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Polio In Pakistan : अमेरिका का 'मिशन लादेन' जिसने तोड़ दी पाकिस्तानी पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम की कमर

पाकिस्तान दुनिया के उन दो देशों में से एक है जहां पोलियो अब भी मौजूद है। देश में पोलियो के खत्म न होने के लिए कई कारणों को जिम्मेदार माना जाता है। इनमें शामिल है सीआईए का एक ऑपरेशन जो उसने आतंकी ओसमा बिन लादेन तक पहुंचने के लिए चलाया था।

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Manish kumar
SHEBAZ SHARF POLIO

FILE PHOTO : @PakFightsPolio

इस्लामाबाद, वाईबीएन न्यूज: पाकिस्तान में मंगलवार को पोलियो वायरस के दो नए मामलों की पुष्टि हुई। इसके साथ ही देश में 2025 में सामने आए कुल मामलों की संख्या 23 हो गई है। 

दुनिया न्यूज के मुताबिक राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) ने मंगलवार को घोषणा की कि खैबर पख्तूनख्वा के दक्षिणी जिलों में पोलियो वायरस के दो नए मामले मिले हैं। नवीनतम मामलों में टैंक जिले के यूनियन काउंसिल मुल्लाजई की एक 16 महीने की बच्ची और उत्तरी वजीरिस्तान के यूनियन काउंसिल मीरान शाह-3 की एक 24 महीने की बच्ची शामिल है।

बयान में कहा गया, "इन मामलों के साथ, पाकिस्तान में अब 2025 तक पोलियो के 23 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें केपी से 15, सिंध से छह, पंजाब और गिलगित-बाल्टिस्तान से एक-एक मामले शामिल हैं।"

पोलियो दुनिया भर में केवल दो देशों -  पाकिस्तान और अफगानिस्तान, में मौजूद है। 

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पाकिस्तान में लगातार कोशिशों के बावजूद पोलियो के खत्म न होने के कई कारण माने जाते हैं इनमें - सुरक्षा चुनौतियां, टीकाकरण के प्रति हिचकिचाहट, गलत सूचनाओं को शामिल किया जाता है। लेकिन एक और वजह है जिसने पाकिस्तान की पोलियो के खिलाफ लड़ाई को मुश्किल बना दिया। 

9/11 के मास्टरमाइंड को पकड़ना चाहता था अमेरिका

जानकार पोलियो वैक्सीन के प्रति लोगों में हिचकिचाहट की एक बड़ी वजह अमेरिकी खुफिया एजेंसी की एक फर्जी वैक्सीनेशन कैंपेन को मानते है। यह फर्जी वैक्सीनेशन कैंपेन 2011 में सीआईए ने आतंकी ओसामा बिन लादेन को पकड़ने के लिए चलाया था। 

अमेरिका किसी भी तरह 9/11 हमले की साज़िश रचने वाले अल-क़ायदा नेता ओसामा बिन लादेन को पकड़ना चाहता था। लादेन की तलाश के दौरान, सीआईए ने पाकिस्तान में एक नकली हेपेटाइटिस वैक्सीन कार्यक्रम के जरिए गुप्त रूप से खून के नमूने एकत्र किए ताकि बिन लादेन या उसके परिवार की मौजूदगी की पुष्टि हो सके। सीआईए ने इसके लिए पाकिस्तानी डॉक्टर शकील अफरीदी को हेपेटाइटिस टीके लगाने के लिए चुना। इक्ट्ठा किए गए डीएनए की तुलना बिन लादेन की बहन के डीएनए से की, जो 2010 में बोस्टन में मर गई थी।

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सीआईए की इस फर्जी वैक्सीनेशन ड्राइव को पाकिस्तान में टीकाकरण के प्रति बढ़ती हिचकिचाहट और स्वास्थ्यकर्मियों को जासूस समझकर उनके खिलाफ होने वाली हिंसा के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसने पाकिस्तान में पोलियो उन्मूलन प्रयासों पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डाला। 

पाकिस्तान में पोलियो वैक्सीन कार्यकर्ताओं पर हमले

द लैंसेट जर्नल के 2014 के संपादकीय के मुताबिक 16 मई, 2014 को व्हाइट हाउस ने घोषणा की कि सीआईए अब जासूसी के लिए टीकाकरण कार्यक्रमों का इस्तेमाल नहीं करेगी। यह घोषणा पाकिस्तान में पोलियो टीकाकरण कार्यकर्ताओं पर हुए कई हमलों के बाद की गई। इनमें वैध स्वास्थ्य सेवा कर्मियों को अमेरिकी जासूस बताकर निशाना बनाया गया था। इन हमलों ने संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों को पाकिस्तान में पोलियो टीकाकरण अभियान स्थगित करने पर मजबूर कर दिया। 

पोलियो-विरोधी प्रयास गंभीर रूप से बाधित हुए क्योंकि माता-पिता अपने बच्चों को टीका लगवाने से इनकार कर दिया। सीआई के फर्जी टीकाकरण कार्यक्रम की खबर के कारण जन स्वास्थ्य प्रयासों की ईमानदारी को लेकर संदेह और बढ़ गया।

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उग्रवादी और कट्टरपंथी समूहों ने इस घटना का इस्तेमाल उन षड्यंत्रकारी सिद्धांतों को मजबूत करने के लिए किया कि टीकाकरण पश्चिमी देशों की एक साजिश है। पाकिस्तान में पोलियो वैक्सीनेशन टीम पर हमलों की खबरें अक्सर आती रहती है। 

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