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एक माह की आलिया - 16 महीने का मोहिबुल्लाह: मासूम बच्चों पर PAK आर्मी की एयरस्ट्राइक, क्या बोले अफगानी?

खोस्त प्रांत के गुरबुज जिले में पाकिस्तानी एयरस्ट्राइक में 16 महीने के मोहिबुल्लाह और 1 महीने की आलिया सहित 10 लोग मारे गए, जिनमें 9 मासूम बच्चे थे। क्या पाकिस्तानी आर्मी द्वारा मारे गए मासूमों को न्याय मिलेगा?

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Ajit Kumar Pandey
AFGANISTAN PAKISTAN UPDATE

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । अफ़गानिस्तान के खोस्त प्रांत के गुरबुज जिले में 10 छोटे बच्चों की कब्रें पाकिस्तानी एयरस्ट्राइक की दर्दनाक कहानी बयां कर रही हैं। 25 तारीख की आधी रात को हुए इस हमले में एक ही परिवार के 10 लोग मारे गए, जिनमें 9 मासूम बच्चे थे। सबसे छोटी आलिया मात्र एक महीने की थी, जबकि मोहिबुल्लाह सिर्फ 16 महीने का। ये मासूम बच्चे अपने घरों के अंदर सोते हुए मारे गए। इस घटना ने पूरे अफ़गानिस्तान को सदमे और गुस्से में डुबो दिया है। चीखते-चिल्लाते और दहाड़े मारते हुए लोग न्याय की मांग कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से चुप्पी तोड़ने की अपील कर रहे हैं। 

पाकिस्तान ने हमले से इनकार किया है, लेकिन पीड़ितों के परिजन इसे 'पाकिस्तानी हैवानियत' बता रहे हैं। यह सिर्फ एक हमला नहीं, बल्कि दशकों से चल रहे तनावपूर्ण पाक-अफगान संबंधों का एक और भयावह अध्याय है, जिसकी कीमत निर्दोष बच्चों को चुकानी पड़ी है। 

आधी रात का वो खौफनाक हमला 10 कब्रें, 10 बेगुनाह ज़िंदगियां 

खोस्त प्रांत के गुरबुज जिले में रात का सन्नाटा अचानक चीखों से भर गया। 25 तारीख की आधी रात को पाकिस्तानी वायुसेना ने यहां एयर स्ट्राइक किया। यह हमला इतना भीषण था कि एक ही परिवार के 10 लोगों की जान चली गई, जिनमें 9 बच्चे थे। चश्मदीदों के अनुसार, उस वक्त गुरबुज जिले के लोग सो रहे थे। एक गवाह बलीउर रहमान ने बताया, "बमबारी आधी रात को हुई। जब हम पहुंचे तो शहीदों और घायलों के शव मलबे में दबे हुए थे। दस लोग मारे गए और तीन दूसरे घायल हो गए।" 

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मरने वालों में कौन-कौन शामिल था? 

यह हमला मुख्य रूप से नूर अस्लम और समीउल्लाह के परिवारों पर हुआ। मरने वालों में अधिकतर मासूम बच्चे थे, जिनकी उम्र 1 महीने से लेकर 13 साल तक थी मोहिबुल्लाह नूर अस्लम का बेटा, 16 महीने का। आलिया समीउल्लाह की बेटी, 1 महीने की। होजेबुल्लाह नूर अस्लम का बेटा, 3 साल का। शम्सुल्लाह नूर अस्लम का बेटा, 5 साल का। आइशा नूर अस्लम की बेटी, 7 साल की। असदुल्लाह नूर अस्लम का बेटा, 7 साल का। पलवासा नूर अस्लम की बेटी, 11 साल की। दादुल्लाह नूर अस्लम का बेटा, 13 साल का। आसिया समीउल्लाह की बेटी, 3 साल की। 

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इन 9 बच्चों के अलावा, पाकिस्तान की तरफ से हमले में 35 साल की जन्नत खेल की बेटी रजिया की भी मौत हो गई। 

"सिर्फ दो बच्चे जिंदा बचे": मीडिया एजेंसी टोलो न्यूज के अनुसार, पीड़ित परिवार के रिश्तेदार शरियत खान ने बताया कि परिवार के कुल 10 सदस्य शहीद हो गए। 

"कल रात की बमबारी में सिर्फ एक बच्चा और एक बच्ची ही जिंदा रह पाए, इस परिवार के बाकी सभी सदस्य कुल दस शहीद हो गए।" 

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पाकिस्तानी सेना के दावे के विपरीत, पीड़ितों के परिजनों ने साफ़ कहा कि मरने वालों में कोई भी दहशतगर्द नहीं था। ज्यादातर तो बच्चे ही थे, जो अपने घरों के अंदर सोते हुए मारे गए। 

गुस्सा और दुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अपील 

इस दर्दनाक घटना के बाद गुरबुज जिले में गम और गुस्सा है। 10 मासूमों की कब्रें एक साथ खोदी गईं और उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया। जनाज़ों में उमड़े लोगों में रोना-चीखना और गुस्सा भरा हुआ था। वे कभी गुस्से से उबल रहे थे तो कभी मासूमों के जनाज़ों पर सिर पटक रहे थे। 

अफ़गानियों ने कहा है कि अब अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को चुप नहीं रहना चाहिए। उन्होंने अपील की है कि वे इंसानियत के खिलाफ हुए इन जुर्मों के सामने आवाज़ उठाएं। 

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परिजनों की भावुक अपील: पीड़ितों के रिश्तेदारों ने बेगुनाह आम लोगों को निशाना बनाने वालों को 'इंसानियत और इंटरनेशनल उसूलों का उल्लंघन' बताया। 

एक रिश्तेदार अब्दुल अलीम ने कठोर शब्दों में कहा, "जब भी पाकिस्तान इस इलाके में बमबारी करता है, तो आम लोग ही निशाना बनते हैं। हम इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हैं और इंटरनेशनल कम्युनिटी से बेगुनाह लोगों की जान लेने के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराने की अपील करते हैं।" 

एक अन्य रिश्तेदार अकबर खान ने अपनी बात रखी, "पाकिस्तान हम पर रॉकेट और बम गिराता है, और फिर भी झूठा दावा करता है कि वे उनकी सेना को कथित डूरंड लाइन के पार भेज रहे हैं। यह बर्ताव शर्मनाक है। लेकिन अगर ये हरकतें जारी रहीं, तो हम कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं।" 

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गुरबुज जिले का रणनीतिक महत्व 

गुरबुज जिला अफ़गानिस्तान के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित खोस्त प्रांत का एक महत्वपूर्ण जिला है। यह प्रांत की दक्षिणी सीमा पर बसा हुआ है। 

भौगोलिक स्थिति: यह पश्चिम में तानी जिले, उत्तर में मंडोजई और खोस्त जिलों से घिरा है। 

सीमा: जबकि पूर्व और दक्षिण में यह पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के साथ सीमा साझा करता है। जनसांख्यिकी खोस्त प्रांत की कुल जनसंख्या लगभग 48 लाख है, जिसमें गुरबुज जिला भी शामिल है। 

यहां 99 प्रतिशत पश्तून जातियां रहती हैं और ये लोग सुन्नी इस्लाम का पालन करते हैं। यह क्षेत्र पहाड़ी और जंगली इलाकों से युक्त है, जो अफगान-पाक सीमा के निकट होने के कारण रणनीतिक महत्व रखता है। 

पाकिस्तान की बेशर्मी और तनावपूर्ण रिश्ते 

खोस्त प्रांत में हुए इस एयर स्ट्राइक के बाद, पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान के बीच रिश्ते और भी तनावपूर्ण हो गए हैं। दोनों देशों के बीच शांति बहाली की तीन कोशिशें पहले ही विफल हो चुकी हैं। 

ख़्वाजा आसिफ का बयान: इस बीच, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान अफगान तालिबान को खारिज कर रहा है और उसे इस ग्रुप से कोई अच्छी उम्मीद नहीं है, जबकि लगातार तनावपूर्ण रिश्ते कम होने का कोई संकेत नहीं दे रहे हैं। जब आसिफ से हमले की जिम्मेदारी लेने से बचने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "इस समय दोनों चीजें नहीं हैं। हम रिऐक्ट करते हैं और जवाबी कार्रवाई करते हैं, लेकिन आम लोगों को हमारा निशाना बनाना बिल्कुल नहीं है। हमारे पास एक डिसिप्लिंड फोर्स है, जिसके अपने ट्रेडिशन और कोड ऑफ़ कंडक्ट हैं हम तालिबान जैसे बिखरे हुए ग्रुप नहीं, जिनका न तो कोई कोड ऑफ़ कंडक्ट है, न धर्म और न ही ट्रेडिशन।" 

आसिफ का यह बयान पीड़ितों के दावों से बिलकुल उलट है, जहां नूर अस्लम के 7 बच्चों सहित कुल 9 मासूमों की मौत हुई है। 

यह घटना दोनों देशों के बीच अविश्वास और शत्रुता को और गहरा करती है, जिसकी भारी कीमत निर्दोष नागरिकों को चुकानी पड़ रही है। अफ़गान जनता और सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इस मामले में हस्तक्षेप करने और पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराने की मांग की है। 

10 मासूमों की कब्रें: सिर्फ गुरबुज जिले की त्रासदी नहीं हैं, बल्कि पाक-अफगान सीमा पर चल रहे अनसुलझे संघर्ष की एक भयानक याद दिलाती हैं, जहां राजनीति और सेना की लड़ाई का खामियाजा हमेशा आम और बेगुनाह लोगों को भुगतना पड़ता है। 

अब देखना यह है कि क्या दुनिया इन 10 मासूमों की चीखों को सुनेगी या यह मामला भी अंतरराष्ट्रीय चुप्पी में कहीं दबकर रह जाएगा। 

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