Advertisment

Pakistan में कुरबानी पर रोक! जानिए — कौन हैं अहमदिया मुसलमान? क्यों कहते हैं काफिर?

पाकिस्तान के पंजाब में बकरीद पर 5 लाख अहमदिया मुसलमानों को कुर्बानी से रोका गया है। पंजाब सरकार ने कुरबानी की सख्त शर्तें बनाई है। जिसके तहत कुरबानी करना बेहद मुश्किल है। इस कदम से धार्मिक स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

author-image
Ajit Kumar Pandey
पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय पर अत्याचार | यंग भारत

पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय पर अत्याचार | यंग भारत

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बकरीद के मौके पर 5 लाख से अधिक अहमदिया मुसलमानों को कुर्बानी करने से रोका गया है। मरियम नवाज सरकार ने धार्मिक शुद्धता के नाम पर सख्त शर्तें लागू की हैं, जिसके तहत अहमदिया समुदाय के सदस्यों कठोर कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है। इस कदम ने धार्मिक स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Advertisment

अहमदिया मुसलमानों को कार्रवाई डर: पंजाब पुलिस ने बकरीद के दौरान अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई करने की सख्त चेतावनी दी गई है। सरकार ने एकतरफा कार्रवाई करने का आदेश जारी कर दिया है।

धार्मिक पहचान का मुद्दा: पाकिस्तानी कानून के तहत अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित किया गया है, जिसके चलते उन्हें इस्लामी त्योहारों में भाग लेने से रोका जाता है।

सरकारी रुख: पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने धार्मिक सहिष्णुता की बात की है, लेकिन अहमदिया समुदाय के खिलाफ की गई कार्रवाई से उनकी सरकार की नीतियों पर सवाल उठ रहे हैं।

Advertisment

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: मानवाधिकार संगठनों ने इसकी निंदा की है और पाकिस्तान सरकार से धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की मांग की है।

अहमदिया समुदाय लंबे समय से पाकिस्तान में भेदभाव और उत्पीड़न का सामना कर रहा है। 1974 में उन्हें संविधान के तहत गैर-मुस्लिम घोषित किया गया था, जिसके बाद से उनके धार्मिक अधिकारों पर कई प्रतिबंध लगाए गए हैं।

अहमदिया समुदाय इस्लाम के भीतर एक ऐसा धार्मिक समूह है जिसे मुख्यधारा के सुन्नी और शिया मुसलमान "गैर-मुस्लिम" मानते हैं, खासकर पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में। इस समुदाय की उत्पत्ति भारत में 19वीं शताब्दी के अंत में हुई थी।

Advertisment

अहमदिया मुसलमान कौन हैं?

अहमदिया आंदोलन की स्थापना मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद (1835–1908) ने पंजाब (अब पाकिस्तान में स्थित क़ादियान) में की थी। उन्होंने दावा किया कि वे "मसीह मुहम्मद" (Promised Messiah) और "महु्दी" (इस्लाम के अंतिम सुधारक) हैं। यह दावा मुख्यधारा इस्लामी मान्यताओं के विपरीत है, क्योंकि इस्लाम में मोहम्मद साहब को आख़िरी पैग़म्बर (ख़ातिम-उल-अंबिया) माना जाता है।

इसी कारण, सुन्नी और शिया समुदायों के अधिकतर लोग अहमदियों को "मुस्लिम" नहीं मानते।

Advertisment

 Ahmadiyya Muslim

भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में अहमदिया समुदाय की आबादी

देश अनुमानित अहमदिया आबादी कुल मुस्लिम आबादी में प्रतिशत
पाकिस्तान 40-50 लाख (4-5 मिलियन) 2–3%
बांग्लादेश 1–2 लाख 0.1% से भी कम
भारत   1.5–2 लाख 0.02%

(नोट: यह आंकड़े अनुमानित हैं क्योंकि कई देशों में अहमदियों की जनगणना अलग से नहीं होती या वे पहचान छिपाकर रहते हैं।)

तीन देशों में अहमदिया मुसलमानों की स्थिति 

पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों की स्थिति

  • 1974 में पाकिस्तान की संसद ने संविधान संशोधन के जरिए अहमदियों को "गैर-मुस्लिम" घोषित कर दिया।
  • 1984 में ज़िया-उल-हक़ के ऑर्डिनेंस के तहत अहमदियों को "मुस्लिम कहलाने, नमाज़ पढ़ने, अज़ान देने या इस्लामी प्रतीकों के प्रयोग पर कानूनी प्रतिबंध" लगाया गया।

पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों पर अत्याचार की घटनाएं

  • मस्जिदों पर हमले (जैसे 2010 लाहौर हमला, जिसमें 90 से अधिक अहमदियों की जान गई)
  • कब्रिस्तान, स्कूल, और घरों पर हमले
  • रोजगार, शिक्षा और मतदान के अधिकारों में भेदभाव

बांग्लादेश में अहमदिया मुसलमानों की स्थिति

आधिकारिक तौर पर अहमदियों को मुस्लिम माना जाता है, लेकिन:

1990 के बाद से कट्टरपंथी संगठनों जैसे इসলामी आंदोलन बांग्लादेश ने अहमदियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, किताबों पर प्रतिबंध और मस्जिदों पर हमले किए।

भारत में अहमदिया मुसलमानों की स्थिति

  • राजनीतिक संरक्षण नहीं मिलने के कारण अहमदियों को अक्सर "काफिर" कहकर सामाजिक बहिष्कार झेलना पड़ता है।
  • भारत का संविधान धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
  • अहमदी मुसलमानों को मुस्लिम मान्यता प्राप्त है, और वे खुलकर धार्मिक गतिविधियाँ कर सकते हैं।
  • हालांकि, कुछ इस्लामी संगठनों द्वारा फतवे ज़रूर जारी हुए हैं, लेकिन कानूनी या सरकारी स्तर पर कोई भेदभाव नहीं।

अहमदियों को मुस्लिम क्यों नहीं माना जाता?

  • मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद को नबी (पैग़ंबर) मानना: यह इस्लाम की मुख्य मान्यता "मोहम्मद आख़िरी नबी हैं" से टकराता है।
  • उनकी धार्मिक पुस्तकें और शिक्षाएं कुरान और हदीस की पारंपरिक व्याख्या से अलग हैं।
  • मुख्यधारा उलेमा और फिक़ही संस्थाओं जैसे दारुल उलूम देवबंद और बरेलवी विचारधारा ने अहमदियों को "गैर-मुस्लिम" घोषित किया।

अहमदिया मुसलमानों पर अत्याचार क्यों?

धार्मिक असहिष्णुता और कट्टरता: मुख्यधारा मुसलमानों की आस्था से विरोधाभास होने के कारण उन्हें "काफ़िर" माना जाता है।

राजनीतिक फायदा: पाकिस्तान और बांग्लादेश में राजनीतिक दल कट्टरपंथी संगठनों को संतुष्ट करने के लिए अहमदियों को बलि का बकरा बनाते हैं।

कानूनी भेदभाव (विशेष रूप से पाकिस्तान में) : संविधान और कानूनों के जरिए उनके धार्मिक अधिकारों को सीमित किया गया है।

  • अहमदिया समुदाय दक्षिण एशिया में सबसे अधिक उत्पीड़ित मुस्लिम पहचान वाला समूह है।
  • पाकिस्तान और बांग्लादेश में उन्हें गैर-मुस्लिम मानकर धार्मिक, कानूनी और सामाजिक अत्याचारों का सामना करना पड़ता है।
  • भारत में वे सुरक्षित हैं, लेकिन कुछ धार्मिक समूह उन्हें लेकर वैचारिक विरोध रखते हैं।

क्या धार्मिक स्वतंत्रता पर इस तरह की सरकारी पाबंदियां उचित हैं? क्या मरियम नवाज सरकार का यह कदम सही है? कृपया अपनी राय कमेंट में साझा करें। 

pakistan | Bangladesh | muslim | bakra qurbani | bakrid 2025 news | islamic leaders bakrid |

islamic leaders bakrid bakrid 2025 news bakra qurbani muslim Bangladesh pakistan
Advertisment
Advertisment