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Japan ने रचा इतिहास: 10.20 लाख Gbps इंटरनेट स्पीड से बनाया नया विश्व रिकॉर्ड

जापान ने इंटरनेट स्पीड में नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हुए 10.20 लाख Gbps (1.02 पेटाबिट्स प्रति सेकंड) की रफ्तार हासिल की है। इस स्पीड पर 10,000 से ज्यादा 4K फिल्में एक सेकेंड में डाउनलोड की जा सकती हैं। 

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Ranjana Sharma
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: जापान ने एक बार फिर इंटरनेट स्पीड के क्षेत्र में नया इतिहास रच दिया है। जापान की एक शोध टीम ने 10.20 लाख गीगाबिट्स प्रति सेकंड (Gbps) की स्पीड हासिल कर एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बना लिया है। इस स्पीड से कोई व्यक्ति सिर्फ एक सेकंड में नेटफ्लिक्स की पूरी लाइब्रेरी या 10,000 से ज्यादा 4K मूवीज़ डाउनलोड कर सकता है। इतना ही नहीं, 150 जीबी का भारी-भरकम गेम भी महज 3 मिलीसेकंड में डाउनलोड हो जाएगा।

पहले भी जापान के नाम था रिकॉर्ड

यह उपलब्धि इंटरनेट की औसत स्पीड की तुलना में चौंकाने वाली है। उदाहरण के लिए, भारत की औसत इंटरनेट स्पीड 63.55 Mbps है, जो इस रिकॉर्ड के मुकाबले करीब 1.6 करोड़ गुना धीमी है। वहीं अमेरिका की औसत स्पीड से यह लगभग 35 लाख गुना तेज है। यह पहला मौका नहीं है जब जापान ने इंटरनेट स्पीड का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया हो। मार्च 2024 में भी जापान ने 402 टेराबिट्स प्रति सेकंड (यानी 50,250 Gbps) की स्पीड हासिल कर दुनिया को चौंका दिया था। उस समय यह उपलब्धि स्टैंडर्ड ऑप्टिकल फाइबर केबल्स का उपयोग करके पाई गई थी।

19-कोर ऑप्टिकल फाइबर ने बदल दिया खेल

इस बार का रिकॉर्ड नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशंस टेक्नोलॉजी (NICT) और सुमितोमो इलेक्ट्रिक इंडस्ट्रीज की एक जॉइंट टीम ने जून 2025 में बनाया। टीम ने 1.02 पेटाबिट्स प्रति सेकंड की डेटा ट्रांसफर स्पीड हासिल की, जो अब तक की सबसे तेज गति है। इस सफलता के पीछे 19-कोर ऑप्टिकल फाइबर टेक्नोलॉजी का बड़ा हाथ है। यह फाइबर केबल आम फाइबर के बराबर ही पतली (0.125 मिमी) होती है, लेकिन इसमें 19 अलग-अलग कोर होते हैं, यानी डेटा को एक साथ 19 अलग-अलग चैनलों से भेजा जा सकता है।

आसान शब्दों में समझें

अगर आम फाइबर एकल लेन की सड़क है, तो 19-कोर फाइबर 19-लेन हाईवे की तरह है, जिसमें हर लेन से अलग डेटा ट्रैफिक बहता है। इससे ट्रैफिक यानी डेटा ट्रांसफर की रफ्तार कई गुना बढ़ जाती है।

सिग्नल को 1,800 किमी दूर तक पहुंचाया गया

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इतना ही नहीं, वैज्ञानिकों ने इस सिस्टम के साथ खास एम्प्लिफायर्स का भी इस्तेमाल किया, जो डेटा सिग्नल को बिना कमजोर हुए 1,808 किलोमीटर की दूरी तक पहुंचा सकते हैं।
यह एम्प्लिफायर्स एक तरह से थक चुके सिग्नल को एनर्जी पिलाने का काम करते हैं, जिससे वह और लंबी दूरी तय कर सके।

क्या यह स्पीड आम लोगों को मिलेगी?

फिलहाल यह टेक्नोलॉजी केवल लैबोरेटरी स्तर पर परीक्षण के रूप में मौजूद है और आम उपयोगकर्ताओं तक पहुंचने में कुछ समय लगेगा। इसके सामने कुछ बड़ी चुनौतियां हैं:

  • उच्च लागत: इतनी तेज स्पीड वाले सिस्टम को व्यावसायिक तौर पर लागू करना बेहद महंगा है।
  • हार्डवेयर सीमाएं: मौजूदा डिवाइसेज़, जैसे राउटर्स और सर्वर, इतनी स्पीड को हैंडल नहीं कर सकते।
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड: हालांकि यह टेक्नोलॉजी मौजूदा फाइबर नेटवर्क से मेल खाती है, लेकिन इसे बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए नेटवर्क में बड़े बदलाव करने होंगे। japan
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