नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: पूर्वी जर्मनी में पर्यटन को बढ़ावा देने और वहां की अनोखी सांस्कृतिक विरासत को दुनियाभर के यात्रियों से जोड़ने के लिए एक दिलचस्प और अनूठी योजना शुरू की गई है। इस नई पहल के तहत पर्यटक अब स्थानीय निवासियों के घरों में बिना किसी शुल्क के ठहर सकते हैं। इसका उद्देश्य न केवल पर्यटन को बढ़ावा देना है, बल्कि स्थानीय समुदायों और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के बीच सांस्कृतिक संवाद और जुड़ाव को भी गहरा करना है।
युवा पीढ़ी शहरों की ओर पलायन कर रही
यह योजना खासतौर पर उन गांवों और छोटे कस्बों पर केंद्रित है जहां जनसंख्या तेजी से घट रही है और युवा पीढ़ी शहरों की ओर पलायन कर रही है। ऐसे इलाकों में जीवन ठहर-सा गया है और सामाजिक व आर्थिक गतिविधियां सीमित हो गई हैं। स्थानीय प्रशासन का मानना है कि इस पहल से उन क्षेत्रों में एक नई जान आएगी—बाहरी लोगों की आमद बढ़ेगी, जिससे स्थानीय बाजारों और सेवाओं में तेजी आएगी और साथ ही स्थानीय युवाओं को भी अपने ही क्षेत्र में अवसर नजर आएंगे।
क्या है इस योजना की खास बात?
इस योजना में हिस्सा लेने वाले पर्यटकों को ऐसे घरों में ठहराया जाएगा जिन्हें विशेष रूप से पर्यटकों के स्वागत के लिए तैयार किया गया है। हालांकि, यह सिर्फ मुफ्त ठहराव की योजना नहीं है—यह एक अनुभवात्मक यात्रा है। पर्यटकों से उम्मीद की जाएगी कि वे स्थानीय जीवनशैली में सक्रिय भागीदारी करें।
इसका मतलब है
- खेतों में मदद करना,
- स्थानीय भोजन पकाने में सहयोग देना,
- गाँव के पारंपरिक आयोजनों में भाग लेना,और स्थानीय लोगों से बातचीत कर उनकी कहानियों को समझना।
- यह योजना उन यात्रियों के लिए विशेष रूप से आकर्षक है जो जर्मनी के ग्रामीण जीवन की असली झलक पाना चाहते हैं।
- तेज रफ्तार शहरी जीवन से दूर, यह पहल एक सुकूनभरा और सीखने वाला अनुभव देने का वादा करती है।
युवाओं के लिए भी अवसर
स्थानीय प्रशासन का कहना है कि इस योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन को पुनर्जीवित किया जा सकता है। यदि ये क्षेत्र फिर से सक्रिय होते हैं और आर्थिक रूप से सशक्त बनते हैं, तो यह स्थानीय युवाओं को वापस लाने में सहायक हो सकता है। इसके अलावा, स्थानीय लोगों को भी दुनिया भर के लोगों से मिलने और उनके साथ संवाद करने का मौका मिलेगा, जिससे उनका वैश्विक दृष्टिकोण विकसित होगा।