अपने ब्लॉक-52 F-16 के साथ खरीदे थे। अब जो मिसाइलें मिलने की बात हो रही है, वह है AIM-120C8 वर्ज़न। AIM-120C8 यह मिसाइल अमेरिकी सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले AIM-120D मॉडल का निर्यात संस्करण Export Version है।
मारक क्षमता: AIM-120D/C8 की रेंज 150 किलोमीटर से भी ज्यादा है।
बेहतर गाइडेंस: इसमें बेहतर गाइडेंस सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेजर ECCM क्षमताएं हैं, जिसका मतलब है कि यह भारतीय लड़ाकू विमानों के जैमर और धोखे देने वाले उपायों को आसानी से भेद सकती है।
यह अपग्रेड PAF को "बियॉन्ड विजुअल रेंज" BVR कॉम्बैट में भारत पर एक महत्वपूर्ण, तकनीकी बढ़त दिलाएगा, खासकर तब जब भारत अपने राफेल और सुखोई-30MKI बेड़े को अपग्रेड करने की प्रक्रिया में है।
क्या ये अमेरिका की नई 'पाले में लाने' की चाल है?
हाल के महीनों में पाकिस्तान और अमेरिका के बीच सैन्य और कूटनीतिक संवाद तेजी से बढ़ा है। जुलाई में पाकिस्तान के एयर चीफ मार्शल ज़हीर अहमद बाबर ने वॉशिंगटन जाकर अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के अधिकारियों से मुलाकात की थी।
विश्लेषकों का मत है कि यह अमेरिका की 'डबल गेम' वाली नीति का पुनरुत्थान है। एक तरफ अमेरिका भारत को Quad चतुर्भुज सुरक्षा संवाद में प्रमुख भागीदार मानता है और चीन के खिलाफ उसका समर्थन करता है, वहीं दूसरी ओर वह पाकिस्तान को अफ़गानिस्तान की स्थिरता और मध्य एशिया में अपने भू-रणनीतिक हितों के लिए भी ज़रूरी मानता है।
सामरिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मिसाइल डील पाकिस्तान को "रि-एंगेज" करने और उसे चीन के पाले में जाने से रोकने की एक बड़ी अमेरिकी रणनीति है। अमेरिका जानता है कि पाकिस्तान चीन से JF-17 थंडर और अन्य रक्षा उपकरण खरीद रहा है और इस डील से वह पाकिस्तान को फिर से पश्चिमी हथियारों पर निर्भर बनाना चाहता है।
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भारत पर कितना असर? सुरक्षा के लिए क्या हैं नई चुनौतियां?
AIM-120C8 मिसाइलों का पाकिस्तान के पास आना, निश्चित तौर पर भारतीय वायुसेना IAF के लिए चिंता का विषय है।
BVR कॉम्बैट में खतरा: भारत के पास राफेल लड़ाकू विमानों पर लगी मीटिओर Meteor मिसाइल है, जिसकी रेंज AMRAAM से काफी ज्यादा 200 किमी+ है।
हालांकि, भारत के पास अभी भी बड़ी संख्या में सुखोई-30MKI और अन्य विमान हैं जो अभी भी R-77 जैसी पुरानी मिसाइलों पर निर्भर हैं।
अगर IAF को सुखोई के साथ AIM-120C8 का मुकाबला करना पड़ा तो पाकिस्तानी F-16 ज्यादा दूरी से फायर करके सामरिक बढ़त ले सकता है।
एयर डिफेंस का आधुनिकीकरण
भारत को अब अपने लड़ाकू विमानों और ग्राउंड-बेस्ड रडार सिस्टम को तेजी से अपग्रेड करना होगा। IAF को अपने विमानों के इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर EW सूट और जैमर को AIM-120C8 के नवीनतम ECCM क्षमता के मुकाबले बेहतर बनाना होगा।
कूटनीतिक दबाव: भारत इस डील पर अमेरिका के सामने अपनी चिंता ज़ाहिर करेगा। भारत का तर्क होगा कि ये मिसाइलें पाकिस्तान की आतंकवाद-रोधी Counter-terrorism ज़रूरतों से कहीं ज्यादा हैं और इनका इस्तेमाल केवल भारत के खिलाफ ही किया जा सकता है।
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भारत की तैयारी पलटवार की रणनीति
भारत इस चुनौती से निपटने के लिए पहले से ही कदम उठा रहा है।
मीटिओर मिसाइल: राफेल बेड़े पर मीटिओर BVR मिसाइलों की संख्या बढ़ाना।
अस्त्रा मिसाइल: DRDO द्वारा विकसित स्वदेशी अस्त्रा Astra मिसाइल का तेज़ी से उत्पादन और सभी फ्रंटलाइन फाइटर जेट्स Su-30MKI, तेजस पर इसका एकीकरण।
अस्त्रा भी 'फायर एंड फॉरगेट' तकनीक पर आधारित है।
S-400: रूस से प्राप्त S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह से ऑपरेशनल बनाना, जो पाकिस्तानी F-16 और उनके मिसाइलों को लंबी दूरी पर ट्रैक और इंटरसेप्ट करने की क्षमता रखता है।
एक नए हथियारों की होड़ की आहट
AIM-120 AMRAAM मिसाइल का पाकिस्तान को मिलना, दक्षिण एशिया में हथियारों की एक नई होड़ को जन्म दे सकता है। यह डील न केवल पाकिस्तान की सैन्य क्षमता को बढ़ाएगी, बल्कि यह अमेरिका की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का भी संकेत है।
भारत को अब अपनी सैन्य तैयारियों को दोगुना करना होगा और कूटनीतिक रूप से भी अमेरिका पर दबाव बनाए रखना होगा। यह देखना बाकी है कि दिल्ली इस नई चुनौती का सामना कैसे करती है।
भारत के पास AMRAAM Advanced Medium-Range Air-to-Air Missile जैसी मिसाइलों के खिलाफ निपटने के लिए बहुआयामी रणनीति और कई प्रणालिया मौजूद हैं, जिनमें मुख्य रूप से एयर-टू-एयर मिसाइल और एयर डिफेंस सिस्टम शामिल हैं।
AMRAAM एक सक्रिय रडार होमिंग Active Radar Homing और 'दागो और भूल जाओ' Fire-and-Forget क्षमता वाली मध्यम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है।
हवा से हवा में मुकाबला Air-to-Air Countermeasures
भारतीय वायु सेना IAF AMRAAM मिसाइल से मुकाबला करने के लिए अपने लड़ाकू विमानों पर उन्नत हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का उपयोग करती है।
अस्त्र Astra Mk-1: यह भारत की स्वदेशी बियॉन्ड विजुअल रेंज BVR एयर-टू-एयर मिसाइल है। 2019 के हवाई झड़प के बाद, IAF ने AMRAAM C-5 संस्करण का मुकाबला करने के लिए अपनी अस्त्र Mk-1 मिसाइलों के शस्त्रागार को बढ़ाया है जो रेंज और 'नो-एस्केप ज़ोन' में तुलनीय है।
अन्य मिसाइलें: IAF अपने विमानों पर विभिन्न रूसी और फ्रांसीसी मूल की मिसाइलों का भी उपयोग करती है, जैसे कि R-77 रूसी और मीका MICA फ्रांसीसी जो BVR क्षमताएं प्रदान करती हैं।
राफेल Rafale लड़ाकू विमानों पर मीटिओर Meteor मिसाइल भी तैनात हैं, जिसे दुनिया की सबसे बेहतरीन BVR मिसाइलों में से एक माना जाता है। इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर और बचाव Electronic Countermeasures and Evasion AMRAAM एक रडार-निर्देशित मिसाइल है, इसलिए भारतीय लड़ाकू विमान बचाव के लिए निम्नलिखित तकनीकों का उपयोग करते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर EW सूट: IAF के उन्नत लड़ाकू विमान जैसे राफेल और सुखोई Su-30MKI अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर ECM और जैमिंग सिस्टम से लैस हैं जो मिसाइल के रडार को भ्रमित या जाम करने में सक्षम हैं।
चाफ Chaff: यह धातु की पन्नी के छोटे-छोटे टुकड़े होते हैं, जिन्हें विमान से छोड़ा जाता है। यह मिसाइल के रडार के लिए एक नकली लक्ष्य समूह बनाकर उसे भ्रमित करता है। तीव्र पैंतरेबाजी Rapid Maneuvering मिसाइल को चकमा देने के लिए विमान तीव्र और जटिल पैंतरेबाज़ी जैसे ब्रेक लॉक करने के लिए कर सकता है।
ग्राउंड-आधारित वायु रक्षा प्रणाली Ground-Based Air Defense Systems
AMRAAM के हवाई खतरे से निपटने के लिए भारत के पास ज़मीन-आधारित वायु रक्षा प्रणालियों का एक बहुस्तरीय जाल Multi-layered Air Defence Grid भी है एस-400 ट्रायम्फ S-400 Triumph यह रूस से प्राप्त एक लंबी दूरी की 400 किमी तक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल SAM प्रणाली है। यह बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और विमानों सहित हवाई खतरों को एक साथ ट्रैक और इंटरसेप्ट कर सकती है।
आकाश मिसाइल Akash Missile: यह एक स्वदेशी, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है जो विमानों और क्रूज मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। आकाश-एनजी Akash-NG इसका एक नया संस्करण है।
बराक-8 BARAK: यह भारत और इज़राइल द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है।
ये सभी प्रणालियां दुश्मन के विमानों जो AMRAAM मिसाइल दागते हैं को उनकी रेंज में आने से पहले ही निशाना बना सकती हैं, जिससे AMRAAM के खतरे को बेअसर किया जा सकता है।
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