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BIMSTEC: क्षेत्रीय संतुलन में अहम PM Modi की थाईलैंड- श्रीलंका यात्रा, चीन की चुनौती होगी फुर्र

पीएम मोदी की बिम्सटेक में भागीदारी के अहम मायने हैं। मोदी की यात्रा भारत की क्षेत्रीय स्थिति, कूटनीति, आर्थिक सहयोग और रणनीतिक हितों में मील का पत्थर साबित होगी।

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Dhiraj Dhillon
प्रधानमंत्री मोदी, थाईलैंड, श्रीलंका, क्षेत्रीय संतुलन, बिम्सटेक

Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

Modi Thailand visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय विदेश यात्रा के दौरान आज श्रीलंका पहुंचे हैं। श्रीलंका के साथ द्विपक्षीय वार्ता से पहले PM Modi ने थाईलैंड के साथ भी समुद्री सहयोग, व्यापार और सुरक्षा के मुद्दों पर थाईलैंड के साथ भी द्विपक्षीय वार्ता की। पीएम मोदी की BIMSTEC (बंगाल की खाड़ी बहुक्षेत्रीय तकनीक और आर्थिक सहयोग पहल)  में भागीदारी के अहम मायने हैं। कुल मिलाकर पीएम मोदी की यह यात्रा भारत की क्षेत्रीय स्थिति, कूटनीति, आर्थिक सहयोग और रणनीतिक हितों की रक्षा में मील का पत्थर साबित होगी। पीएम मोदी ने ‌बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के बीच कनेक्टिविटी के साथ ही आर्थिक और डिजिटल संबंधों को बेहतर करने के ‌लिए 21 सूत्रीय फार्मला दिया है।

“एक्ट ईस्ट” नीति के लिए महत्वपूर्ण है पीएम की यात्रा

PM Narendra Modi की थाईलैंड- श्रीलंका यात्रा “एक्ट ईस्ट” नीति के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। दरअसल इस नीति में थाइलैंड भारत का महत्वपूर्ण साझेदार है। यह नीति दक्षिण- पूर्व एशिया के साथ महत्वपूर्ण आर्थिक- व्यापारिक और रणनीतिक संबंधों को बढ़ावा देने वाली है। इस यात्रा के दौरान भारत और थाईलैंड के बीच हुए आ‌र्थिक, व्यापारिक, निवेश और समुद्री सहयोग को लेकर हुए समझौते भारत और थाईलैंड के साथ ही साउथ - ईस्ट एशिया को मजबूती प्रदान करने वाले होंगे।

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बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस और नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली प्रधानमंत्री मोदी के साथ
Photograph: (Google)

भारत के ल‌िए बिम्सटेक के मायने

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भारत के लिए बिम्सटेक के बड़े मायने हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के साथ ही दो दशक पुराने इस संगठन की महत्ता समझी। दरअसल सार्क में पाकिस्तान की मौजूदगी ने उस संगठन को बेमायने कर दिया था। भारत के लिए यह मंच इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यह सार्क का विकल्प बनकर उभरा और पाकिस्तान व चीन की चुनौती को बेलेंस करने का काम करता है। खासकर बंगाल की खाड़ी में चीन की मौजूदगी भारत के लिए बड़ी चुनौती है। बता दें कि चीन यहां लगातार सैन्य शक्ति में इजाफा कर रहा है।

जानिए बिम्सटेक में हैं कौन से सात देश

बिम्सटेक में दक्षिण एशिया और दक्षिण- पूर्व एशिया  के सात देशों भारत, थाईलैंड, म्यांमार, बांग्लादेश, नेपाल भूटान और श्रीलंका को रणनीतिक और व्यापारिक मुद्दों पर एक साथ आने का मौका देता है। बिम्सटेक इन मुद्दों के अलावा आपसी सहयोग से ऊर्जा, सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन पर काम करने के ल‌िए प्रतिबद्ध है।

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पीएम की नेबरहुड पॉलिसी के अनुकूल

बिम्सटेक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेबरहुड पॉलिसी के अनुकूल है। 2016 में इस्लामाबाद में आयोजित सार्क सम्मेलन के बहिष्कार तथा भारत के आह्वान का समर्थन करने में बिम्सटेक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पीएम मोदी के आह्वान के साथ ही बांग्लादेश, भूटान, मालद्वीव, श्रीलंका और अफगानिस्तान भी सार्क से बाहर निकल गए थे। दरअसल, अक्टूबर 2016 में उरी हमले के बाद भारत ने इस संगठन को नए सिरे से उभारने के लिए नए सिरे से प्रयत्न शुरू किए थे और इन प्रयासों का प्रभाव भी देखने को मिला। बता दें कि सार्क सम्मेलन 2016 में अनिश्वितकालीन समय के लिए स्थगित कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने महामहिम राजा महा वजिरालोंगकोर्न से मुलाकात की
Photograph: (Google)

SAARC के बारे में भी जानिए

1985 में दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन (सार्क) की स्थापना हुई थी। इसमें भारत के अलावा बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान, नेपाल,  मालद्वीव, और श्रीलंका शामिल थे। 2005 में अफगानिस्तान भी सार्क का आठवां सदस्य बन गया था। 2016 में 19वां सार्क सम्मेलन इस्लामाबाद में हुआ। उसी दौरान भारत ने इसके बहिष्कार का ऐलान किया, भारत के समर्थन में बांग्लादेश, भूटान, मालद्वीव, श्रीलंका और अफगानिस्तान ने भी सार्क छोड़ने का ऐलान कर दिया था। और उसके बाद सार्क सम्मेलन अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया था।

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