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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारत ने यूरोपीय संघ (EU) द्वारा रूस के खिलाफ लगाए गए 18वें प्रतिबंध पैकेज को सख्त लहजे में खारिज कर दिया है। विशेषकर गुजरात की वडीनार रिफाइनरी को प्रतिबंधों की सूची में शामिल किए जाने पर भारत ने कड़ी नाराजगी जताई है और ऊर्जा व्यापार में दोहरे मापदंड अपनाने के लिए यूरोपीय देशों की आलोचना की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा- भारत एकतरफा प्रतिबंधों के सख्त खिलाफ है। हम अपने कानूनी दायित्वों का पूरी तरह से पालन करते हैं और हमारी ऊर्जा सुरक्षा हमारे नागरिकों की बुनियादी जरूरतों से जुड़ी है।
वडीनार रिफाइनरी पर EU का निशाना
EU ने 16 जुलाई को अपने 18वें प्रतिबंध पैकेज की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य रूस की तेल और ऊर्जा आय को सीमित करना है। इसमें गुजरात स्थित वडीनार रिफाइनरी को निशाना बनाया गया है, जिसे नायरा एनर्जी लिमिटेड संचालित करती है। इस रिफाइनरी में रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट की 49.13% हिस्सेदारी है। EU का आरोप है कि यह रिफाइनरी रूसी कच्चे तेल को परिष्कृत कर डीजल और जेट ईंधन जैसे उत्पादों के जरिए यूरोपीय देशों में निर्यात करती है, जिससे रूस को अप्रत्यक्ष रूप से राजस्व मिलता है।
EU का तर्क और भारत की तीखी प्रतिक्रिया
EU की विदेश नीति प्रमुख काजा कलास ने कहा- यह पहली बार है जब भारत में स्थित रोसनेफ्ट की किसी बड़ी रिफाइनरी को निशाना बनाया गया है। EU ने इसके साथ-साथ रूसी शैडो फ्लीट (पुराने टैंकरों का नेटवर्क) और रूसी तेल ले जाने वाले भारतीय जहाजों को भी प्रतिबंध के दायरे में लाने की बात कही है। भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए दो टूक कहा कि वह सिर्फ संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनुमोदित प्रतिबंधों का ही पालन करेगा और किसी भी अन्य देश के एकतरफा कदम को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
भारत-रूस की रणनीतिक साझेदारी पर असर नहीं
भारत ने स्पष्ट किया कि वह अपनी रणनीतिक स्वायत्तता से समझौता नहीं करेगा। रूस ने भी EU के इन नए प्रतिबंधों को "अवैध" करार देते हुए कहा है कि वह इनका पूरी ताकत से मुकाबला करेगा। भारत और रूस के बीच दशकों से मजबूत रणनीतिक साझेदारी है और भारत ने बार-बार दोहराया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार निर्णय लेता है, न कि बाहरी दबाव में। भारत का रुख स्पष्ट है, उसकी ऊर्जा नीति और राष्ट्रीय हित किसी बाहरी दबाव के अधीन नहीं होंगे। EU के प्रतिबंधों को खारिज करके भारत ने यह संदेश दिया है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा और रणनीतिक स्वतंत्रता को सर्वोपरि मानता है, भले ही अंतरराष्ट्रीय दबाव कुछ भी कहे।
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