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'शहद से मीठी' दोस्ती या कड़वा सच? जानिए — China-PAK रिश्ते की असली कहानी! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । पाकिस्तान सेना के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर आसिम मुनीर की चीन यात्रा ने एक बार फिर दोनों देशों की 'चट्टान जैसी' दोस्ती को सुर्खियों में ला दिया है। मुनीर ने चीन को 'आयरन ब्रदर्स' बताकर संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की बात कही। क्या यह सिर्फ जुबानी जमा खर्च है या इसके पीछे कोई गहरी रणनीति छिपी है?
पाकिस्तानी सेना के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर चीन की महत्वपूर्ण यात्रा पर पहुंचे जहां उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी सहित शीर्ष सैन्य और राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच "सदाबहार रणनीतिक साझेदारी" को और मजबूत करना था। जनरल मुनीर ने चीन को पाकिस्तान का "सबसे भरोसेमंद दोस्त और आयरन ब्रदर्स" बताया, जो उनकी दोस्ती की गहराई को दर्शाता है।
इस यात्रा के दौरान, दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और सैन्य संबंधों को बढ़ावा देने पर चर्चा की। फील्ड मार्शल मुनीर ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और इसे पाकिस्तान की आर्थिक समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण बताया। लेकिन सवाल यह है कि इस मजबूत होती दोस्ती के निहितार्थ क्या हैं, खासकर क्षेत्रीय और वैश्विक भू-राजनीति में?
रणनीतिक साझेदारी: सिर्फ व्यापार नहीं, गहरी दोस्ती का खेल
पाकिस्तान और चीन की दोस्ती दशकों पुरानी है, जो "उच्च हिमालय से भी ऊंची, गहरी समुद्र से भी गहरी और शहद से भी मीठी" बताई जाती है। यह रिश्ता सिर्फ आर्थिक या सैन्य सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि एक गहरी रणनीतिक समझ पर आधारित है। दोनों देशों के साझा हित उन्हें एक-दूसरे के करीब लाते हैं, खासकर भारत और अमेरिका के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर।
PAK सेना के फील्ड मार्शल मुनीर की यात्रा ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है और क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ रही है। चीन, पाकिस्तान को एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में देखता है जो उसकी पश्चिमी सीमा पर स्थिरता बनाए रखने और BRI परियोजनाओं को सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है। वहीं, पाकिस्तान के लिए चीन एक महत्वपूर्ण आर्थिक सहारा और सैन्य आपूर्तिकर्ता है।
CPEC: दोस्ती की धुरी या कर्ज का जाल?
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) दोनों देशों की दोस्ती का सबसे बड़ा प्रतीक है। यह पाकिस्तान में अरबों डॉलर का निवेश ला रहा है, जिसमें ऊर्जा परियोजनाएं, बुनियादी ढांचा विकास और ग्वादर बंदरगाह का विस्तार शामिल है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने भी CPEC को "गेम चेंजर" बताया।
हालांकि, CPEC को लेकर कुछ चिंताएं भी हैं। कई विश्लेषकों का मानना है कि यह पाकिस्तान को चीन के कर्ज के जाल में फंसा सकता है। इसके अलावा, CPEC परियोजनाओं की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं, खासकर बलूचिस्तान जैसे अशांत क्षेत्रों में। क्या यह दोस्ती पाकिस्तान को आत्मनिर्भर बना पाएगी या चीन पर उसकी निर्भरता और बढ़ाएगी?
सैन्य संबंध: ताकतवर जोड़ी का उदय?
चीन और पाकिस्तान के सैन्य संबंध बेहद मजबूत हैं। चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है, जिसमें लड़ाकू विमान, पनडुब्बियां और मिसाइलें शामिल हैं। दोनों देश नियमित रूप से संयुक्त सैन्य अभ्यास भी करते हैं, जो उनकी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाते हैं।
फील्ड मार्शल मुनीर की यात्रा ने इन सैन्य संबंधों को और मजबूत करने पर जोर दिया। यह भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि उसे अपनी पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर दो परमाणु शक्तियों से निपटना होगा। इस मजबूत होती सैन्य साझेदारी के क्षेत्रीय शक्ति संतुलन पर क्या दीर्घकालिक प्रभाव होंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।
क्षेत्रीय प्रभाव और वैश्विक प्रतिक्रिया
चीन और पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकियां क्षेत्रीय भू-राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती हैं। यह अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए चिंता का विषय है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकना चाहते हैं।
इस दोस्ती का अफगानिस्तान की स्थिति, ईरान के साथ संबंधों और मध्य एशिया में स्थिरता पर भी असर पड़ेगा। क्या यह एक नए शीत युद्ध की शुरुआत है या सिर्फ क्षेत्रीय शक्तियों के अपने हितों की पूर्ति का प्रयास?
PAK सेना के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की चीन यात्रा ने एक बार फिर दुनिया को पाकिस्तान और चीन की "आयरन ब्रदर्स" दोस्ती की याद दिला दी है। यह संबंध न केवल दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक भू-राजनीति पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह दोस्ती कितनी चुनौतियों का सामना करती है और कैसे आगे बढ़ती है।
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