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Nepal में China's economic crisis deepens को अपनी 'कर्ज जाल' नीति से घुसपैठ का मौका दे रहा है। जानें कैसे China का दबदबा India के लिए बड़ी चुनौती है? | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।भारत का पड़ोसी देश नेपाल, जो कभी अपनी प्राकृतिक सुंदरता और हिंदू राष्ट्र के लिए जाना जाता था, आज गंभीर आर्थिक संकट में फंसा हुआ है। इस संकट के बीच चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों के साथ नेपाल में घुसपैठ कर रहा है। नेपाल की डूबती अर्थव्यवस्था और बढ़ते कर्ज का फायदा उठाकर चीन उसे अपने कर्ज जाल में फंसाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में भारत के लिए क्या चुनौतियां हैं और क्या इसका असर भारत पर भी पड़ेगा?
नेपाल आज इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है, जिससे जनता में सरकार के प्रति भारी आक्रोश है। हाल ही में, नेपाल में सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया गया, जिससे लोगों का गुस्सा और भड़क उठा। देश के हालात इतने खराब हो गए हैं कि कई जगहों पर कर्फ्यू तक लगाना पड़ा। इस अस्थिरता के बीच, चीन नेपाल में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है।
नेपाल की राजनीतिक पार्टियां अंदरूनी कलह में उलझी हुई हैं और चीन इसी का फायदा उठा रहा है। चीन नेपाल में भारी मात्रा में निवेश कर रहा है, खासकर बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्ट्स में। चीन का यह निवेश नेपाल को कर्ज के जाल में फंसाने की एक सोची-समझी रणनीति है। चीन की यह 'कर्ज जाल' नीति श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देशों में भी देखी गई है।
चीन की 'कर्ज जाल' कूटनीति : नेपाल को गुलाम बनाने की साजिश?
चीन ने नेपाल के कई बड़े प्रोजेक्ट्स में भारी निवेश किया है। इनमें से एक है पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जिसे बनाने के लिए चीन ने नेपाल को 215 मिलियन डॉलर का कर्ज दिया था। यह कर्ज अब नेपाल की अर्थव्यवस्था पर एक बड़ा बोझ बन गया है। लेकिन, चीन सिर्फ आर्थिक मदद ही नहीं दे रहा, बल्कि वह नेपाल की राजनीति में भी सीधे दखल दे रहा है। वह नेपाल के वामपंथी दलों को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है ताकि एक चीन-समर्थक सरकार बनाई जा सके। चीन के इस हस्तक्षेप से नेपाल की संप्रभुता खतरे में है।
भारत के लिए बढ़ती चिंताएं
नेपाल की चीन के प्रति बढ़ती निर्भरता भारत के लिए चिंता का विषय है। भारत और नेपाल के बीच सदियों से गहरे सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच खुली सीमा है, जो दोनों की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अगर चीन नेपाल में अपनी पकड़ मजबूत कर लेता है, तो इसका सीधा असर भारत की सुरक्षा पर पड़ेगा।
चीन भारत की उत्तरी सीमा पर नेपाल के रास्ते घुसपैठ करने की कोशिश कर सकता है। चीन की 'कर्ज जाल' नीति का एक और उदाहरण चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर है, जिसका उपयोग चीन भारत के खिलाफ कर सकता है।
आगे की राह: भारत क्या करे?
भारत को नेपाल के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करना होगा। भारत को नेपाल को आर्थिक और तकनीकी सहायता देनी चाहिए। भारत को नेपाल में निवेश बढ़ाना चाहिए और उसे आत्मनिर्भर बनाने में मदद करनी चाहिए।
भारत को नेपाल के साथ अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को भी बढ़ावा देना चाहिए। नेपाल में हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म के प्रति लोगों का सम्मान है, जिसका लाभ भारत उठा सकता है। भारत को नेपाल में आध्यात्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा देना चाहिए, ताकि नेपाल की अर्थव्यवस्था मजबूत हो सके।
अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि नेपाल की अस्थिरता और चीन का बढ़ता दखल भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है। भारत को तुरंत इस पर ध्यान देना होगा और अपनी 'पड़ोसी पहले' की नीति को और प्रभावी ढंग से लागू करना होगा।
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