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Balochistan में खराब कानून व्यवस्था को लेकर प्रदर्शन, पाक सेना मुख्यालय तक मार्च की चेतावनी

लूचिस्तान में बिगड़ती कानून व्यवस्था के विरोध में जमात-ए-इस्लामी बलूचिस्तान के नेता मौलाना हिदायतुर रहमान ने शरीफ सरकार को छह महीने का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो सेना मुख्यालय तक विरोध किया जाएगा।

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Ranjana Sharma
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क्वेटा, आईएएनएस: बलूचिस्तान में लगातार हो रही जबरन गुमशुदगियों और कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को लेकर जमात-ए-इस्लामी बलूचिस्तान के अमीर मौलाना हिदायतुर रहमान ने शरीफ सरकार को छह महीने का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी आठ सूत्रीय मांगों को समय पर लागू नहीं किया गया, तो पार्टी रावलपिंडी स्थित पाकिस्तानी सेना मुख्यालय तक विरोध मार्च करेगी। 

बलूचिस्तान में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ उठाएंगे आवाज

यह घोषणा रहमान ने इस्लामाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए की, जहां वह 25 जुलाई को शुरू हुए क्वेटा से इस्लामाबाद तक के लंबे विरोध मार्च का नेतृत्व कर रहे थे। इस मार्च का उद्देश्य बलूचिस्तान में हो रहे अत्याचारों और समस्याओं के खिलाफ आवाज उठाना है, जिनमें जबरन गुमशुदगियां, कानूनहीनता, चेकपोस्टों पर अपमानजनक व्यवहार, फ्रंटियर कॉर्प्स की अति मौजूदगी, सीमा बंदी और "ट्रॉलर माफिया का कब्जा" शामिल हैं।

मूलभूत सुविधाएं नहीं मिली तो ग्वादर बंदरगाह नहीं होने देंगे चालू

मौलाना रहमान ने चेताया कि अगर ग्वादर के नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं जैसे बिजली, साफ पीने का पानी, स्वास्थ्य सेवाएं और रोजगार नहीं दिए गए, तो ग्वादर बंदरगाह को औपचारिक रूप से चालू नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर जनता की समस्याएं नहीं सुलझाई गईं, तो सरकार को हमारे शवों को पार करना पड़ेगा। प्रदर्शनकारियों की मांगों में लापता व्यक्तियों की बरामदगी, सुनसान इलाकों में लाशें फेंकने की घटनाओं पर रोक, राजनीतिक कार्यकर्ताओं की रिहाई और बलूचिस्तान के लोगों को उनके प्राकृतिक संसाधनों और समुद्री संपत्तियों पर पूर्ण अधिकार देना शामिल है। उन्होंने बलूचिस्तान सरकार पर जनता का प्रतिनिधित्व करने में असफल रहने का आरोप लगाया और कहा कि विधानसभा में पारित प्रस्तावों का कोई वास्तविक महत्व नहीं है। 

बलूचिस्तान के अधिकारों के लिए आवाज उठाना रखेंगे जारी 

रहमान ने यह भी कहा कि यदि छह महीनों में कोई ठोस प्रगति नहीं होती है, तो राजनीतिक और व्यापारिक संगठनों के साथ भविष्य की रणनीति तय की जाएगी। उन्होंने सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि शांति बनाए रखने के लिए 80 अरब पाकिस्तानी रुपये आवंटित किए गए हैं, लेकिन उसका कोई लाभ नहीं दिख रहा। उन्होंने कहा कि यह पैसा स्नैक्स खाने के लिए नहीं, जिम्मेदारियां निभाने के लिए है, जिसमें वे नाकाम रहे हैं। उन्होंने अंत में कहा कि वह बलूचिस्तान के अधिकारों के लिए आवाज उठाना जारी रखेंगे।

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