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SCO मंच से पीएम मोदी ने अमेरिका को सुनाई खरी-खरी, आतंकवाद पर पाकिस्तान को घेरा | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।चीन के तियानजिंग शहर में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन की बैठक को संबोधित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना नाम लिए आतंकवाद पर बिना नाम लिए जहां पाकिस्तान को घेरा तो वहीं संरक्षणवादी, एकतरफा और वर्चस्ववादी रवैये के खिलाफ अमेरिका को भी खरी खरी सुनाई। पीएम मोदी यहीं नहीं रूके उन्होंने आगे कहा कि भारत ने सीमा पार आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस के दृष्टिकोण की लगातार अपील की है।
आपको बता दें कि अमेरिका की टैरिफ से जब दुनिया उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है, ऐसे में चीन में हो रहा शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का शिखर सम्मेलन उम्मीद की एक नई किरण लेकर आया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का एक मंच पर आना सिर्फ एक मुलाकात नहीं, बल्कि कूटनीति का एक नया अध्याय है। जहां एक ओर अमेरिका का 'टैरिफ बम' दुनिया को झकझोर रहा है, वहीं इन तीन महाशक्तियों की गर्मजोशी भरी मुलाकात कई सवालों को जन्म दे रही है।
क्या यह त्रिवेणी संगम दुनिया की दिशा को बदल पाएगा? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के तियानजिन में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। इस दौरान उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बातचीत की।
मंच पर इन तीनों नेताओं का एक साथ आना और गर्मजोशी से मिलना, वैश्विक राजनीति में एक नया समीकरण गढ़ता नजर आ रहा है। यह सिर्फ एक प्रतीकात्मक तस्वीर नहीं है, बल्कि दुनिया को एक मजबूत संदेश देने की कोशिश है कि आज की चुनौतियों का सामना करने के लिए ये देश एक साथ खड़े हैं।
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चीन ने SCO को दी बड़ी ताकत
सम्मेलन की शुरुआत में, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एससीओ सदस्य देशों के लिए 281 मिलियन अमेरिकी डॉलर की ग्रांट देने की घोषणा कर सबको चौंका दिया। यह ग्रांट सदस्य देशों की आर्थिक और विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए दी जाएगी। जिनपिंग ने अपने उद्घाटन भाषण में "शंघाई भावना" का जिक्र किया, जो आपसी विश्वास, लाभ, समानता और साझा विकास पर आधारित है। उन्होंने कहा कि एससीओ ने ही आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद जैसी "तीन शक्तियों" के खिलाफ एकजुट कार्रवाई की नींव रखी थी।
मोदी की 'त्रिकोणीय' कूटनीति
पीएम मोदी की चीन यात्रा बेहद अहम मानी जा रही है। उन्होंने चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग से पहले ही द्विपक्षीय बातचीत की थी, और अब रूसी राष्ट्रपति पुतिन से उनकी मुलाकात हुई है। ये मुलाकातें सिर्फ औपचारिकता नहीं हैं, बल्कि भारत की 'त्रिकोणीय' कूटनीति का हिस्सा हैं। भारत एक ओर अमेरिका के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है, वहीं दूसरी ओर चीन और रूस जैसे देशों के साथ भी संतुलन बनाए रखना चाहता है। यह कूटनीति भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत और स्वतंत्र आवाज बनने में मदद करती है। मोदी का यह कदम दिखाता है कि भारत अब किसी भी एक खेमे तक सीमित नहीं है, बल्कि अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखकर आगे बढ़ रहा है।
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ट्रंप के 'टैरिफ बम' के बीच SCO की अहमियत
डोनाल्ड ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति ने वैश्विक व्यापार और कूटनीति में उथल-पुथल मचा रखी है। उन्होंने चीन और अन्य देशों पर जो 'टैरिफ बम' बरसाए हैं, उससे दुनिया में ना-उम्मीदी का माहौल है। ऐसे में एससीओ जैसे संगठन और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। यह संगठन सदस्य देशों को आपसी सहयोग, व्यापार और सुरक्षा के क्षेत्र में काम करने का मौका देता है। चीन की 281 मिलियन डॉलर की ग्रांट, इसी सहयोग का एक बड़ा उदाहरण है। यह कदम अमेरिका के एकतरफा फैसलों के खिलाफ एक मजबूत संदेश भी है। यह शिखर सम्मेलन सिर्फ नेताओं की मुलाकात तक सीमित नहीं है।
यहां आतंकवाद से लड़ने, क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हो रही है। पीएम मोदी अपने संबोधन में भारत की ओर से इन सभी मुद्दों पर अपना पक्ष रख रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि ये तीन महाशक्तियां — भारत, रूस और चीन — मिलकर दुनिया के सामने मौजूद चुनौतियों का समाधान कैसे करती हैं। क्या ये 'त्रिकोणीय' कूटनीति वैश्विक शक्ति संतुलन को बदल पाएगी? समय ही बताएगा।
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