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पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता: नेपाल के प्रधानमंत्री ओली

नेपाल की राजधानी काठमांडू में जलवायु परिवर्तन, पर्वत और मानवता का भविष्य विषय पर आयोजित तीन दिवसीय ‘सागरमाथा संवाद’ में भारत के पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव समेत 350 से अधिक हस्तियों ने लिया भाग।

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Narendra Aniket
Sagarmatha Sambad

काठमांडू में सागरमाथा संवाद में शामिल पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव। फोटो X

काठमांडू, वाईबीएन डेस्‍क : नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने शुक्रवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को रोकने और पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए वैश्विक स्तर पर सामूहिक कार्रवाई करने की आवश्यकता है। ओली यहां ‘जलवायु परिवर्तन, पर्वत और मानवता का भविष्य’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय ‘सागरमाथा संवाद’ के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में भारत के पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव सहित 350 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हस्तियां उपस्थित थीं।
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हिमालय का संरक्षण, मानवता का संरक्षण

ओली ने कहा कि यह आयोजन इस बारे में बताने के लिए है कि हिमालय को संरक्षित करने का अर्थ पृथ्वी, महासागरों और मानवता को संरक्षित करना है। उन्‍होंने कहा, ‘‘हमारे घर भूस्खलन से नष्ट हो रहे हैं। बाढ़ और सूखा की अप्रत्याशित स्थिति है, फिर भी हम मजबूत बने हुए हैं। हमारा उत्सर्जन कम है और पर्यावरण संरक्षण में हमारा योगदान महत्वपूर्ण है। हमें उम्मीद है कि यह संवाद उच्च स्तर का होगा, जिसमें नैतिक स्पष्टता, मजबूत बौद्धिक साहस और सुंदर भविष्य बनाने के लिए एक दृढ़ एवं साझा दृष्टिकोण होगा।’’  नेपाल के प्रधानमंत्री ने पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्‍यकता पर बल दिया। Global cooperation needed Nepal PM Oli

भारतीय पर्यावरण मंत्री ने कहा, बड़े जीवों के संरक्षण में सहयोग जरूरी

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भारत के पर्यावरण मंत्री यादव ने दोनों देशों की ‘‘अधिक ऊंचाई वाली जैव विविधता और पर्वतीय परिदृश्य के महत्व को ध्यान में रखते हुए’’ हिम तेंदुओं सहित बिल्ली प्रजाति के बड़े जीवों के संरक्षण के क्षेत्र में नेपाल और भारत के बीच सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया ‘‘वैश्विक जनसंख्या के लगभग 25 प्रतिशत लोगों का निवास स्थान होने के बावजूद संचयी वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में केवल चार प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है’’।
तीन दिवसीय कार्यक्रम में जलवायु विशेषज्ञों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं, सरकारी अधिकारियों, राजनयिकों और मीडियाकर्मियों समेत 300 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम का समापन रविवार को होगा।
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