नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। अमेरिका के कोलोराडो में यहूदी प्रदर्शनकारियों पर बड़ा हमला हुआ है। कोलराडो के बोल्डर शहर में रविवार को ‘इजरायली बंधकों की रिहाई’ की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन हो रहा था, इस दौरान प्रदर्शनकारियों पर अचानक हमला कर दिया गया। घटना में छह लोग गंभीर रूप से झुलसे हैं और कई अन्य घायल हुए हैं। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
घायल अस्पताल में भर्ती
यह कार्यक्रम "Run for Their Lives" नाम से आयोजित किया गया था, जिसमें यहूदी समुदाय के लोग गाज़ा में बंधक बनाए गए इजरायली नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए एकजुट हुए थे। इसी दौरान हमलावर आया और उसने फ्री फिलिस्तीन के नारे लगाते हुए मोलोटोव कॉकटेल (जलता बोतल बम) से हमला कर दिया। बच्चों और बुजुर्गों समेत दर्जनों लोग वहां मौजूद थे। पीड़ितों में एक 88 वर्षीय होलोकॉस्ट सर्वाइवर भी शामिल है। घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
माली के वेष में आया हमलावर
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एक व्यक्ति माली (लैंडस्केपर) के वेष में प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचा। उसने ‘फ्री फिलिस्तीन’ के नारे लगाए और फिर अचानक मोलोटोव कॉकटेल और एक आग उगलने वाले उपकरण से हमला बोल दिया।
कौन है हमलावर?
एफबीआई ने हमलावर की पहचान 45 वर्षीय मोहम्मद सबरी सोलिमन के रूप में की है, जो कोलोराडो स्प्रिंग्स का निवासी है। उसे मौके से गिरफ्तार कर लिया गया। एफबीआई ने इस हमले को "जानबूझकर किया गया आतंकी कृत्य" बताया है, जो कट्टरपंथी विचारधारा से प्रेरित था। एफबीआई निदेशक काश पटेल ने सोशल मीडिया पर बयान जारी करते हुए कहा, “हम इसे धार्मिक घृणा से प्रेरित आतंकी हमला मानते हैं। जांच जारी है और हम दोषियों को कठोरतम सज़ा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
नफरत से प्रेरित कायराना हरकत
कोलोराडो के गवर्नर जैरेड पोलिस और राज्य के अटॉर्नी जनरल फिल वाइज़र ने इस हमले की निंदा करते हुए कहा है कि यह "नफरत से प्रेरित कायराना हरकत" है। पुलिस और संघीय एजेंसियां इस मामले की तह तक जाने के लिए मिलकर काम कर रही है।
अमेरिका में बढ़ रही धार्मिक हिंसा पर सवाल
यह हमला उस समय हुआ है, जब अमेरिका में यहूदियों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। एफबीआई के आंकड़ों के अनुसार, हाल के वर्षों में यहूदी विरोधी हमलों में 60% से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। यह केवल अमेरिका के धार्मिक ताने-बाने के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक सहिष्णुता के लिए भी एक खतरे की घंटी है।
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