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'मोदी और मैं हमेशा दोस्त रहेंगे...', भारत को चीन के हाथों खो देने वाले बयान के बाद फिर बदले ट्रंप के सुर | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक और बयान दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'महान दोस्त' बताते हुए भी रूसी तेल खरीद पर निराशा जताई है। यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत-अमेरिका के बीच 50% टैरिफ को लेकर पहले से ही तनाव चल रहा है।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बदलते बयानों के बीच के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर सकारात्मक जवाब दिया है।
उन्होंने लिखा है कि, राष्ट्रपति ट्रम्प की भावनाओं और हमारे संबंधों के सकारात्मक मूल्यांकन की हम तहे दिल से सराहना करते हैं और उनका पूर्ण समर्थन करते हैं।
भारत और अमेरिका के बीच एक अत्यंत सकारात्मक और दूरदर्शी व्यापक एवं वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है।
Deeply appreciate and fully reciprocate President Trump's sentiments and positive assessment of our ties.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 6, 2025
India and the US have a very positive and forward-looking Comprehensive and Global Strategic Partnership.@realDonaldTrump@POTUShttps://t.co/4hLo9wBpeF
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दो बयान सुर्खियों में हैं। पहला, उन्होंने कहा कि "मैं हमेशा नरेंद्र मोदी का दोस्त रहूंगा, वह एक महान प्रधानमंत्री हैं।" दूसरा, उन्होंने रूस से भारत की तेल खरीद पर गहरी निराशा व्यक्त की। ये दोनों बातें एक ही समय में सामने आना अजीब लगता है, खासकर तब जब अमेरिकी टैरिफ के कारण दोनों देशों के संबंधों में थोड़ी खटास आ गई है।
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप एक तरफ तो भारत को अपना महत्वपूर्ण सहयोगी बनाए रखना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर घरेलू मोर्चे पर अपनी नीतियों का बचाव भी कर रहे हैं। यह सब तब शुरू हुआ जब ट्रंप ने भारत पर 50% का भारी-भरकम टैरिफ लगाया। इससे भारत की कुछ कंपनियों और निर्यातकों को भारी नुकसान हुआ, जिससे दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में तनाव आ गया।
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में रूस और चीन के नेताओं से गर्मजोशी से मुलाकात की, जिसकी तस्वीरें वायरल हो गईं।
#WATCH | Washington DC | Responding to ANI's question on resetting relations with India, US President Donald Trump says, "I always will, I will always be friends with Modi, he is a great Prime Minister, he is great... I just don't like what he is doing at this particular moment,… pic.twitter.com/gzMQZfzSor
— ANI (@ANI) September 5, 2025
'हमने भारत को खो दिया': ट्रंप का रहस्यमयी सोशल मीडिया पोस्ट
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पुरानी तस्वीर साझा की, जिसमें पीएम मोदी रूसी राष्ट्रपति पुतिन और चीनी नेता शी जिनपिंग के साथ दिख रहे थे। इस पोस्ट के साथ उन्होंने लिखा, "लगता है कि हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है।"
इस पोस्ट ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भूचाल ला दिया। क्या यह सिर्फ एक राजनीतिक चाल थी या ट्रंप सच में भारत से दूरी महसूस कर रहे थे? बाद में उन्होंने अपने पोस्ट पर एक प्रतिक्रिया में सफाई देते हुए कहा कि वह इस बात से निराश हैं कि भारत रूस से इतना तेल खरीद रहा है। उन्होंने यह भी दोहराया कि मोदी के साथ उनके संबंध बहुत अच्छे हैं।
ट्रंप के इन विरोधाभासी बयानों ने एक नई बहस छेड़ दी है। क्या ट्रंप बैकफुट पर हैं?
अमेरिका में कई अधिकारी और नेता ट्रंप प्रशासन पर भारत से रिश्ते खराब करने का आरोप लगा रहे हैं। वे मानते हैं कि भारत जैसी बड़ी और उभरती हुई शक्ति को नाराज करना अमेरिका के हित में नहीं है। ट्रंप के हालिया बयानों से ऐसा लगता है कि वह इस आलोचना के कारण बैकफुट पर आ गए हैं और अब भारत के साथ रिश्तों को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।
टैरिफ तनाव और भू-राजनीतिक समीकरण
भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ का मुद्दा सिर्फ एक व्यापारिक विवाद नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर रहा है। रूस और चीन के साथ भारत की बढ़ती निकटता अमेरिका के लिए चिंता का विषय है। भारत एक स्वतंत्र विदेश नीति अपना रहा है और किसी भी देश के दबाव में आने को तैयार नहीं है।
कूटनीति की जटिलता: भारत रूस से तेल खरीद कर अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर रहा है, जबकि अमेरिका चाहता है कि भारत रूस पर लगे प्रतिबंधों का सम्मान करे।
आर्थिक दबाव: 50% का टैरिफ भारत के लिए एक बड़ा आर्थिक झटका है, जिसे कम करने के लिए भारत अमेरिका से बातचीत कर रहा है।
सामरिक महत्व: भारत-अमेरिका संबंध केवल व्यापार तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। भारत की कूटनीति इस समय एक नाजुक संतुलन साध रही है।
एक तरफ वह अमेरिका के साथ अपने संबंधों को मजबूत रखना चाहता है, वहीं दूसरी ओर वह अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को भी बनाए रखना चाहता है।
ट्रंप के बयानों से साफ है कि वह भारत के साथ अपने रिश्ते को बिगड़ने देना नहीं चाहते।
पीएम मोदी की एससीओ बैठक में भागीदारी के बाद, अमेरिका को यह अहसास हुआ है कि भारत के पास भू-राजनीतिक विकल्प मौजूद हैं। आने वाले समय में दोनों देशों के बीच व्यापार और रणनीतिक मुद्दों पर बातचीत बढ़ने की संभावना है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रंप अपने टैरिफ को कम करते हैं और क्या भारत रूस से तेल खरीद पर अपना रुख नरम करता है। फिलहाल, इतना तो तय है कि दुनिया की दो सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्तियों के रिश्ते एक चौराहे पर खड़े हैं, जहां से आगे की राह आपसी समझ और कूटनीति ही तय करेगी।
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