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8.5 लाख सीरियाई शरणार्थियों की घर वापसी, 14 साल बाद लौटी उम्मीद | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।14 साल के खूनी संघर्ष के बाद सीरिया में उम्मीद की नई किरण जगी है। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दिसंबर से अब तक करीब 8.5 लाख सीरियाई शरणार्थी अपने पड़ोसी देशों से लौटकर घर आ चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी इस बड़े बदलाव से हैरान है और उसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इन लोगों की मदद के लिए आगे आने की अपील की है।
सीरिया में जारी संघर्ष ने लाखों लोगों को बेघर कर दिया था। सालों तक वे पड़ोसी देशों में शरणार्थी बनकर रहे। अब जब हालात कुछ सामान्य हो रहे हैं, लोग धीरे-धीरे अपने वतन लौट रहे हैं। यूएन शरणार्थी एजेंसी की उप प्रमुख केली क्लेमेंट्स ने लेबनान और सीरिया की अपनी हालिया यात्रा के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस वापसी को सुरक्षित और सम्मानजनक बनाने के लिए यूएनएचसीआर हर संभव मदद दे रहा है, जिसमें आर्थिक सहायता, यात्रा सुविधाएं और रोजगार के अवसर शामिल हैं।
यूएन शरणार्थी एजेंसी की उप प्रमुख केली क्लेमेंट्स ने उन लोगों से भी बात की जो वापस लौटे हैं और उनसे भी जो लौटने का मन बना रहे हैं। उन्होंने देखा कि कैसे इतने सालों की तबाही के बाद भी लोगों में अपने घरों को फिर से बसाने और जिंदगी को पटरी पर लाने का जज्बा बाकी है। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं बल्कि 8.5 लाख उम्मीदों की कहानी है। यह कहानी उन इंसानों की है जिन्होंने हर मुश्किल के बावजूद अपने घर लौटने की उम्मीद नहीं छोड़ी।
उधर, समाचार एजेंसी सिन्हुआ की मानें तो लेबनान में अभी भी लाखों सीरियाई शरणार्थी रह रहे हैं जबकि इस साल करीब 200,000 लोग अपने वतन लौट चुके हैं। वहीं, दूसरी ओर सीरिया में हाल की हिंसा के कारण नए लोग अभी भी लेबनान आ रहे हैं, जिससे पता चलता है कि विस्थापन का यह संकट लगातार बदल रहा है।
वतन वापसी का सफर: चुनौतियां और हौसला
लौटने वाले शरणार्थियों के लिए यह सफर आसान नहीं है। उनके घर उजड़ चुके हैं, रोजगार के साधन खत्म हो गए हैं और बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। लेबनान में अभी भी लाखों सीरियाई शरणार्थी रह रहे हैं, और इनमें से करीब 200,000 लोग इस साल वापस लौट चुके हैं। हालांकि, केली क्लेमेंट्स ने स्वीकार किया कि विस्थापन का यह संकट अभी भी जारी है, क्योंकि कुछ हिस्सों में हिंसा अभी भी चल रही है।
केली क्लेमेंट्स ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संदेश देते हुए कहा, "हमें सिर्फ तमाशा नहीं देखना चाहिए। हमें स्थिरता और सुधार के प्रयासों में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए ताकि सीरियाई लोग अपने देश को फिर से खड़ा कर सकें।" उनकी यह बात बिल्कुल सही है। इन लोगों की वापसी में मदद करना दुनिया की सामूहिक जिम्मेदारी है।
यूएन की मदद और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सहयोग से यह उम्मीद की किरण एक मजबूत रोशनी में बदल सकती है जो न सिर्फ सीरिया को बल्कि पूरी दुनिया को शांति और मानवता का संदेश देगी। (इनपुट आईएएनएस)
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