नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । क्या अमेरिका की जिद एक और वैश्विक संकट को जन्म देगी? ईरान ने स्पष्ट कर दिया – यूरेनियम एनरिचमेंट रोका तो समझौता नहीं होगा! परमाणु डील की उम्मीदें फिर धुंधली होती दिख रहीं हैं। अमेरिका और ईरान के रिश्तों में फिर तल्खी बढ़ने लगी है। ईरानी विदेश मंत्री का बयान – 'दबाव नहीं, बराबरी चाहिए!'
ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु समझौते को लेकर एक बार फिर गतिरोध गहराता जा रहा है। ईरानी विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने साफ कर दिया है कि अगर अमेरिका यूरेनियम संवर्धन (एनरिचमेंट) रोकने की शर्त पर अड़ा रहा, तो परमाणु समझौता संभव नहीं होगा। उनका यह बयान अमेरिका के उस दबाव के बाद आया है जिसमें वॉशिंगटन ईरान से यूरेनियम संवर्धन पर रोक की मांग कर रहा है।
ईरानी विदेश मंत्री का सख्त संदेश
तेहरान में मीडिया से बात करते हुए ईरानी विदेश मंत्री ने कहा, "अगर अमेरिका समझता है कि वो दबाव बनाकर हमें झुका लेगा, तो यह उसकी भूल है। ईरान कभी भी अपने वैध अधिकारों से पीछे नहीं हटेगा। यूरेनियम एनरिचमेंट पर रोक हमारी वैज्ञानिक प्रगति को बाधित करेगा, और हम ऐसा नहीं होने देंगे।"
अमेरिका पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप
ईरान का कहना है कि अमेरिका एक तरफ समझौते की बात करता है, दूसरी तरफ कड़े प्रतिबंध और धमकियों का सहारा लेता है। अब्दुल्लाहियान ने यह भी कहा कि "हमें बराबरी के आधार पर बातचीत चाहिए, न कि 'डिक्टेशन'।"
2015 वाला समझौता फिर अधर में
2015 में हुआ था 'ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन' (JCPOA), जिसे ट्रंप प्रशासन ने 2018 में तोड़ दिया था। उसके बाद से ईरान ने फिर यूरेनियम संवर्धन तेज कर दिया, जिससे पश्चिमी देश चिंतित हैं। लेकिन ईरान कहता है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को शांतिपूर्ण उद्देश्य से चला रहा है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
यूरोपीय यूनियन और यूएन अब मध्यस्थता की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अमेरिका की शर्तों और ईरान की जिद के बीच समझौते की जमीन सिकुड़ती जा रही है। यदि जल्द ही कोई संतुलन नहीं बना, तो यह संकट फिर वैश्विक स्थिरता को हिला सकता है।
यूरेनियम एनरिचमेंट क्यों है अहम मुद्दा?
यूरेनियम एनरिचमेंट, यानी यूरेनियम को उच्च स्तर पर शुद्ध करना, परमाणु ऊर्जा और हथियार दोनों के लिए जरूरी होता है। पश्चिमी देशों को डर है कि ईरान इसका इस्तेमाल हथियार बनाने के लिए कर सकता है, जबकि ईरान इसे ऊर्जा उत्पादन और चिकित्सा के लिए जरूरी बताता है।
इस तनावपूर्ण स्थिति में सवाल ये है कि क्या दोनों देश बातचीत की मेज पर आकर कोई रास्ता निकाल पाएंगे, या फिर एक और बड़े टकराव की नींव रखी जा चुकी है?
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