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ट्रम्प से नजदीकी के लिए मोदी का नया दांव, जानिए क्या है नई रणनीति

मर्करी को हायर करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ट्रम्प की करीबी सहयोगी और उनकी चीफ ऑफ स्टाफ सूसी विल्स इस फर्म के वाशिंगटन डीसी और फ्लोरिडा कार्यालयों की प्रमुख हुआ करती थीं।

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Shailendra Gautam
Donald Trump PM Modi

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः अमेरिका के साथ व्यापार तनाव बढ़ने के साथ भारत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ जुड़ने के लिए एक नई लॉबिंग फर्म को हायर किया है। वाशिंगटन, डीसी स्थित भारतीय दूतावास ने हाल ही में पूर्व सीनेटर डेविड विटर के नेतृत्व वाली फर्म मर्करी पब्लिक अफेयर्स के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। माना जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका से संबंध सामान्य बनाना चाहते हैं। उनके इशारे पर ही दूतावास ने मर्करी के साथ हाथ मिलाया है। 

मर्करी और भारतीय दूतावास के बीच समझौता 

विदेशी एजेंट पंजीकरण अधिनियम (FARA) के तहत मर्करी और भारतीय दूतावास के बीच यह समझौता अगस्त 2025 के मध्य से नवंबर 2025 तक चलेगा। इस समझौते के तहत, भारत इस फर्म को तीन महीने की अवधि के लिए प्रति माह $75,000 (65,47,948 रुपये) का भुगतान करेगा, जो कुल मिलाकर $225,000 (1,96,43,844 रुपये) होगा।

मर्करी को काम सौंपा गया है कि वो अमेरिकी राजनीतिक परिदृश्य में रणनीतिक सलाहकार सेवा के जरिये ट्रम्प को मनाने की कोशिश करे।

ट्रम्प की खासमखास सूसी विल्स पहले थीं मर्करी की चीफ

मर्करी को हायर करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ट्रम्प की करीबी सहयोगी और उनकी चीफ ऑफ स्टाफ सूसी विल्स इस फर्म के वाशिंगटन डीसी और फ्लोरिडा कार्यालयों की प्रमुख हुआ करती थीं। ट्रम्प के सत्ता में लौटने के बाद से मर्करी के साथ काम करने वाली भारत अकेली विदेशी सरकार नहीं है। डेनमार्क, इक्वाडोर, आर्मेनिया और दक्षिण कोरिया के दूतावासों ने भी इस फर्म को हायर कर रखा है।

ट्रम्प ने भारत पर लगाया है 50% का टैरिफ

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भारत को लॉबिंग की बेहद जरूरत है क्योंकि ट्रम्प प्रशासन ने  रूसी तेल की निरंतर खरीद का हवाला देते हुए 50% का टैरिफ लगा दिया है। अमेरिका भारत से पहले 25% टैरिफ वसूल करता था। 27 अगस्त, 2025 से 25% अतिरिक्त टैरिफ दंड के तौर पर लिया जाना है। टैरिफ वार का असर भारत का कारोबारियों को झेलना पड़ रहा है। अमेरिका भेजा जाने वाला सामान काफी महंगा हो गया है। इसकी वजह से दूसरे देशों के कारोबारियों को फायदा पहंच रहा है। मोदी के लिए जरूरी है कि वो अमेरिका को मनाएं। यही वजह है कि भारतीय दूतावास ने ऐसी कंपनी से करार किया जो पहले ही ट्रम्प की गुडलिस्ट में शामिल है।

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