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तिब्बती परंपरा को मिला नया पहरेदार — दलाई लामा ने किसे सौंपी ये जिम्मेदारी? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान जारी कर 'दलाई लामा संस्था' की निरंतरता की पुष्टि की है। इस घोषणा ने भविष्य के दलाई लामा की पहचान प्रक्रिया को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लगा दिया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि यह अधिकार केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट के पास होगा।
तिब्बती आध्यात्मिक नेता परम पावन दलाई लामा ने एक ऐसा बयान जारी किया है जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस बयान में उन्होंने 'दलाई लामा संस्था' की निरंतरता पर जोर दिया है, जो तिब्बती बौद्ध धर्म और संस्कृति के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह घोषणा भविष्य में दलाई लामा की पहचान और उनके उत्तराधिकारी की प्रक्रिया को लेकर स्पष्टता प्रदान करती है, जिससे अनिश्चितता का माहौल समाप्त हुआ है।
दलाई लामा ने अपने 24 सितंबर, 2011 के बयान को दोहराया है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि भविष्य के दलाई लामा को पहचानने की जिम्मेदारी विशेष रूप से गादेन फोडरंग ट्रस्ट (Gaden Phodrang Trust) के सदस्यों की होगी। यह ट्रस्ट, परम पावन दलाई लामा के कार्यालय के अधीन कार्य करता है। यह एक ऐसा कदम है जो तिब्बती परंपराओं को अक्षुण्ण रखने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण है।
VIDEO | Tibetan spiritual leader Dalai Lama issues a statement affirming the 'continuation of the Institution of Dalai Lama'.
— Press Trust of India (@PTI_News) July 2, 2025
"The process by which a future Dalai Lama is to be recognised has been clearly established in the 24 September 2011 statement which states that… pic.twitter.com/yXuqckzjle
उत्तराधिकारी की पहचान: एक पवित्र और विशिष्ट प्रक्रिया
इस प्रक्रिया में, ट्रस्ट को तिब्बती बौद्ध परंपराओं के विभिन्न प्रमुखों और उन विश्वसनीय धर्म रक्षकों से परामर्श करना होगा जो दलाई लामाओं की वंशावली से अविभाज्य रूप से जुड़े हुए हैं। इसका मतलब है कि यह केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि एक गहन आध्यात्मिक और पारंपरिक प्रक्रिया है। यह सुनिश्चित करता है कि अगला दलाई लामा न केवल आध्यात्मिक रूप से योग्य हो, बल्कि परंपराओं के अनुसार भी चुना जाए।
परम पावन ने साफ शब्दों में कहा है, "मैं यहां दोहराता हूं कि गादेन फोडरंग ट्रस्ट के पास भविष्य के अवतार को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार है; किसी और के पास इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।" यह कथन चीन जैसे उन बाहरी शक्तियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है जो तिब्बती धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास करती रही हैं। यह बयान तिब्बती लोगों के लिए एक बड़ी राहत है, जो अपनी आध्यात्मिक स्वतंत्रता को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं।
तिब्बती संस्कृति और पहचान की रक्षा
दलाई लामा का यह बयान ऐसे समय में आया है जब तिब्बती संस्कृति और उनकी पहचान को बनाए रखने के लिए लगातार संघर्ष चल रहा है। चीन की कठोर नीतियों के कारण तिब्बत के भीतर धार्मिक स्वतंत्रता गंभीर रूप से प्रतिबंधित है। ऐसे में, दलाई लामा का यह स्पष्टीकरण तिब्बती समुदाय को एकजूटता और आशा देता है। यह दर्शाता है कि उनकी आध्यात्मिक परंपराएं किसी भी बाहरी हस्तक्षेप से सुरक्षित रहेंगी।
यह घोषणा सिर्फ तिब्बतियों के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी मायने रखती है। दलाई लामा, शांति और करुणा के प्रतीक के रूप में जाने जाते हैं। उनकी संस्था की निरंतरता यह सुनिश्चित करती है कि उनके मूल्य और शिक्षाएं भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचती रहें। यह उनके लाखों अनुयायियों के लिए एक मार्गदर्शक शक्ति है।
बयान में यह भी कहा गया है कि ट्रस्ट को "पिछली परंपरा के अनुसार खोज और मान्यता की प्रक्रियाओं को अंजाम देना चाहिए।" यह इस बात पर जोर देता है कि भले ही परिस्थितियां बदल रही हों, लेकिन मौलिक परंपराएं और पद्धतियां अपरिवर्तित रहेंगी। यह एक संकेत है कि तिब्बती बौद्ध धर्म अपनी जड़ों से जुड़ा रहेगा, चाहे कितनी भी चुनौतियां क्यों न आएं।
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