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मुश्किल में पाकिस्तान : सिंध प्रांत में सिंधु नदी पर नहरों के मुद्दे पर विरोध तेज, राजमार्ग पर हजारों वाहन फंसे

आतंकवाद पर दुनियाभर के निशाने पर आए पाकिस्तान की मुश्किलें एक के बाद एक बढ़ रही हैं। भारत-पाक टेंशन के बीच सिंध प्रांत में सिंधु नदी पर विवादास्पद नई नहरों के निर्माण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और तेज हो गया।

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Mukesh Pandit
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इस्लामाबाद, आईएएनएस । आतंकवाद पर दुनियाभर के निशाने पर आए पाकिस्तान की मुश्किलें एकके बाद एक बढ़ रही हैं। भारत-पाक टेंशन के बीच सिंध प्रांत में सिंधु नदी पर विवादास्पद नई नहरों के निर्माण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और तेज हो गया। प्रांत का देश के अन्य हिस्सों से संपर्क कट गया है और राष्ट्रीय राजमार्ग पर हजारों मालवाहक वाहन फंसे हुए हैं। 

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सीसीआई की बैठक भी बेनतीजा रहा

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की काउंसिल ऑफ कॉमन इंटरेस्ट्स (सीसीआई) की बैठक भी किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। इस बीच, सिंध में सत्ता में मौजूद पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) ने चेतावनी दी है कि यदि संघीय सरकार ने नहरों के निर्माण की योजना पर आगे बढ़ने की कोशिश की, तो वह सरकार से अलग हो सकती है।

12,000 मालवाहक वाहन फंसे

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बैठक में चारों प्रांतों के मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब, स्वास्थ्य मंत्री मुस्तफा कमाल और कानून मंत्री आजम नजीर तारड़ उपस्थित थे। सिंध में विरोध प्रदर्शनों की तीव्रता हर दिन बढ़ती जा रही है। पंजाब को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग कई दिनों से बंद है, जिससे कम से कम 12,000 मालवाहक वाहन फंसे हुए हैं। 

इस आंदोलन को राष्ट्रवादी और विपक्षी पार्टियों का समर्थन मिल रहा है, जिन्होंने सरकार की नहर निर्माण योजना को रद्द करने तक विरोध जारी रखने का संकल्प लिया है।

सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग

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ऑल पाकिस्तान गुड्स ट्रांसपोर्ट ओनर्स एसोसिएशन ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। संगठन के अध्यक्ष मुहम्मद ओवैस चौधरी ने कहा, "लंबे समय तक सड़क बंद रहने से विशेष रूप से तेल, गैस और कोयला टैंकर जैसे खतरनाक मालवाहक वाहनों के लिए गंभीर सुरक्षा जोखिम पैदा हो रहे हैं। तेज गर्मी में इन वाहनों के लंबे समय तक फंसे रहने से आग लगने या विस्फोट जैसी घटनाएं हो सकती हैं, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है।"

नहरों के निर्माण पर कोई एकतरफा निर्णय नहीं लिया जाएगा

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ज़रदारी को भरोसा दिलाया है कि नहरों के निर्माण पर सभी प्रांतों की सहमति के बिना कोई एकतरफा निर्णय नहीं लिया जाएगा। 1991 के जल समझौते के तहत सिंधु नदी से पानी के बंटवारे का प्रावधान है, जिसकी निगरानी और विवादों का समाधान सिंधु नदी प्रणाली प्राधिकरण करता है।

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