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ईरान—अमेरिका—इजराइल में विनाशक हथियारों की होड़ | यंग भारत न्यूज
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।ईरान ने अपनी बैलिस्टिक मिसाइलों के ज़खीरे को मजबूत करने के लिए चीन को हज़ारों टन ईंधन का ऑर्डर दिया है। ये ईंधन ईरान की 800+ मिसाइलों को सशक्त करने में मदद करेगा। चीन का ये समर्थन अमेरिका-इज़राइल के लिए नई चुनौती बनकर उभरा है। इस कदम से पूरे मध्य-पूर्व और वैश्विक भू-राजनीति पर असर पड़ने की संभावना है।
ईरान ने हाल ही में चीन से हज़ारों टन विशेष प्रकार का ईंधन मंगवाने का निर्णय लिया है, जिसे मुख्यतः बैलिस्टिक मिसाइलों में उपयोग किया जाता है। इस कदम ने पश्चिमी देशों में चिंता की लहर दौड़ा दी है क्योंकि यह सीधा-सीधा ईरान की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान के पास पहले से ही लगभग 800 बैलिस्टिक मिसाइलें मौजूद हैं और अब वह चीन से आने वाले ईंधन से इन्हें अपग्रेड या संख्या में वृद्धि करने की योजना पर काम कर रहा है।
ईरान के इस कदम के पीछे चीन की भूमिका?
चीन और ईरान के बीच बीते कुछ वर्षों में व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध बेहद गहरे हुए हैं। चीन, जो अमेरिका और यूरोप से टकराव की राह पर है, अब अपने रणनीतिक साझेदारों को सैन्य सहयोग देकर एक नए तरह की विश्व व्यवस्था को आकार देने की कोशिश कर रहा है।
ईरान की बदला लेने की तड़फ
अमेरिका से बदला लेने की भूख: चीन भी अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से खफा है।
ऊर्जा निर्भरता: चीन ईरान से भारी मात्रा में तेल लेता है।
जियो-पॉलिटिकल संतुलन: चीन चाहता है कि पश्चिम एशिया में अमेरिकी प्रभाव को चुनौती दी जाए।
पश्चिम एशिया के लिए खतरनाक है ईरान की सैन्य ताकत
ईरान की सैन्य शक्ति पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है। बैलिस्टिक मिसाइलों, ड्रोन्स और प्रॉक्सी आतंकवादी संगठनों के सहारे वह पूरे मिडल ईस्ट में प्रभाव जमाने में सफल रहा है।
आयाम | ईरान |
बैलिस्टिक मिसाइलें | 800+ |
क्रूज़ मिसाइलें | 200+ |
ड्रोन्स | 3,000+ |
परमाणु क्षमता | अर्ध-प्रयुक्त (90% यूरेनियम संवर्धन के करीब) |
सक्रिय सैनिक | 5 लाख |
रक्षा बजट | $24 अरब |
अमेरिका और इज़राइल की सैन्य क्षमता के मुकाबले कहां ठहरता है ईरान?
पैरामीटर | अमेरिका | इज़राइल | ईरान |
रक्षा बजट | $877 अरब | $24 अरब | $24 अरब |
बैलिस्टिक मिसाइलें | हजारों की संख्या | 200+ | 800+ |
परमाणु हथियार | 5,200 | संभावित (गुप्त) | निर्माणाधीन |
एयरफोर्स | सबसे उन्नत | हाईटेक | सीमित क्षमता |
ड्रोन्स | अत्याधुनिक | एडवांस्ड | संख्या में अधिक |
वैश्विक सैन्य ठिकाने | 800+ | सीमित | लगभग शून्य |
इस तुलनात्मक अध्ययन से स्पष्ट है कि ईरान अभी भी अमेरिका-इज़राइल से पीछे है, लेकिन उसके कदम चुनौतीपूर्ण हैं।
क्या ईरान परमाणु हथियार बनाने की ओर बढ़ रहा है?
संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका की हालिया रिपोर्ट्स बताती है कि ईरान अब 90% तक संवर्धित यूरेनियम स्टॉक कर चुका है, जो परमाणु हथियारों के निर्माण के लिए जरूरी होता है। अमेरिका और इज़राइल दोनों ने इस पर गंभीर चिंता जताई है।
इस डील से मिडल ईस्ट की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा?
सऊदी अरब और UAE चिंतित: ईरान की बढ़ती ताकत इनके लिए सीधी चुनौती।
हिज़्बुल्लाह और हमास को बढ़ेगा समर्थन: ईरान का सैन्य सशक्तिकरण इनके लिए ताकत बनेगा।
इज़राइल की प्रीएम्पटिव स्ट्राइक की संभावना: इज़राइल पहले हमला कर सकता है।
वैश्विक राजनीति में बढ़ेगा टेंशन
नई शीत युद्ध की शुरुआत: अमेरिका-चीन के बीच तनाव और बढ़ेगा।
पश्चिमी देशों में असहजता: यूरोप इस डील को खतरे के तौर पर देख रहा है।
एशियाई रणनीति बदलेगी: भारत, जापान और दक्षिण कोरिया अपने रक्षा समीकरणों पर दोबारा विचार कर सकते हैं।
ईरान की तैयारी इन देशों को चेतावनी
- ईरान की तैयारी केवल इज़राइल या सऊदी के लिए नहीं, बल्कि समूची वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा है।
- चीन का प्रत्यक्ष समर्थन यह संकेत देता है कि वह अब भू-राजनीति में खुले तौर पर हस्तक्षेप कर रहा है।
- रूस, चीन, ईरान जैसे देशों का गठजोड़ अमेरिका के वैश्विक प्रभुत्व को चुनौती दे रहा है।
ईरान की मिसाइल क्षमता और परमाणु आकांक्षा को चीन से मिल रही मदद, वैश्विक शक्ति संतुलन को डगमगाने की ओर ले जा रही है। अमेरिका-इज़राइल की जवाबी रणनीति क्या होगी, इस पर आने वाले कुछ महीनों में दुनिया की नजर रहेगी।
क्या आपको लगता है कि ईरान और चीन का यह सैन्य गठजोड़ वैश्विक शांति के लिए खतरा बन सकता है? अपनी राय नीचे कमेंट करें।
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