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Nepal : PM सुशीला कार्की के खिलाफ प्रदर्शन!, क्या है Gen-Z की मांगे?

नेपाल में अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के खिलाफ तीन दिन में ही Gen-Z ने मोर्चा खोल दिया। Gen-Z ने कार्की पर मनमाने ढंग से कैबिनेट विस्तार करने और आंदोलन की मूल भावना से भटकने का आरोप लगाया है।

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Ajit Kumar Pandey
Nepal : PM सुशीला कार्की के खिलाफ प्रदर्शन? क्या है Gen-Z की मांगे? | यंग भारत न्यूज

Nepal : PM सुशीला कार्की के खिलाफ प्रदर्शन? क्या है Gen-Z की मांगे? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । नेपाल में हाल ही में बनी अंतरिम सरकार 3 दिन में ही बड़े विरोध का सामना कर रही है। देश की पहली महिला पीएम सुशीला कार्की के खिलाफ उन्हीं के समर्थक, यानी Gen-Z ने मोर्चा खोल दिया। ये युवा पीएम पर आंदोलन की मूल भावना से भटकने और मनमाने ढंग से कैबिनेट बनाने का आरोप लगा रहे हैं। 

नेपाली अखबार रतोपति के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सुशीला कार्की ने उन लोगों को मंत्री बनाया है, जिनका आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं था। 

पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद Gen-Z की सिफारिश पर पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया। यह माना जा रहा था कि कार्की के आने से देश में स्थिरता आएगी और निष्पक्ष चुनाव का रास्ता साफ होगा। लेकिन पीएम पद की शपथ लेते ही, हालात बदल गए। 

कार्की ने कैबिनेट विस्तार में उन लोगों को शामिल किया, जिनसे Gen-Z सहमत नहीं है। प्रधानमंत्री के सरकारी आवास के बाहर जेन-जेड के लोगों ने जोरदार प्रदर्शन किया। 

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'हम नेपाली' एनजीओ के सुदान गुरुंग इस विरोध का नेतृत्व कर रहे थे। प्रदर्शन में वे लोग भी शामिल थे, जिनके बच्चों की मौत पुलिस की गोली से हुई थी। प्रदर्शनकारियों ने साफ तौर पर कहा कि कार्की ने पीएम बनते ही आंदोलन के वादों को भुला दिया। 

मनमाना कैबिनेट विस्तार, Gen-Z से नहीं ली गई सलाह

प्रदर्शनकारियों का मुख्य आरोप है कि सुशीला कार्की ने अंतरिम सरकार में उन चेहरों को जगह दी है, जो न तो आंदोलन का हिस्सा थे, न ही देश में बदलाव की बात करते थे। 

नेपाली अखबार रतोपति के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने का कहना है कि प्रधानमंत्री ने मनमाने तरीके से फैसले लिए हैं और Gen-Z की राय को पूरी तरह से अनदेखा किया है। 

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राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, कार्की ने तीन मंत्रियों की नियुक्ति की है। 

  1. कुलमान घिसिंग – ऊर्जा और भौतिक विभाग 
  2. ओम प्रकाश आर्यल – गृह और कानून विभाग 
  3. रामेश्वर खनाल – वित्त विभाग 

सुदान गुरुंग ने खासकर ओम प्रकाश आर्यल की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। गुरुंग का कहना है कि आर्यल का आंदोलन से कोई संबंध नहीं था। उन्हें बालेंद्र साह की सिफारिश पर गृह मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया गया है। 

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सुदान गुरुंग ने आशंका जताई है कि आने वाले चुनाव में साह के लिए आर्यल की नियुक्ति गेमचेंजर साबित हो सकती है, क्योंकि वह पहले साह के कानूनी सलाहकार रह चुके हैं। 

युवाओं के दबाव के कारण पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा था। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने भी Gen-Z की सलाह पर ही सुशीला कार्की को अंतरिम पीएम बनाया। पीएम कार्की को अगले 6 महीने के भीतर निष्पक्ष आम चुनाव कराने का जिम्मा दिया गया है। 

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कार्की सरकार इस विरोध से कैसे निपटती है और क्या वह Gen-Z का भरोसा फिर से जीत पाएगी। 

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