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Nepal में Gen-Z क्रांति : पूर्व राजनयिक ने बताया आंदोलन के पीछे का सच!

नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का इस्तीफा Gen-Z के विरोध प्रदर्शन का नतीजा है। सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ शुरू हुआ यह आंदोलन जल्द ही हिंसक हो गया। पूर्व राजनयिक सुरेश गोयल ने कहा कि प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाना गलत था।

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Ajit Kumar Pandey
Nepal में Gen-Z क्रांति : पूर्व राजनयिक ने बताया आंदोलन के पीछे का सच! | यंग भारत न्यूज

Nepal में Gen-Z क्रांति : पूर्व राजनयिक ने बताया आंदोलन के पीछे का सच! | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का इस्तीफा सिर्फ एक राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि एक Gen-Z डिजिटल क्रांति का नतीजा है। सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंधों ने Gen-Z युवाओं को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया, जिसकी चिंगारी ने सरकार को हिला दिया। 

क्या यह सिर्फ एक जन आंदोलन है या इसके पीछे कोई गहरी साजिश? इस सवाल पर पूर्व राजनयिक सुरेश गोयल की राय कई संकेत देती है। नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध ने Gen-Z युवाओं को इतना भड़का दिया कि इसका सीधा असर राजनीतिक सत्ता पर पड़ा।

साथ  ही सुरेश गोयल ने कहा कि श्रीलंका की जो आर्थिक नीतियां रही हैं, इस वजह से ही ऐसे हालात पैदा हुए हैं। सरकार वक्त रहते भी जाग नहीं पाई। सरकार को युवाओं के साथ वार्ता कर मामले को हैंडल करना चाहिए था, गोली चलवा कर युवाओं भड़काना भारी पड़ा। 

देश के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा, जिसने कई सवालों को जन्म दिया है। क्या यह सिर्फ एक जन आंदोलन था, या इसमें किसी की शह थी?

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इस घटनाक्रम पर पूर्व राजनयिक सुरेश गोयल ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। जहां तक भड़काने की बात है तो यह भी सच है कि सरकार के खिलाफ काफी दिनों से तैयारी रही होगी तभी तो मौका मिलते ही इतना बड़ा आंदोलन और फिर उलटफेर हो गया। यह समझने की बात है कि नेपाल को अस्थिर करने से किसको फायदा होगा, ऐसे ही लोगों का हाथ हो सकता है।

उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाना पूरी तरह गलत था और इतनी हिंसा के पीछे कोई न कोई उकसावा जरूर रहा होगा। यह घटना दिखाती है कि कैसे डिजिटल पीढ़ी अब सरकारों को झुकाने की ताकत रखती है। सोशल मीडिया पर बैन ने किया युवाओं को एकजुट नेपाल सरकार ने जब सोशल मीडिया ऐप्स को बैन किया, तो उसने शायद सोचा भी नहीं था कि इसका इतना बड़ा विरोध होगा। 

Gen-Z, जो अपनी अभिव्यक्ति के लिए इन्हीं प्लेटफॉर्म्स पर निर्भर रहती है, के लिए यह एक सीधा हमला था। उन्होंने तुरंत डिजिटल से निकलकर फिजिकल दुनिया में कदम रखा। हजारों की संख्या में युवा सड़कों पर उतर आए और 'डिजिटल अधिकार' की मांग करने लगे। यह विरोध जल्द ही एक बड़े राजनीतिक आंदोलन में बदल गया। 

क्या गोलीबारी ने आग में घी डालने का काम किया? 

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प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की गोलीबारी की खबरें सामने आईं, जिसने मामले को और भी गंभीर बना दिया। पूर्व राजनयिक सुरेश गोयल ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग करना पूरी तरह गलत था। उनका मानना है कि इस तरह की हिंसा के पीछे किसी न किसी तरह का उकसावा रहा होगा। 

उन्होंने हालांकि इस पर खुलकर बात नहीं की, लेकिन उनके इशारे किसी गहरी साजिश की ओर इशारा करते हैं। 

नेपाल में Gen-Z की डिजिटल क्रांति: एक नया सबक नेपाल में Gen-Z के इस आंदोलन ने दुनिया भर की सरकारों को एक नया सबक दिया है। अब युवा अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने से नहीं हिचकते और सोशल मीडिया उनके लिए एक मजबूत हथियार है। इस घटना ने यह भी साबित कर दिया है कि अगर जेन जेड एक साथ आ जाए, तो वे बड़ी-बड़ी सत्ताओं को भी चुनौती दे सकते हैं। 

क्या भारत और चीन की भूमिका थी? 

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इस पूरे घटनाक्रम में भारत और चीन की भूमिका पर भी चर्चा हो रही है। केपी शर्मा ओली को चीन समर्थक माना जाता था। ऐसे में चीन के लिए उनका इस्तीफा किसी झटके से कम नहीं है। 

पूर्व राजनयिक सुरेश गोयल का मानना है कि चीन इस घटना से खुश नहीं होगा। वहीं, भारत इस घटना पर चुप्पी साधे हुए है, लेकिन दक्षिण एशिया की स्थिरता पर इस घटना का असर जरूर पड़ सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि नेपाल की नई सरकार किस ओर रुख करती है। 

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