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"पाकिस्तान की शाहीन-3 मिसाइल दुर्घटनाग्रस्त, परमाणु ठिकाने के नजदीक बड़ी तबाही टली!" | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । पाकिस्तान में एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया। 22 जुलाई 2025 को पाकिस्तान की परमाणु-सक्षम शाहीन-3 मिसाइल अपने परीक्षण के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गई। यह मिसाइल डेरा बुगती जिले में रिहायशी इलाकों के करीब गिरी और इसका मलबा डेरा गाजी खान स्थित एक संवेदनशील परमाणु सुविधा के बेहद करीब पाया गया।
यह एक ऐसा हादसा था, जिससे न केवल पाकिस्तान, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया पर भयानक तबाही का खतरा मंडरा गया था। एक पल को लगा कि अगर यह अपने लक्ष्य से जरा भी इधर-उधर हुई होती तो शायद इतिहास कुछ और ही लिखा जाता। यह महज एक तकनीकी खामी थी या कुछ और, इस पर सवालिया निशान अब भी कायम हैं।
मंगलवार, 22 जुलाई 2025 पाकिस्तान के लिए एक सामान्य दिन नहीं थी। इसी दिन उसकी सबसे ताकतवर मिसाइलों में से एक, शाहीन-3, का परीक्षण किया जा रहा था। यह परीक्षण एक नियमित प्रक्रिया का हिस्सा था, लेकिन इस बार कुछ ऐसा हुआ जिसने सबके रोंगटे खड़े कर दिए। मिसाइल अपने तयशुदा मार्ग से भटक गई और डेरा बुगती जिले के रिहायशी इलाकों के पास धड़ाम से जा गिरी। जमीन से उठता धुएं का गुबार और जोरदार धमाका दूर-दूर तक सुनाई दिया। स्थानीय लोग, जो उस वक्त अपने दैनिक कार्यों में लगे थे, अचानक इस भयावह आवाज से सहम उठे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर हुआ क्या है।
क्या था वह खौफनाक धमाका?
धमाके की आवाज इतनी तेज थी कि 20 से 50 किलोमीटर दूर तक इसकी गूँज महसूस की गई। लोगों ने सोचा कि शायद कोई आतंकी हमला हुआ है या आसमान से कोई जहाज गिरा है। लेकिन जल्द ही यह खबर फैलने लगी कि यह कोई आम घटना नहीं, बल्कि एक मिसाइल दुर्घटना है। जिस मिसाइल का परीक्षण किया जा रहा था, वह शाहीन-3 थी, जो पाकिस्तान की सबसे लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों में से एक है और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। यह सोचकर ही सिहरन दौड़ जाती है कि अगर यह मिसाइल आबादी वाले इलाके में या परमाणु सुविधा पर गिर जाती, तो कितनी बड़ी त्रासदी हो सकती थी।
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परमाणु सुविधा के पास गिरा मलबा: बड़ा खतरा टला
इस दुर्घटना की सबसे भयावह बात यह थी कि शाहीन-3 मिसाइल का मलबा डेरा गाजी खान में पाकिस्तान की एक प्रमुख परमाणु सुविधा के बेहद करीब मिला। डेरा गाजी खान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित एक संवेदनशील क्षेत्र है, जहां उसकी कुछ महत्वपूर्ण परमाणु इकाइयां और हथियार भंडारण सुविधाएं मौजूद हैं। यह जानकारी सामने आते ही वैश्विक स्तर पर चिंताएं बढ़ गईं। कल्पना कीजिए, यदि मिसाइल का मलबा सीधे परमाणु सुविधा पर गिरता, तो इसका परिणाम क्या होता? एक परमाणु दुर्घटना, जिसका प्रभाव चेरनोबिल या फुकुशिमा से कहीं अधिक व्यापक और घातक हो सकता था।
पाकिस्तान ने क्या छिपाने की कोशिश की?
हालांकि, पाकिस्तान सरकार और सेना ने तुरंत ही पूरे इलाके को घेर लिया। मीडिया को वहां जाने से रोका गया, और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। लोगों को अपने घरों से बाहर न निकलने का निर्देश दिया गया। यह सब एक बड़े रहस्य की ओर इशारा कर रहा था – आखिर पाकिस्तान क्या छिपाना चाहता था? शुरुआती सरकारी बयानों में इस घटना को एक फाइटर जेट के "सोनिक बूम" के रूप में बताया गया, लेकिन यह जल्द ही स्पष्ट हो गया कि यह एक मिसाइल दुर्घटना थी। यह विरोधाभास पाकिस्तान की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है, खासकर जब बात उसकी परमाणु सुरक्षा की आती है।
शाहीन-3: पाकिस्तान की ताकत और कमजोरी
शाहीन-3 मिसाइल पाकिस्तान के सामरिक शस्त्रागार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी मारक क्षमता 2750 किलोमीटर है, जिसका अर्थ है कि यह भारत के कई बड़े शहरों तक आसानी से पहुंच सकती है। यह ठोस ईंधन पर चलने वाली मिसाइल है, जिसे चीन की तकनीकी मदद से विकसित किया गया है। ठोस ईंधन मिसाइलों को तैयार करने और लॉन्च करने में कम समय लगता है, जिससे वे युद्ध की स्थिति में अधिक प्रभावी हो सकती हैं।
सोचिए: मिसाइलों पर नियंत्रण कौन करेगा?
लेकिन इस दुर्घटना ने शाहीन-3 की विश्वसनीयता और पाकिस्तान की समग्र सैन्य क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि पाकिस्तान अपनी सबसे उन्नत मिसाइलों में से एक को सुरक्षित रूप से लॉन्च और नियंत्रित नहीं कर सकता, तो उसकी परमाणु संपत्ति की सुरक्षा कितनी सुनिश्चित है? यह घटना पाकिस्तान के अंदरूनी सुरक्षा तंत्र और उसके हथियारों के रखरखाव के प्रोटोकॉल की पोल खोलती है। एक परमाणु शक्ति के लिए यह एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि किसी भी गलती का परिणाम विनाशकारी हो सकता है।
वैश्विक प्रतिक्रिया और भारत की चुप्पी
इस घटना पर भारत ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन इसे पाकिस्तान की सैन्य कमजोरी के रूप में देखा जा रहा है। भारत हमेशा से पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहा है, खासकर जब वहाँ राजनीतिक अस्थिरता या आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे होते हैं। इस प्रकार की दुर्घटनाएँ इन चिंताओं को और बढ़ाती हैं।
अमेरिका और बलूच संगठनों की चिंता क्या है?
संयुक्त राज्य अमेरिका भी पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार पर कड़ी नजर रखता है, क्योंकि क्षेत्र में किसी भी अस्थिरता का वैश्विक सुरक्षा पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। इस दुर्घटना के बाद, बलूचिस्तान के कई संगठनों ने संयुक्त राष्ट्र से पाकिस्तान के मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उनका तर्क है कि पाकिस्तान अपनी परमाणु संपत्तियों को सुरक्षित रखने में विफल रहा है और यह क्षेत्र तथा विश्व के लिए खतरा बन सकता है। इन मांगों से पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने की संभावना है।
यह घटना सिर्फ एक मिसाइल दुर्घटना से कहीं बढ़कर है। यह पाकिस्तान की परमाणु सुरक्षा, उसकी सैन्य विश्वसनीयता और उसके आंतरिक नियंत्रण तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े करती है। पाकिस्तानी अधिकारियों ने भले ही किसी आतंकी हमले से इनकार किया हो और इसे सोनिक बूम का मामला बताया हो, लेकिन मिसाइल का मलबा और घटना की गंभीरता इस दावे का खंडन करती है। यह घटना दर्शाती है कि परमाणु हथियारों वाले देशों को अपनी सुरक्षा प्रणालियों को कितनी सख्ती से बनाए रखने की आवश्यकता है।
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