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Donald Trump की ईरान को बड़ी चेतावनी, खाली करो तेहरान!

G7 नेताओं ने ईरान-इजरायल तनाव कम करने और इजरायल के आत्मरक्षा अधिकार का समर्थन करने का आह्वान किया। ट्रम्प ने ईरान खाली करने को कहा। अमेरिका-ब्रिटेन व्यापार समझौता भी हुआ। वैश्विक शांति और मध्य पूर्व में तनाव महत्वपूर्ण विषय बने।

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Ajit Kumar Pandey
डोनाल्ड ट्रंप की ईरान को बड़ी चेतावनी, खाली करो तेहरान! | यंग भारन न्यूज

डोनाल्ड ट्रंप की ईरान को बड़ी चेतावनी, खाली करो तेहरान! | यंग भारन न्यूज

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । G7 देशों की बैठक को छोड़कर वापस अमेरिका लौटे यूएस प्रेसी​डेंट डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि राजधानी तेहरान को जल्द खाली करो। आज मंगलवार 17 जून 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प G7 बैठक को बीच में ही छोड़कर वाशिंगटन लौट आए हैं। मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच उनका यह कदम काफी अहम माना जा रहा है।

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वापसी के बाद, ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर एक धमाकेदार पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने ईरान के सभी निवासियों से "तुरंत" वहां से निकलने का आग्रह किया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं होने चाहिए। यह बयान ईरान पर अमेरिका के सख्त रुख को फिर से दर्शाता है और मौजूदा स्थिति को और अधिक जटिल बना सकता है।

अमेरिका और ब्रिटेन ने एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए

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ट्रम्प के इस बयान से पहले, G7 में एक और महत्वपूर्ण घटना हुई। अमेरिका और ब्रिटेन ने एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए। ट्रम्प ने इस समझौते को दोनों देशों के लिए "निष्पक्ष" बताया। यह समझौता ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो उसे वैश्विक व्यापारिक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद करेगा। मध्य पूर्व का मुद्दा इस सम्मेलन पर हावी रहा और व्यापार समझौते की खबरें उतनी सुर्खियां नहीं बटोर पाईं।

उधर, G7 देशों के नेताओं ने ईरान-इजरायल तनाव पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने ईरान से संयम बरतने और तनाव कम करने की अपील की, साथ ही इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया। अमेरिका-ब्रिटेन के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौते पर भी हस्ताक्षर हुए।

G7 शिखर सम्मेलन: जब दुनिया की नजरें मध्य पूर्व पर टिकीं!

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हाल ही में हुए G7 शिखर सम्मेलन में दुनिया के शक्तिशाली देशों के नेताओं ने कई अहम मुद्दों पर चर्चा की, लेकिन सबकी निगाहें मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव पर टिकी थीं। ईरान और इजरायल के बीच की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है, और इसने वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। G7 नेताओं ने इस नाजुक स्थिति पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की और एक स्पष्ट संदेश दिया: तनाव कम करो!

यह सिर्फ एक बयान नहीं था, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों की ओर से एक संयुक्त आह्वान था। उन्होंने ईरान से संयम बरतने और किसी भी ऐसे कदम से बचने का आग्रह किया जिससे स्थिति और खराब हो। साथ ही, उन्होंने इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का भी पुरजोर समर्थन किया। यह एक संतुलनकारी कार्य था, जहां एक ओर तनाव कम करने की बात कही गई, वहीं दूसरी ओर इजरायल की सुरक्षा संबंधी चिंताओं को भी स्वीकार किया गया।

G7 शिखर सम्मेलन: जब दुनिया की नजरें मध्य पूर्व पर टिकीं! | यंग भारत न्यूज
G7 शिखर सम्मेलन: जब दुनिया की नजरें मध्य पूर्व पर टिकीं! | यंग भारत न्यूज
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मध्य पूर्व का बढ़ता तापमान: क्यों है यह पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय?

मध्य पूर्व एक ऐसा क्षेत्र है जहां कई दशकों से अशांति और संघर्ष का दौर चल रहा है। ईरान और इजरायल के बीच का मौजूदा तनाव कोई नया नहीं है, लेकिन हाल के घटनाक्रमों ने इसे और भी बढ़ा दिया है। इजरायल अपनी सुरक्षा को लेकर हमेशा से संवेदनशील रहा है, खासकर ईरान के परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्र में उसकी बढ़ती सैन्य उपस्थिति को लेकर। दूसरी ओर, ईरान भी अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय प्रभाव को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस क्षेत्र में किसी भी बड़े संघर्ष का असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है। तेल की कीमतों में उछाल, शरणार्थी संकट और वैश्विक व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव कुछ ऐसे संभावित परिणाम हैं जिनसे दुनिया चिंतित है। यही कारण है कि G7 जैसे संगठन इस मुद्दे पर सक्रिय रूप से ध्यान दे रहे हैं और सभी पक्षों से शांति और संयम बनाए रखने का आग्रह कर रहे हैं।

आगे क्या? शांति की राह या संघर्ष का रास्ता?

G7 देशों का यह स्पष्ट आह्वान एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इसका कोई वास्तविक प्रभाव पड़ेगा? क्या ईरान इस अपील पर ध्यान देगा और अपनी नीतियों में बदलाव करेगा? क्या इजरायल अपनी आत्मरक्षा की रणनीति को लेकर लचीलापन दिखाएगा? ये ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब आने वाले समय में ही मिल पाएंगे।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका यहां बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। बातचीत और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है जिससे इस संकट को टाला जा सकता है। सभी पक्षों को मेज पर आकर अपनी चिंताओं को साझा करना होगा और एक स्थायी समाधान खोजना होगा। युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं है, और इसका खामियाजा हमेशा आम लोगों को ही भुगतना पड़ता है।

हमें उम्मीद करनी चाहिए कि G7 नेताओं का यह संदेश गंभीरता से लिया जाएगा और क्षेत्र में शांति बहाली के लिए प्रयास तेज होंगे। वैश्विक शांति के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि तनाव कम हो और कूटनीति को जीत मिले।

क्या आप इस बात से सहमत हैं कि बातचीत ही एकमात्र रास्ता है? कमेंट करके अपनी राय बताएं!

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