भारत में “मेक इन इंडिया” के तहत बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमानों का निर्माण होगा। इसके लिए लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनियों को आमंत्रित किया गया है। स्वीडिश एयरोस्पेस कंपनी “साब” भारत में कारखाने का निर्माण करने में रूचि भी दिखाई है। बता दें कि यह कंपनी पहले ही सौ प्रतिशत निवेश करते हुए भारत में रॉकेट लांचर निर्माण कारखाना स्थापित कर चुकी है। इस कारखाने में 2025 तक उत्पादन भी होने लगेगा।
क्या बोले “साब इंडिया” के एमडी
साब इंडिया के प्रबंध निदेशक मट्स प्लंबर्ग ने मीडिया को बताया है कि उनके लड़ाकू विमान “ग्रिपेन” का चयन “मेक इन इंडिया” के तहत हुआ तो वे भारत में कारखाना स्थापित करने के लिए तैयार हैं। भारत बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान (एमआरएफए) की दौड़ में दुनिया की कई कंपनियां शामिल हो रही हैं, इनमें बोइंग, लॉकिड मार्टिन, दसॉल्ट और मिग-35 जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं। मट्स प्लंबर्ग ने कहा कि भारत में हमारे कई संभावित सहयोगी हैं। हम कारखाना स्थापित करने के साथ ही मेक इन इंडिया को भी मदद करेंगे।
100 प्रतिशत निवेश वाली पहली कंपनी है “साब”
100 प्रतिशत निवेश के साथ भारत में कारखाना स्थापित करने वाली “सॉब” पहली ही विदेशी कंपनी होने का श्रेय रॉकेट लांचर निर्माण कारखाना स्थापित कर ले चुकी है। यह कारखाना हरियाणा के झज्जर में बनकर तैयार हो चुका है और इस साल के अंत तक उत्पादन शुरू करने की तैयारी है। इस कारखाने में कार्ल गुस्ताक एम-4 का निर्माण होना है। यह हैंड हैल्ड रॉकेट लांचर है। हैंड हैल्ड का मतलब है कि सैनिक इसे अपने कंधे पर रखकर लांच कर सकता है और 400 मीटर की दूरी तक अचूक टारगेट करने में सक्षम है।
500 करोड़ का निवेश कर रही कंपनी
“साब” झज्जर में बन रहे रॉकेट लांचर कारखाने पर करीब पांच सौ करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। बता दें कि यह कंपनी भारतीय सेना को 84 एम4 वैपन सिस्टम की सप्लाई भी कर चुकी है। “साब” बेंगलुरू में एयर शो के दौरान अपने रक्षा उत्पाद प्रदर्शित करेगी, इसमें लड़ाकू विमान ग्रिपेन (इसी के निर्माण का प्रस्ताव है) का भी प्रदर्शन किया जाएगा। कंपनी तीनों सेनाओं के काम के हथियार इस प्रदर्शनी में लेकर आ रही है।