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मियां जेल में लापता और बेगम बाहर, आखिर हो क्या रहा है इमरान खान के साथ

जनरल आसिम मुनीर किसी भी सूरत में इमरान को फिर से एक पारी नहीं खेलने देना चाहते। उनको पता है कि इमरान इस बार सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे तो ये उनके लिए खतरनाक होगा।

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Shailendra Gautam
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान

Photograph: (Google)

नई दिल्ली । वाईबीएन डेस्क । कभी वो क्रिकेट की दुनिया का सबसे बड़ा नाम थे। खेलते थे तो हसीनाएं अपना दिल यूं ही उन पर लुटा देती थीं। सियासत में आए तो पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय नेता बन गए। इतना कि ताकतवर सेना भी उनसे थर्रा गई थी। पहली बार पाकिस्तानी इतिहास में ऐसा हुआ जब सेना के अफसरों के घरों पर जनता ने धावा बोला हो। लेकिन जैसा कि अक्सर कहा जाता है कि शिखर पर पहुंचने के बाद दूसरी कोई मंजिल नहीं होती। होता है तो नीचे का रास्ता। इमरान खान के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। 

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हाईकोर्ट में इमरान को लेकर रिट पर नहीं मिली तारीख

कभी देश के प्रधानमंत्री रहे इमरान का अदियाला की जेल में क्या सूरते हाल है, ये किसी को पता नहीं लग पा रहा है। उनकी पार्टी पीटीआई ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट में रिट देकर मांग की है कि उनको रिहा किया जाए। रिहा न करें तो कम से कम पैरोल  पर तो बाहर आने दें। पर लगता नहीं है कि वो पैरोल भी हासिल कर पाएंगे। हाईकोर्ट ने उनकी रिट पर कोई तारीख ही नहीं दी है। कभी जेल में उनके रेप की खबर आम हुई तो हाल ही में सोशल मीडिया पर इमरान तब ट्रेंड करने लग गए जब ये बात फैली कि सेना ने उनको जेल में गोली मरवा दी है। सरकार कह रही है कि ऐसा कुछ नहीं है पर जो कुछ भी है उसे सामने लेकर क्यों नहीं आ रही। गजब तो तब हुआ जब उनकी तीसरी बेगम बुशरा उर्फ पिंकी बीबी अचानक लापता हो गईं। वो एक हुजूम की अगुवाई कर रही थीं जो इमरान खान को जेल से निकालने की मांग के साथ जमा हुआ था। सेना ने गोली चला दी। कितने मारे गए कोई पता नहीं पर जो बुशरा माइक से चिल्ला चिल्ला कर कह रही थीं कि वो आखिरी खवातीन होंगी जो वहां से जाएंगी, वो अचानक लापता हो गईं। कोई कहता है कि सेना ने उनको हिरासत में लेकर कहीं छिपा दिया है तो कोई कहता है कि वो गिरफ्तारी के डर से अंडर ग्राउंड हो गईं हैं। पर दो साल से उनका कोई सुराग नहीं है।

1970-71 में हुआ था क्रिकेट करियर का अगाज, जिताया विश्वकप

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1952 में जन्मे इमरान खान 1970-71 में क्रिकेट खेलने पहली बार मैदान में उतरे थे। वो बल्लेबाज बनना चाहते थे। लेकिन फिर गेंदबाजी में हाथ आजमाने लगे। पहले मीडियम पेसर थे फिर इतिहास के ऐसे वाहिद गेंदबाज बने जो मीडियम पेसर से खतरनाक पेसर बना। उनकी गेंदों की रफ्तार बल्लेबाजों के लिए खौफ थी। 1982 में जब भारतीय टीम पाकिस्तान गई तो इमरान ने कहर बरपा दिया। इतना कहर कि सुनील गावस्कर से कप्तानी छीनकर सीरिज के बीच में ही मैसेज दे दिया गया कि अब कपिल देव कप्तानी संभालेंगे। क्रिकेट की दुनिया में इमरान खान का पीक 1992 का वर्ल्ड कप रहा। खिलाड़ी के तौर पर उनकी दो ख्वाहिशें थीं। वेस्टइंडीज को उसके घर में पीटना और क्रिकेट का वर्ल्ड कप जीतना। 1988 के वेस्टइंडीज दौरे पर विवियन रिचर्ड्स की खौफनाक टीम को उन्होंने तकरीबन हरा ही दिया था। ऐसी टीम जिसके खिलाफ दूसरी टीमें उतरते ही हार मान लेती थीं। लेकिन इमरान खान ने उनको उनके घर में धूल चटी दी। फिर आया 1992 का विश्व कप। आस्ट्रेलिया की उछाल भरी पिचों पर इमरान का बल्ला खूब चला। ऐसा कि पाकिस्तान को विश्व विजेता का तमगा मिल गया। खिलाड़ी के तौर पर ये इमरान का पीक थी लेकिन राजनेता के तौर पर उनके संघर्ष की शुरुआत। 

क्रिकेटर थे तो नवाज भी उनके फैन थे, राजनीति में आते ही बने दुश्मन

इमरान खिलाड़ी थे तो नवाज शरीफ जैसे दिग्गज नेता भी उनके फैन थे। लेकिन जैसे ही राजनीति में आए वो सबकी आंखों की किरकिरी बनने लग पड़े। पीटीआई बना ली लेकिन 22 साल तक सत्ता में नहीं पहुंच सके। लड़ाई जारी रही और इस दौरान पहले 42 की उम्र में और फिर उसके बाद एक बार फिर से शादी की। पहले उनकी बेगम बनीं इंग्लैंड के रईस खानदान की जेमिमा गोल्ड स्मिथ। फिर उन्होंने लंदन बेस्ड पाकिस्तानी पत्रकार रेहम खान से निकाह किया। पहली शादी 9 साल तो दूसरी महज 1 साल ही चल पाई। तीसरी बार उनका दिल सूफी पीर बुशरा पर आ गया। पांच बच्चों की मां को तलाक दिलाकर इमरान ने अपनी बेगम बनाया। ये उनके नेता के तौर पर बनाए करियर के पीक की शुरुआत थी। बुशरा कहती थीं कि तुम मुझसे निकाह कर लो पीएम बन जाओगे। हुआ भी कुछ ऐसा। बुशरा से शादी करने के बाद इमरान खान पीएम बन गए। ऐसे प्रधानमंत्री जिसकी लोकप्रियता से सेना भी घबरा जाया करती थी।

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बुशरा बीबी से तीसरी शादी के बाद बने पीएम, फिर शुरू हुआ पतन

लेकिन ये उनको करियर की आखिरी पारी थी। कहते हैं कि बुशरा की शह पर उन्होंने कुछ ऐसे फैसले लिए जिससे जनरल कमर जावेद बाजवा से उनकी तल्खी बढ़ने लगीं। तल्खियां उस मुकाम तक पहुंच गईं जहां पर जाकर सेना ने इमरान को जमींदोज करने का फैसला ले लिया। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। सरकार हाथ से गई तो पहले से सेना के खिलाफ हो चले इमरान और ज्यादा मुखर हो गए। इतने कि सरआम कह दिया कि सेना ने अमेरिका के कहने पर उनको हटाया है। दुश्मन पहले से ही कम थे। जो वो और नए पाल बैठे। उनका गर्त की तरफ जाना शुरू हो गया था। पहले पैर में गोली लगी और उसके बाद एक अदालत ने उनका अरेस्ट वारंट निकाल दिया। पेश नहीं हुए तो सेना उनको अरेस्ट करने जा पहुंची। जमकर खून बहा उसके बाद वो खुद सामने आए और पहली बार लापता हो गए। चीफ जस्टिस आफ पाकिस्तान उमर अता बंदियाल दखल न देते तो सेना इमरान का काम तभी तमाम कर चुकी होती। 

सेना के खिलाफ बोले तो पहले गई सरकार और फिर पहुंच गए जेल

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खैर उसके बाद उनको सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया। लेकिन रिहा नहीं हो सके। पहले सेना के साथ विवाद का मामला था, फिर तोशा खाना केस, सीक्रेट डाकयूमेंट केस और न जाने कितने केस उन पर लाद दिए गए। सेना को पता था कि बुशरा खतरनाक साबित हो सकती हैं तो इमरान के साथ उनके निकाह को अवैध घोषित कराकर उनके भी जेल में डाल दिया गया। अब आलम ये है कि इमरान एक मामले में बरी होते हैं तो उनके ऊपर चार और मामले लाद दिए जाते हैं। उसके बाद 2024 के आम चुनाव आए तो इमरान को ठिकाने लगेने के लिए नवाज शरीफ को लंदन से बुला लिया गया। इमरान की पार्टी को बैन कर दिया गया। उनके नेता निदर्लीय लड़े फिर शहबाज पीएम बन गए। 

आखिरी बार डी चौक पर दिखी थीं बुशरा, तब से अतापता नहीं

बुशरा हालांकि 9 महीने बाद जेल से बाहर आ गईं लेकिन इमरान खान के बगैर वो खुद को बेबस महसूस कर रही थीं। 50 अरब पाकिस्तानी रुपयों की जालसाजी, जमीन घोटाले और तोशखाना के साथ गलत तरीके से निकाह जैसे मामलों में फंसी बुशरा को पता था कि इमरान जेल से बाहर नहीं निकले तो उनका फिर से जेल जाना तय है। उन्होंने एक रणनीति तैयार की और पीटीआई वर्कर्स से कहा कि वो नवंबर में इस्लामाबाद के डी चौक पर पहुंचें।

वो खुद भी वहां आईं। उन्होंने जोरदार भाषण दिया, फिर अचानक बिजली गुल हुई और गोलियां चलने लगीं। बुशरा को आखिरी बार एक कैमरे में देखा गया वो एक कार से दूसरी कार में जा रही थीं। उसके बाद से उनका कोई सुराग नहीं मिला। उधर दूसरी तरफ जेल में बंद इमरान के रेप और हत्या की खबरें वायरल हो रही हैं। हालात देखने से साफ जाहिर है कि सेना इमरान और उनकी जानशीं को जमींदोज करने पर आमादा हो चली है। जनरल आसिम मुनीर किसी भी सूरत में इमरान को फिर से एक पारी नहीं खेलने देना चाहते। उनको पता है कि इमरान इस बार सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे तो ये उनके लिए खतरनाक होगा। 


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