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राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने भंग की प्रतिनिधि सभा, Nepal में कब होगा चुनाव?

नेपाल में जारी सियासी संकट के बाद राष्ट्रपति पौडेल ने प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया है। युवाओं के हिंसक प्रदर्शन के बाद पूर्व पीएम ओली का इस्तीफा हुआ, जिसके बाद पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की देश की पहली महिला कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनी हैं।

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Ajit Kumar Pandey
राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने भंग की प्रतिनिधि सभा, Nepal में कब होगा चुनाव? | यंग भारत न्यूज

राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने भंग की प्रतिनिधि सभा, Nepal में कब होगा चुनाव? | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।नेपाल में आखिरकार कई दिनों की राजनीतिक उथल-पुथल का अंत हो गया है। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने न केवल प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया है, बल्कि देश को उसकी पहली महिला प्रधानमंत्री भी मिली है। 

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की ने बीते शुक्रवार की देर रात अंतरिम प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण कर ली। इनका मुख्य कार्य अगले छह महीनों के भीतर संसदीय चुनाव कराना है। यह घटनाक्रम युवाओं के बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद हुआ है, जिसके चलते पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा था। 

नेपाल की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ तब आया जब युवाओं के हिंसक प्रदर्शन, जिनमें 51 लोगों की जान चली गई। इसके बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने प्रतिनिधि सभा (संसद) भंग कर दी है और पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की को देश की पहली महिला कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। 

अब नई सरकार के पास अगले 6 महीनों में निष्पक्ष चुनाव कराने की बड़ी जिम्मेदारी है। 

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संसद भंग, नई सरकार का गठन

नेपाल में बीते कुछ दिनों से जारी सियासी उठापटक और हिंसा का आखिरकार अंत होता दिख रहा है। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने नवनियुक्त प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की सिफारिश पर शुक्रवार को प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया है। 

यह फैसला उन हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद लिया गया, जिन्होंने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इन विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व मुख्य रूप से जेन जेड पीढ़ी के युवाओं ने किया था, जो भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंधों से नाराज थे। 

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इस अप्रत्याशित घटनाक्रम में देश को उसकी पहली महिला प्रधानमंत्री मिली हैं। 73 वर्षीय पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का मुखिया बनाया गया है। राष्ट्रपति पौडेल ने उन्हें पद की शपथ दिलाते हुए साफ कर दिया है कि उनकी सरकार का मुख्य दायित्व अगले छह महीने के भीतर यानी 21 मार्च 2026 तक नए संसदीय चुनाव कराना है। 

यह सब तब शुरू हुआ जब युवाओं, खासकर जेन जेड समूह ने भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और सोशल मीडिया पर प्रतिबंधों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू किए। ये प्रदर्शन इतने हिंसक हो गए कि इनमें एक भारतीय नागरिक समेत 51 लोगों की मौत हो गई। इन प्रदर्शनों का दबाव इतना ज्यादा था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। 

भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद: प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगों में सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करना और अपने लोगों को फायदा पहुंचाने की नीति को बंद करना था। 

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सोशल मीडिया पर प्रतिबंध: युवाओं में गुस्सा इस बात पर भी था कि सरकार सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगा रही थी, जिससे उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बाधित हो रही थी। 

हिंसक झड़पें: विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई हिंसक झड़पों में 51 लोगों की मौत हुई, जिसने सरकार पर भारी दबाव बना दिया। 

सुशीला कार्की: न्यायपालिका से प्रधानमंत्री पद तक का सफर 

नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में सुशीला कार्की का चयन अपने आप में ऐतिहासिक है। वह नेपाल की पूर्व प्रधान न्यायाधीश रह चुकी हैं और उनकी छवि एक ईमानदार और निष्पक्ष न्यायविद की है। उनकी नियुक्ति इस बात का संकेत है कि देश की राजनीतिक अस्थिरता को दूर करने के लिए न्यायपालिका पर भरोसा किया गया है। 

शपथ ग्रहण समारोह में सिर्फ केवल पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई ही मौजूद थे। कार्की की नियुक्ति की खबर फैलते ही युवाओं के समूह ने काठमांडू स्थित राष्ट्रपति कार्यालय के बाहर जीत का जश्न मनाया।

कार्यवाहक सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती न केवल शांति और व्यवस्था बनाए रखना है, बल्कि तय समय में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना भी है। राष्ट्रपति पौडेल ने प्रधानमंत्री कार्की से इस बारे में विचार-विमर्श किया और उन्होंने प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं, कानूनी विशेषज्ञों और नागरिक समाज के सम्मानित व्यक्तियों से भी राय ली। 

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सुशीला कार्की की सरकार नेपाल को राजनीतिक स्थिरता के रास्ते पर ले जा पाएंगी और युवाओं के भरोसे को कायम रख पाएंगी। 

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