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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। गाजा में इजरायली सेना के हवाई हमलों और गोलीबारी से हालात और ज्यादा भयावह हो गए हैं। शुक्रवार रात और शनिवार को हुई इन घटनाओं में कम से कम 53 फलस्तीनी नागरिकों की मौत हो गई। फलस्तीनी स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय एंबुलेंस सेवा ने बताया कि अधिकतर लोगों को उस समय गोली मारी गई, जब वे खाद्य सहायता लेने की कोशिश कर रहे थे। गाजा में भूख से मरने के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं।
मदद की उम्मीद में मौत के मुंह में पहुंचे लोग
गाजा के उत्तरी क्षेत्र में जिकिम बॉर्डर क्रॉसिंग के पास कुछ ही घंटों में इजरायली सेना ने दो बार गोलीबारी की। शिफा अस्पताल के मुताबिक, पहली गोलीबारी में 12 लोग मारे गए जो सहायता ट्रकों का इंतजार कर रहे थे। इस्राइली सेना ने कहा कि भीड़ को हटाने के लिए चेतावनी स्वरूप गोली चलाई गई, और उन्हें किसी की मौत की जानकारी नहीं है।एक चश्मदीद शेरिफ अबू आयशा ने बताया-"लोगों ने जब रोशनी देखी तो सोचा सहायता ट्रक आ रहे हैं, लेकिन वो इजरायली टैंक निकले और तुरंत फायरिंग शुरू हो गई। मेरे चाचा की उसी में मौत हो गई। हमारे पास खाने को कुछ नहीं था।"
डॉक्टर का दावा: सहायता लेने आई भीड़ पर गोलीबारी
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शिफा अस्पताल के निदेशक डॉ. मोहम्मद अबू सेल्मिया ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के खाद्य काफिले से मदद लेने आई भीड़ पर इजरायली सेना ने गोली चलाई, जिसमें कम से कम 11 लोग मारे गए और 120 से ज्यादा घायल हो गए। उन्होंने चेतावनी दी कि मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है। इजरायली सेना ने इस आरोप पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
खान यूनिस और गाजा शहर पर भी हमले
गाजा शहर की एक इमारत पर हुए हमले में चार लोगों की मौत हुई। वहीं खान यूनिस के मुवासी इलाके में स्थित एक तंबू शिविर पर हमले में कम से कम आठ लोगों की जान गई, जिनमें चार बच्चे भी शामिल थे।इसके अलावा, मोराग गलियारे से गाजा में मदद पहुंचाने की कोशिश कर रहे नौ लोगों को इजरायली सेना ने गोली मार दी।
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इजरायल का दावा: शनिवार रात से हवाई मदद
इस पूरे घटनाक्रम के बीच इजरायली सेना ने शनिवार रात से गाजा में हवाई मदद पहुंचाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र काफिलों के लिए विशेष मानवीय गलियारे भी खोले जाएंगे।हालांकि, गाजा में भूख से हो रही मौतों और मदद पाने के दौरान मारे जा रहे लोगों की दर्दनाक तस्वीरों और वीडियो ने दुनियाभर में आक्रोश पैदा कर दिया है। यहां तक कि इजरायल के पारंपरिक समर्थकों ने भी इस मानवीय संकट पर आलोचना और चिंता जाहिर की है।
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