/young-bharat-news/media/media_files/2025/09/19/khwaza-muhammed-ashif-2025-09-19-18-03-42.jpg)
Saudi-Pakistan Defense Pact में परमाणु हथियार नहीं! PAK रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ का दावा? | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए एक ऐतिहासिक सैन्य समझौते ने भू-राजनीतिक समीकरणों को हिला दिया है। "रणनीतिक आपसी रक्षा समझौते" के तहत, सऊदी की वित्तीय ताकत अब पाकिस्तान की विशाल परमाणु-सशस्त्र सेना से जुड़ गई है। इस समझौते पर पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने रॉयटर्स को बताया है कि परमाणु हथियार इस समझौते के "रडार पर नहीं" हैं। उन्होंने कहा कि इस समझौते को अन्य खाड़ी देशों तक भी बढ़ाया जा सकता है।
द हिंदू के अनुसार, आसिफ ने कहा, "हमारा इस समझौते का इस्तेमाल किसी भी तरह की आक्रामकता के लिए करने का कोई इरादा नहीं है। लेकिन अगर दोनों पक्षों को खतरा होता है, तो ज़ाहिर है कि यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।"
क्या सऊदी को मिलेगा 'परमाणु सुरक्षा कवच'?
समझौते के बाद सऊदी अरब की ओर से संकेत मिल रहे हैं कि उन्हें एक 'डी-फैक्टो' परमाणु सुरक्षा कवच मिल गया है। लेकिन, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ का कहना है कि उनकी परमाणु क्षमता सिर्फ भारत के खिलाफ है।
हालांकि, सऊदी अधिकारी इस समझौते को एक 'व्यापक रक्षा समझौता' बता रहे हैं जिसमें 'सभी सैन्य साधन' शामिल हैं। इस अस्पष्टता ने इजराइल और ईरान जैसे देशों की चिंता बढ़ा दी है।
अमेरिका पर कम हुआ भरोसा?
यह समझौता इस बात का भी संकेत है कि सऊदी अरब अब अपनी सुरक्षा के लिए पूरी तरह से अमेरिका पर निर्भर नहीं रहना चाहता।
लंदन स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के हसन अल्हासन का कहना है कि "यह समझौता परमाणु-सशस्त्र इजराइल के मुकाबले एक रणनीतिक कमी को पूरा करने के लिए है।"
भारत और ईरान के लिए क्या हैं इसके मायने?
यह समझौता भारत और ईरान के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय है। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वे इस समझौते के प्रभावों का अध्ययन करेंगे।
वहीं, ईरान भी इसे अपने लिए एक संभावित खतरे के तौर पर देख रहा है। पाकिस्तान की परमाणु क्षमता सिर्फ भारत पर केंद्रित है, अब संभावना है कि इजराइल तक पहुंचे।
पाकिस्तान के लिए 'पावर प्रोजेक्टशन'
पाकिस्तान के लिए यह समझौता एक बड़ी उपलब्धि है। यह उन्हें मध्य-पूर्व में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है। सऊदी अरब से मिलने वाली आर्थिक मदद भी पाकिस्तान के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि पाकिस्तान का रक्षा बजट भारत की तुलना में बहुत कम है।
समझौते से जुड़े प्रमुख बिंदु क्या हैं...
रणनीतिक तालमेल: सऊदी की आर्थिक ताकत और पाकिस्तान की सैन्य क्षमता का मिलन।
अमेरिका से दूरी: अमेरिका पर सुरक्षा के लिए कम होती निर्भरता। क्षेत्रीय प्रभाव: भारत, ईरान और इजराइल जैसे देशों की चिंता।
पूर्व पाकिस्तानी राजदूत मलीहा लोधी का मानना है कि इस समझौते से पाकिस्तान की शक्ति मध्य-पूर्व तक बढ़ जाएगी भले ही यह क्षेत्र बहुत अस्थिर हो।
Saudi Pakistan military alliance | Strategic defense agreement | Geopolitical Tensions | Gulf countries cooperation | Defence Minister Khawaja Muhammad Asif