नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान के बारे में कुछ ऐसा कहा है, जिससे हर कोई हैरान है। उन्होंने ईरान की 'बहादुरी' की तारीफ की और कहा कि उसे नुकसान से उबरने के लिए तेल बेचने की पूरी छूट मिलनी चाहिए। यह बयान ईरान के परमाणु कार्यक्रम और पश्चिमी देशों के साथ उसके तनावपूर्ण संबंधों के बीच आया है, और इसके वैश्विक राजनीति पर गहरे असर हो सकते हैं। क्या यह अमेरिका की ईरान नीति में एक बड़ा बदलाव है? आइए जानते हैं इस पूरे मामले की अंदरूनी कहानी।
ट्रम्प, अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं, और इस बार उनका निशाना था नाटो शिखर सम्मेलन, जहां उन्होंने ईरान को लेकर एक चौंकाने वाला रुख अपनाया। जिस ईरान को अमेरिका इतने सालों से प्रतिबंधों से घेरे हुए है, उसी ईरान को लेकर ट्रम्प ने कहा कि उसे तेल बेचने से नहीं रोका जाएगा। उन्होंने साफ कहा कि ईरान एक बहादुर देश है, जिसने बहादुरी से जंग लड़ी है और अब उसे अपने नुकसान से उबरने के लिए सहयोग की जरूरत है।
ट्रंप के बयान चौंके पश्चिमी देश
यह बयान ऐसे समय में आया है जब ईरान और पश्चिमी देशों के बीच परमाणु समझौते को लेकर तनाव चरम पर है। अमेरिका ने 2018 में ईरान परमाणु समझौते से खुद को अलग कर लिया था और ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे। इन प्रतिबंधों का मकसद ईरान के तेल निर्यात को पूरी तरह से रोकना था, ताकि उसकी अर्थव्यवस्था को कमजोर किया जा सके और उसे परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने के लिए मजबूर किया जा सके। ऐसे में ट्रम्प का यह बयान न सिर्फ विरोधाभासी लगता है, बल्कि इसके पीछे कई भू-राजनीतिक समीकरण भी छिपे हो सकते हैं।
ट्रम्प के इस बयान से कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या अमेरिका ईरान के प्रति अपनी नीति में नरमी ला रहा है? क्या यह 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों से पहले ट्रम्प की कोई नई रणनीति है? या फिर इसका संबंध वैश्विक तेल बाजारों और बढ़ती तेल कीमतों से है? ट्रम्प हमेशा से 'अमेरिका फर्स्ट' की नीति पर चलते रहे हैं, और उनके इस बयान को अमेरिका के आर्थिक हितों से जोड़कर भी देखा जा सकता है। अगर ईरान को तेल बेचने की छूट मिलती है, तो वैश्विक तेल आपूर्ति बढ़ सकती है, जिससे तेल की कीमतों में गिरावट आ सकती है। यह अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए एक राहत की बात होगी।
ट्रम्प की 'नई' ईरान नीति: क्या है नाटो शिखर सम्मेलन का संदेश?
नाटो शिखर सम्मेलन में ट्रम्प का यह बयान सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि एक संदेश है। यह संदेश हो सकता है कि अमेरिका, ईरान के साथ सीधे टकराव से बचना चाहता है और बातचीत के लिए एक रास्ता खोलना चाहता है। याद रहे, ट्रम्प हमेशा से बातचीत के समर्थक रहे हैं, भले ही उनकी बातचीत की शर्तें कितनी भी कठोर क्यों न हों।
दूसरी ओर, इस बयान से मध्य पूर्व में अमेरिका के सहयोगियों, जैसे सऊदी अरब और इज़राइल, के बीच चिंताएं बढ़ सकती हैं। ये देश ईरान को अपने लिए एक बड़ा खतरा मानते हैं और ईरान पर कड़े प्रतिबंधों के समर्थक रहे हैं। ऐसे में ट्रम्प का यह रुख उनके लिए एक झटका हो सकता है।
फिलहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रम्प के इस बयान का ईरान पर क्या असर होता है। क्या ईरान इस मौके का फायदा उठाएगा और पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों को सुधारने की कोशिश करेगा? या फिर यह बयान सिर्फ एक चुनावी चाल है और ट्रम्प की ईरान नीति में कोई बड़ा बदलाव नहीं आने वाला है? आने वाले दिनों में यह स्पष्ट हो जाएगा।
यह भी मुमकिन है कि ट्रम्प ने यह बयान नाटो सदस्यों को एक संकेत के रूप में दिया हो कि अमेरिका अब ईरान के मुद्दे पर अकेला नहीं चलना चाहता, बल्कि अपने सहयोगियों को भी इसमें शामिल करना चाहता है। नाटो सदस्य देशों के बीच ईरान को लेकर अलग-अलग राय रही है, और ट्रम्प का यह बयान शायद इस मतभेद को कम करने की कोशिश हो।
आगे क्या? ट्रम्प के बयान का वैश्विक राजनीति पर असर
ट्रम्प के इस बयान के कई दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं। अगर ईरान को सचमुच तेल बेचने की छूट मिलती है, तो उसकी अर्थव्यवस्था को एक बड़ी राहत मिलेगी, जिससे वह अपनी सैन्य क्षमताओं और क्षेत्रीय प्रभाव को और मजबूत कर सकता है। इससे मध्य पूर्व में शक्ति संतुलन बदल सकता है, और नए गठबंधनों और प्रतिद्वंद्विता को जन्म दे सकता है।
कुल मिलाकर, नाटो शिखर सम्मेलन में ट्रम्प का यह बयान एक ऐसी चाल है जिसके कई आयाम हैं। यह बयान ईरान के लिए एक अवसर हो सकता है, लेकिन साथ ही मध्य पूर्व और वैश्विक राजनीति में नई चुनौतियों को भी जन्म दे सकता है। हमें अगले कुछ महीनों में इस पूरे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखनी होगी, क्योंकि इसके वैश्विक भू-राजनीति पर दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
आपको क्या लगता है, ट्रम्प के इस बयान का ईरान और वैश्विक राजनीति पर क्या असर होगा? क्या यह शांति की दिशा में एक कदम है या फिर किसी नए तनाव की शुरुआत? नीचे कमेंट करके अपनी राय जरूर बताएं!
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