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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले ही गंभीर संकट से जूझ रही है, और हाल के भारत-पाकिस्तान तनाव, विशेष रूप से पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के प्रहार से स्थिति को और बदतर कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से कर्ज की गुहार लगा रहे पाकिस्तान को पिछले चार दिनों में 4 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है और इसकी जल्द भरपाई संभव भी नहीं है। भारत की ओर से सिंधु जल संधि को स्थगित करना, व्यापार बंद करना, और हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंध जैसे कठोर कदमों ने पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था पर भारी चोट पहुंची है। पूरी तरह से उसकी आर्थिक कमर टूट चुकी है और अमेरिकी से गिड़गिड़ाने के बाद ही उसे संघर्ष विराम से चैन सांस मिल सकती है।
क्या पहुंचेगा आर्थिक नुकसान?
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले ही 130 बिलियन डॉलर से अधिक के बाहरी कर्ज, 10 बिलियन डॉलर से कम विदेशी मुद्रा भंडार और 70% से अधिक कर्ज-जीडीपी अनुपात के बोझ तले दबी हुई है। हाल के तनावों ने स्थिति को और गंभीर कर दिया है। भारत ने जिस तरह सिंधु जल संधि को स्थगित किया, उससे पाकिस्तान की कृषि, जो कुल जीडीपी का 22.7% और 37.4% है और उसे गहरा असर पड़ा है। यह संधि सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी पाकिस्तान को आवंटित करती है, और इसके निलंबन से फसलों की सिंचाई प्रभावित होगी, जिससे खाद्य असुरक्षा बढ़ेगी। पाकिस्तान को विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि 2025 में 10 मिलियन से अधिक पाकिस्तानी अत्यधिक खाद्य असुरक्षा का सामना कर सकते हैं।
द्विपक्षीय व्यापार बंद करने का असर
भारत द्वारा द्विपक्षीय व्यापार बंद करने से भी पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ है। भारत से आवश्यक दवाइयां, रसायन, फल, सब्जियां और सूखे मेवे जैसे सामान की आपूर्ति रुक गई है। इसके अलावा, तीसरे देशों के माध्यम से 500 मिलियन डॉलर मूल्य के सामान, जैसे सूखे मेवे और रसायन, पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज (PSX)में 24 अप्रैल को 2,000 अंकों की गिरावट दर्ज की गई, जो भारत के कड़े कदमों और आईएमएफ द्वारा जीडीपी वृद्धि दर को 2.6% तक कम करने के बाद हुई।
हवाई क्षेत्र बंद होने से पाकिस्तान को प्रतिदिन 120,000 से 232,000 डॉलर का नुकसान हो रहा है, जो 31 दिनों में 3.72 से 7.2 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। वाघा-अटारी सीमा बंद होने से मध्य एशिया के साथ व्यापार प्रभावित हुआ है, जिससे निर्यात और आयात पर और दबाव पड़ा है। Ceasefire | india pakistan | Current Affairs India Pakistan | India Pakistan conflict | India Pakistan News
चार के संघर्ष के सामाजिक प्रभाव
पाकिस्तान की जनता पहले ही 38.5% की रिकॉर्ड मुद्रास्फीति (मई 2023) और 8% से अधिक बेरोजगारी की मार झेल रही है। हाल के तनाव ने खाद्य और ईंधन की कीमतों को और कई गुना बढ़ा दिया है, जिससे आम नागरिकों का जीवन और कठिन हो गया है। 65% आबादी, जो 30 वर्ष से कम आयु की है, बेरोजगारी और आर्थिक तंगी से निराश है, जिससे सामाजिक अशांति बढ़ रही है। बलूचिस्तान और अफगानिस्तान जैसे क्षेत्रों में पहले से मौजूद अशांति के साथ, युद्ध की स्थिति सामाजिक स्थिरता को और कमजोर कर सकती है।
भू-राजनीतिक और सैन्य नुकसान
पाकिस्तान की सैन्य-केंद्रित अर्थव्यवस्था, जिसमें फौजी फाउंडेशन जैसे सैन्य-संचालित उद्यम शामिल हैं, पहले ही रक्षा बजट पर भारी खर्च करती है। भारत के साथ पूर्ण पैमाने पर युद्ध के लिए संसाधनों का हस्तांतरण सार्वजनिक सेवाओं, जैसे स्वास्थ्य और शिक्षा, को और कमजोर करेगा। आईएमएफ की 9 मई 2025 की समीक्षा बैठक में भारत ने पाकिस्तान के बेलआउट पैकेज पर सवाल उठाए, जिससे 2 बिलियन डॉलर की तत्काल राशि खतरे में पड़ गई।
पाकिस्तान की चीन पर बढ़ती निर्भरता, विशेष रूप से 2 बिलियन डॉलर के हालिया ऋण रोलओवर के बाद, उसे पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका, से दूर कर सकती है, जो आईएमएफ बोर्ड में महत्वपूर्ण प्रभाव रखता है। इसके अलावा, सऊदी अरब और यूएई जैसे खाड़ी देशों से निवेश की उम्मीदें भी भू-राजनीतिक तनावों के कारण कमजोर पड़ सकती हैं।