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Mosad ने पता लगा लिया वह सीक्रेट ठिकाना जहां Iran ने कहां छिपा रखा है यूरेनियम? | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान के हथियार-ग्रेड यूरेनियम के भंडार का पता लगा लिया है। यह खुलासा ऐसे समय हुआ है जब ईरान पर परमाणु हथियार बनाने के आरोप लग रहे हैं। मोसाद ने इस काम के लिए अपनी महिला एजेंट्स को भी ईरान में तैनात किया था। जेरूसलम पोस्ट ने खबर दी है कि इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान के हथियार-ग्रेड यूरेनियम के सीक्रेट ठिकाने का पता लगा लिया है। यह खबर तब सामने आई है जब ईरान और पश्चिमी देशों के बीच परमाणु कार्यक्रम को लेकर तनाव अपने चरम पर है।
यूरेनियम का रहस्य और ईरान का कबूलनामा
संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था आईएईए के अनुसार, जून में इजराइल और अमेरिका के हवाई हमलों से पहले ईरान के पास 440.9 किलोग्राम यूरेनियम था, जो 60% तक संवर्धित था। यह मात्रा परमाणु हथियार बनाने के लिए काफी है। बस इसमें थोड़ा-सा और संवर्धन करना बाकी है।
इस यूरेनियम भंडार को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय लगातार ईरान पर दबाव बना रहा था, लेकिन ईरान ने चुप्पी साध रखी थी। 11 सितंबर को ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने एक चौंकाने वाला बयान दिया था। उन्होंने स्वीकार किया कि इजराइल और अमेरिका के हमलों के बाद यह हाई ग्रेड यूरेनियम भंडार मलबे के नीचे दबा हुआ है।
उनका यह बयान उस समय आया जब आईएईए ने ईरान के संवर्धित यूरेनियम भंडार को "गंभीर चिंता का विषय" बताया था और कहा था कि जून के हमलों के बाद से उसे ईरान की परमाणु गतिविधियों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है।
क्या ईरान परमाणु हथियार बना सकता है?
जानकार मानते हैं कि अगर ईरान अपनी तबाह हुई परमाणु साइट्स को फिर से बनाना शुरू भी करता है, तो भी उसे परमाणु हथियार बनाने में लगभग 2 साल का वक्त लगेगा। यह जानकारी इजराइली आर्मी से जुड़े अफसरों के हवाले से दी गई है। यह समय इजराइल और अन्य देशों को पर्याप्त मौका देता है कि वे ईरान को ऐसा करने से रोक सकें। लेकिन यह भी एक बड़ी चिंता है कि क्या ईरान इस बीच कोई गुप्त योजना बना रहा है?
मोसाद की महिला जासूसों ने रचा इतिहास
इस पूरे ऑपरेशन में मोसाद की महिला एजेंट्स की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जेरूसलम पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, जून में तेहरान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों पर हुए हमलों के दौरान दर्जनों महिला मोसाद एजेंट्स को ईरान भेजा गया था।
मोसाद के डायरेक्टर डेविड बार्निया ने भी 12 दिनों के इस संघर्ष में महिलाओं की भूमिका को बेहद अहम बताया था।
निगरानी से लेकर जमीनी ऑपरेशन तक: इन महिला एजेंट्स ने निगरानी करने से लेकर जमीनी स्तर पर ऑपरेशंस को अंजाम देने तक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सैकड़ों एजेंट्स का बड़ा नेटवर्क: बार्निया ने सैकड़ों एजेंट्स को एक साथ ईरान में कई ऑपरेशंस के लिए भेजा था, जिसमें रडार प्लेटफॉर्म और बैलिस्टिक मिसाइलें भी उनके निशाने पर थीं।
महिलाओं का अहम योगदान: यह पहली बार नहीं है कि मोसाद ने किसी ऑपरेशन में महिलाओं को इतनी बड़ी संख्या में शामिल किया हो।
इन महिला एजेंट्स की तैनाती और उनके काम करने के तरीके के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि मोसाद अपने दुश्मनों की जासूसी करने के लिए हर संभव रणनीति का इस्तेमाल कर रहा है। यह घटनाक्रम सिर्फ ईरान और इजराइल के बीच का संघर्ष नहीं है, बल्कि वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा भी है।
अगर ईरान परमाणु हथियार बनाने में सफल होता है, तो इससे पूरे मध्य पूर्व में हथियारों की होड़ शुरू हो सकती है, जो पहले से ही अस्थिर इस क्षेत्र को और भी ज्यादा खतरनाक बना देगी। इस खुलासे के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि ईरान और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की क्या प्रतिक्रिया होती है।
क्या ईरान अपने यूरेनियम भंडार को नष्ट करने के लिए सहमत होगा? या फिर वह अपने परमाणु कार्यक्रम को जारी रखेगा?
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