नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में तनाव बढ़ गया है। ऐसे में पाकिस्तानी सेना को भारत से जंग का डर सता रहा है। इसकी वजह से वहां के आर्मी अधिकारी और जवान लगातार इस्तीफा दे रहे हैं। इसका असली कारण पाकिस्तानी सेना में इन दिनों भीतर से भारी उथल-पुथल देखने को मिल रही है। लगातार बदलते सैन्य आदेश, मानसिक तनाव और पारिवारिक दबाव के चलते सैन्य अधिकारियों और ज्यादा जवानों ने इस्तीफा दे दिया है। यह सामूहिक विद्रोह भारत-पाक सीमा की सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल रहा है। भारत से सटी सीमा की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रही 11वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उमर अहमद बुखारी ने सेना मुख्यालय को पत्र लिखकर हालात पर गहरी चिंता जताई है।
बढ़ते तनाव में टूटा सैन्य अनुशासन
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सीमा तनाव ने पाकिस्तान सेना पर दबाव कई गुना बढ़ा दिया है। जानकारी के मुताबिक, सेना के वरिष्ठ कमांडर लगातार स्पष्ट निर्देश देने में विफल रहे हैं, जिससे सैनिकों में भ्रम और तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। कई जवानों को बिना किसी स्पष्ट योजना के एक कोर से दूसरी कोर में तैनात किया गया, जिससे वे मानसिक रूप से टूट गए हैं।
कोर बदलाव के आदेशों ने बिगाड़ा संतुलन
पिछले सप्ताह पाकिस्तानी सेना मुख्यालय ने क्वेटा और बलूचिस्तान में तैनात 12वीं कोर सहित कई अन्य कोरों के अधिकारियों और सैनिकों को भारत-पाक सीमा पर तैनात 11वीं कोर में तत्काल रिपोर्ट करने का आदेश जारी किया था। 26 अप्रैल 2025 को जनरल बुखारी ने जब इन सैनिकों की उपस्थिति और स्थिति की समीक्षा की, तो सामने आया कि करीब 100 अधिकारी और 500 से अधिक सैनिकों ने सेवा से त्यागपत्र दे दिया है। इस सामूहिक इस्तीफे का सीधा असर सीमा पर तैनात विभिन्न सैन्य यूनिट्स पर पड़ा है। पैदल सेना रेजिमेंट, उत्तरी पर्वतीय बटालियन और फ्रंट लाइन आर्टिलरी यूनिट्स में जवानों की भारी कमी देखी जा रही है, जिससे पाकिस्तान की सीमाई सुरक्षा में खामियां पैदा हो गई हैं।
मुख्यालय का सख्त रुख
इस गंभीर स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को बुखारी ने रिपोर्ट भेजी। जवाब में सेना मुख्यालय ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि मौजूदा संकट के समय कोई इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस्तीफा देने वाले अधिकारियों और सैनिकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। हालांकि, मुख्यालय ने अब तक इस्तीफा देने वालों की सटीक संख्या सार्वजनिक नहीं की है, जिससे सैन्य हालात की गंभीरता और अधिक सवालों के घेरे में आ गई है। सेना छोड़ने वाले अधिकारियों ने अपने फैसले के पीछे मुख्य रूप से बार-बार बदलते आदेश, अत्यधिक मानसिक तनाव और परिवारों पर बढ़ते दबाव को कारण बताया है।