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थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर मौत का तांडव, मचा हाहाकार, 32 ज़िंदगियां खत्म

थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर खूनी संघर्ष जारी, 32 मौतें। हजारों विस्थापित, संयुक्त राष्ट्र-आसियान की शांति अपील। क्या रुक पाएगा ये मानवीय संकट? जानिए क्यों सुलग रही है सीमा और क्या हैं समाधान के रास्ते।

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Ajit Kumar Pandey
थाईलैंड—कंबोडिया सीमा पर मौत का तांडव, मचा हाहाकार, 32 ज़िंदगियां खत्म | यंग भारत न्यूज

थाईलैंड—कंबोडिया सीमा पर मौत का तांडव, मचा हाहाकार, 32 ज़िंदगियां खत्म | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर दो दिन से जारी खूनी संघर्ष ने हाहाकार मचा रखा है। अब तक 32 लोगों के मौत की खबर है। जिनमें मासूम नागरिक भी शामिल हैं। हजारों लोगों को अपने घरों से बेघर होना पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र और आसियान देशों ने शांति की अपील की है, लेकिन क्या ये अपीलें इस बढ़ती हिंसा को रोक पाएंगी?

थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर चल रहा भीषण संघर्ष अब एक भयावह मोड़ ले चुका है। पिछले दो दिनों से जारी गोलाबारी और बमबारी ने न सिर्फ दोनों देशों के सैनिकों, बल्कि आम नागरिकों को भी अपनी चपेट में ले लिया है। ताजा जानकारी के अनुसार, इस थाईलैंड-कंबोडिया संघर्ष में मरने वालों की संख्या बढ़कर 32 हो गई है, जिसमें 12 नई मौतें कंबोडिया की ओर से दर्ज की गई हैं। यह आंकड़ा रोंगटे खड़े कर देने वाला है और सवाल उठाता है कि आखिर कब थमेगी ये खून-खराबा?

क्यों सुलग रही है सीमा?

इस तनाव की जड़ें मई माह में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत से जुड़ी हैं। हाल ही में सीमा पर हुए बारूदी सुरंग विस्फोट में पांच थाई सैनिकों के घायल होने के बाद आग और भड़क उठी। थाई सेना ने जवाबी कार्रवाई में ताबड़तोड़ गोलाबारी की, जिसके बाद से सीमा पर युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। दोनों देश एक-दूसरे पर नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने का आरोप लगा रहे हैं, जिससे स्थिति और भी जटिल होती जा रही है। क्या इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच कोई रास्ता निकल पाएगा?

विस्थापन का दर्द: हजारों लोग बेघर

संघर्ष का सबसे बड़ा खामियाजा सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। थाईलैंड के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 58,000 से अधिक लोग प्रभावित जिलों से सुरक्षित स्थानों पर निकाले गए हैं। वहीं, कंबोडिया में भी करीब 23,000 लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। सैकड़ों लोग अस्थायी शिविरों में शरण लिए हुए हैं, जबकि कुछ लोग अपनी जान बचाने के लिए घरों के पास बंकर खोदकर रह रहे हैं। सोचिए, एक रात में सब कुछ छोड़कर भागने की मजबूरी कितनी दर्दनाक होती है!

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थाईलैंड के सुरिन जिले में स्कूलों और विश्वविद्यालयों को राहत शिविरों में बदल दिया गया है, जहां लोग किसी तरह अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं। इन विस्थापितों में बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं, जो अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उनकी आंखों में एक ही सवाल है – क्या वे कभी अपने घरों को लौट पाएंगे?

अंतरराष्ट्रीय दखल: क्या शांति संभव है?

इस खूनी संघर्ष को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय हरकत में आ गया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आपात बैठक बुलाई है और दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। कंबोडिया के संयुक्त राष्ट्र राजदूत ने तो यूएन से तत्काल संघर्षविराम की गुहार लगाई है।

वहीं, ASEAN (आसियान) की अध्यक्षता कर रहे मलेशिया ने भी इस तनाव को खत्म करने के लिए मध्यस्थता की पेशकश की है। मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने बताया है कि दोनों देशों ने संघर्षविराम पर सैद्धांतिक सहमति तो दे दी है, लेकिन जमीन पर स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है। क्या ये अंतरराष्ट्रीय प्रयास इस भयानक थाईलैंड-कंबोडिया सीमा संघर्ष पर विराम लगा पाएंगे?

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