नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । यूरोपीय संघ और भारत के बीच रणनीतिक संबंधों में नई ऊर्जा भरते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ब्रसेल्स में EU आयोग अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन से मुलाकात की। इस दौरान फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA), तकनीकी सहयोग, रक्षा और नवाचार पर आधारित भविष्य की साझेदारी को मजबूती देने की दिशा में अहम बातचीत हुई। यह मुलाकात भारत-यूरोप संबंधों के एक नए अध्याय की शुरुआत मानी जा रही है। आज मंगलवार 10 जून 2025 को यह जानकारी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर ने दी।
भारत और यूरोपीय संघ (EU) के संबंधों में लंबे समय से मजबूती देखी जा रही है, लेकिन इस बार विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर की ब्रसेल्स यात्रा ने दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को एक नई रफ्तार दे दी है।
यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन से हुई खास मुलाकात में तकनीक, नवाचार, फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA), सुरक्षा और रक्षा जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। दोनों पक्ष अब उस मुकाम पर पहुंच गए हैं जहां बात केवल कूटनीतिक मुलाकातों तक सीमित नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाने की ओर बढ़ रही है।
क्यों खास है भारत-यूरोप रणनीतिक साझेदारी?
भारत और यूरोपीय संघ के रिश्ते केवल व्यापार तक सीमित नहीं हैं। यह एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी है, जिसमें जलवायु परिवर्तन से लेकर डिजिटल इनोवेशन और ग्लोबल सिक्योरिटी तक कई पहलू शामिल हैं। यूरोपीय आयोग अध्यक्ष ने खुद यह कहा कि भारत और EU के बीच संबंध "नवाचार और विकास आधारित एजेंडे" पर टिके हैं।
डॉ. जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में न केवल आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देना चाहता है, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए EU के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को तैयार है।
FTA की संभावनाएं: भारत को क्या मिलेगा?
भारत और यूरोपीय संघ के बीच प्रस्तावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पिछले कई वर्षों से अटका हुआ है। लेकिन जयशंकर की ताज़ा यात्रा के बाद इसमें नई उम्मीदें जागी हैं।
अगर यह समझौता सफल होता है, तो भारत को यूरोप के 27 देशों की विशाल अर्थव्यवस्था में व्यापार के नए द्वार मिल सकते हैं। इससे भारतीय निर्यातकों, खासकर टेक्सटाइल, फार्मा और IT सेक्टर को बड़ा फायदा होगा।
FTA को लेकर भारत ने पहले भी अपने हितों की सुरक्षा पर ज़ोर दिया है। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि दोनों पक्ष किसी "बैलेंस्ड डील" की ओर बढ़ रहे हैं।
यूरोपीय संघ की टेक्नोलॉजी और इनोवेशन में साझेदारी
भारत और यूरोपीय संघ अब तकनीकी सहयोग को नई ऊंचाई देने के लिए एक साझा एजेंडे पर काम कर रहे हैं। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), साइबर सिक्योरिटी, डेटा प्रोटेक्शन और ग्रीन टेक्नोलॉजी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
भारत का डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और EU की रिसर्च क्षमता मिलकर एक ऐसे मॉडल का निर्माण कर सकते हैं जो वैश्विक टेक प्रतिस्पर्धा में बड़ी भूमिका निभाएगा।
भारत पर रक्षा और सुरक्षा को लेकर यूरोपीय संघ का बना भरोसा
यूक्रेन संकट और चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच भारत और यूरोपीय संघ के बीच सुरक्षा सहयोग भी एक जरूरी पहलू बन गया है। इस बार की बातचीत में रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, सैन्य प्रशिक्षण, संयुक्त अभ्यास और समुद्री सुरक्षा पर भी बात हुई।
डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत एक भरोसेमंद साझेदार है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित सहयोग को प्राथमिकता देता है।
अगला पड़ाव: मोदी-लेयेन शिखर सम्मेलन
यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने साफ किया कि वह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अगली शिखर बैठक में इन सभी समझौतों को अंतिम रूप देने को लेकर उत्साहित हैं।
यह संकेत है कि आने वाले महीनों में भारत और यूरोप के रिश्तों में ठोस समझौतों की दस्तक सुनाई दे सकती है। यह सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि व्यापारिक, तकनीकी और सामरिक दृष्टि से भी ऐतिहासिक क्षण होगा।
भारत-यूरोप रणनीतिक साझेदारी अब केवल कूटनीति की बात नहीं, बल्कि वास्तविक बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम है। अगर ये समझौते सफल हुए, तो भारत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान और शक्ति मिलेगी।
अब समय है कि हम इस ऐतिहासिक सहयोग को गंभीरता से लें और भारत की वैश्विक भूमिका को मजबूती से समझें। आप इस खबर को शेयर करके इस बदलाव का हिस्सा बन सकते हैं।
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