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भारत को 100% टैरिफ से घेरो : अब G7 से बोले ट्रंप, मकसद क्या हैं?

अमेरिका ने G-7 से भारत-चीन पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की मांग की है। इसके पीछे रूस से तेल खरीद और चीन-भारत की बढ़ती मैन्युफैक्चरिंग ताकत है। यह कदम भारत पर सीधा असर डालेगा, जिससे निर्यात प्रभावित हो सकता है।

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Ajit Kumar Pandey
Trump ने क्यों कहा 'India-China पर लगा दो 100 Tariff, कौन हैं G-7 देश? | यंग भारत न्यूज

Trump ने क्यों कहा 'India-China पर लगा दो 100 Tariff, कौन हैं G-7 देश? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।अमेरिका ने हाल ही में G-7 देशों से कहा है कि वे भारत और चीन पर 100% टैरिफ लगा दें। यह कोई साधारण बात नहीं है क्योंकि, इसका सीधा असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूरोपियन यूनियन से भी भारत चीन पर टैरिफ बढ़ाने का दबाव बना चुके हैं। 

फाइनेंसियल टाइम्स के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप ने तो यहां तक कहा था कि अगर वे फिर से राष्ट्रपति बनते हैं तो भारत और चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाएंगे। इस बयान से साफ लग रहा है कि यह सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। 

विकसित देशों का समूह है G-7

G-7 समूह दुनिया के सबसे विकसित और अमीर देशों का समूह है। इसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और अमेरिका शामिल हैं। G-7 देशों के सामने अमेरिका ने यह प्रस्ताव रखा है कि चीन और भारत पर 100% टैरिफ लगाया जाए। इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य इन देशों की अर्थव्यवस्था पर दबाव बनाना है ताकि रूस को बातचीत के टेबल पर लाया जाए।

भारत और चीन आज दुनिया के सबसे बड़े मैन्युफैक्चरिंग हब बन गए हैं। अमेरिका को लगता है कि ये दोनों देश अपने सामान को सस्ते में बेचकर दूसरे देशों के बाज़ार पर कब्ज़ा कर रहे हैं, जिससे अमेरिका और G-7 देशों की अपनी इंडस्ट्रीज़ को नुकसान हो रहा है। इसीलिए, अमेरिका ने यह कदम उठाया है। 

रूस के साथ क्या है तेल का खेल 

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इस पूरे मामले में एक और बड़ा खिलाड़ी है - रूस। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए थे। लेकिन, भारत और चीन ने इन प्रतिबंधों को नज़रअंदाज़ करते हुए रूस से सस्ते में तेल खरीदा। रूस से तेल खरीदने से भारत और चीन की अर्थव्यवस्था को तो फ़ायदा हुआ, लेकिन अमेरिका और यूरोप को यह बात रास नहीं आई। 

अमेरिका का मानना है कि रूस से तेल खरीदकर भारत और चीन अप्रत्यक्ष रूप से रूस की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं। अमेरिका चाहता है कि रूस पर और दबाव बनाया जाए और इसका एक तरीका यह है कि उन देशों पर सख्ती बरती जाए जो रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं। यह भी एक वजह है कि अमेरिका ने यह टैरिफ लगाने की मांग की है। 

भारत पर असर और आगे की राह 

अगर अमेरिका और G-7 देश सच में ऐसा कोई कदम उठाते हैं तो इसका भारत पर क्या असर होगा? 

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निर्यात में कमी: भारत से अमेरिका और यूरोप को होने वाले निर्यात पर असर पड़ सकता है। 

आर्थिक दबाव: टैरिफ लगने से भारतीय सामान महंगा हो जाएगा, जिससे उसकी मांग कम हो सकती है। 

राजनीतिक तनाव: इससे भारत और अमेरिका के संबंधों में भी तनाव आ सकता है। लेकिन, भारत के लिए यह चुनौती के साथ-साथ एक मौका भी हो सकता है। भारत को अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और नए बाज़ारों की तलाश करने की ज़रूरत होगी। 

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भारत को आत्मनिर्भरता पर और भी ज़्यादा ध्यान देना होगा ताकि इस तरह के कदमों का उस पर कम से कम असर पड़े। 

कितना आसान होगा G-7 देशों के लिए टैरिफ लगाना

G-7 देशों के लिए आसान नहीं होगा। इससे वैश्विक व्यापार में अस्थिरता आ सकती है। कई देशों की कंपनियां भारत और चीन में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं। अगर टैरिफ लगता है तो उनकी भी मुश्किलें बढ़ेंगी। यह सिर्फ भारत और चीन का नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का मुद्दा बन गया है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि G-7 देश इस अमेरिकी प्रस्ताव पर क्या फैसला लेते हैं। क्या वे अमेरिका का साथ देंगे या फिर अपने-अपने आर्थिक हितों को प्राथमिकता देंगे?

US G-7 Tariffs | India China Sanctions | India-Russia oil trade | Global trade war 

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