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IMF की मदद से आतंकी फंडिंग? UN में भारत ने पाक की साजिश बेनकाब की! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । संयुक्त राष्ट्र में भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को आईना दिखाया है। भारत ने साफ शब्दों में कहा कि एक ऐसा देश जो IMF की उधारी पर चल रहा है, वह आतंक और कट्टरता को बढ़ावा दे रहा है। यह कड़ा संदेश पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि पर गहरा असर डालेगा और दुनिया को उसकी दोहरी नीति से अवगत कराएगा
पाकिस्तान दशकों से आर्थिक तंगी और विदेशी कर्जे के दलदल में फंसा हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से लगातार मिलती आर्थिक मदद के बावजूद, यह देश अपनी धरती पर पनप रहे आतंकवाद और कट्टरता पर लगाम लगाने में विफल रहा है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र जैसे मंच पर इस मुद्दे को उठाकर पाकिस्तान की कमजोर नब्ज पर हाथ रखा है।
भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान को अपनी प्राथमिकताओं पर फिर से विचार करना चाहिए। एक तरफ, वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वित्तीय सहायता की गुहार लगाता है, वहीं दूसरी ओर, वह आतंकवादी समूहों को पनाह और समर्थन देता है। यह विरोधाभास पूरी दुनिया के सामने है।
भारत का कड़ा संदेश: दुनिया की चुप्पी पर सवाल
संयुक्त राष्ट्र में भारत का यह बयान ऐसे समय आया है जब वैश्विक स्तर पर आतंकवाद एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। भारत ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कोई दोहरी नीति नहीं होनी चाहिए। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक पाकिस्तान अपनी जमीन पर मौजूद आतंकवादी ढांचों को नष्ट नहीं करता, तब तक शांति और स्थिरता असंभव है।
आतंकवाद पर ज़ीरो टॉलरेंस: भारत की यह नीति रही है कि आतंकवाद के खिलाफ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता।
अंतर्राष्ट्रीय जवाबदेही: भारत चाहता है कि पाकिस्तान को उसकी हरकतों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जवाबदेह ठहराया जाए।
क्षेत्रीय शांति का खतरा: पाकिस्तान की ये नीतियां न केवल भारत बल्कि पूरे क्षेत्र की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
भारत के इस बयान ने दुनिया के उन देशों को भी सोचने पर मजबूर किया होगा जो अभी तक पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों पर मौन साधे हुए थे।
IMF और पाकिस्तान: एक अंतहीन चक्र?
पाकिस्तान का IMF पर निर्भरता का इतिहास काफी पुराना है। दशकों से यह देश अपने खर्चों को पूरा करने और भुगतान संतुलन को बनाए रखने के लिए लगातार विदेशी कर्जे पर निर्भर रहा है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह कर्ज पाकिस्तान को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रहा है या फिर उसे और गहरे दलदल में धकेलता जा रहा है?
विश्लेषकों का मानना है कि जब तक पाकिस्तान अपनी आंतरिक समस्याओं, जैसे कि भ्रष्टाचार, कुप्रशासन और सबसे महत्वपूर्ण, आतंकवाद को जड़ से खत्म नहीं करता, तब तक यह IMF से कर्ज लेने के अंतहीन चक्र में फंसा रहेगा। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
भविष्य की राह: पाकिस्तान को क्या चुनना होगा?
अब पाकिस्तान को यह तय करना होगा कि वह आतंकवाद और कट्टरता के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहता है या फिर आर्थिक स्थिरता और शांति का मार्ग अपनाना चाहता है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में जो संदेश दिया है, वह एक स्पष्ट चेतावनी है।
आतंकवाद का खात्मा: पाकिस्तान को अपनी धरती से आतंकवाद को जड़ से खत्म करना होगा।
आर्थिक सुधार: उसे दीर्घकालिक आर्थिक सुधारों पर ध्यान देना होगा ताकि IMF पर निर्भरता कम हो सके।
पड़ोसियों से संबंध: उसे अपने पड़ोसियों, विशेष रूप से भारत के साथ बेहतर संबंध बनाने की दिशा में काम करना होगा।
अगर पाकिस्तान इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार नहीं करता है, तो उसकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा और भी खराब होगी, और उसे और अधिक आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। भारत ने एक बार फिर दुनिया को पाकिस्तान की असली तस्वीर दिखाई है।
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