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Putin से तेल खरीदा तो अमेरिका से रार! India-China-Brazil पर 500% टैक्स का प्रहार! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका ने एक बड़ा कदम उठाया है। अमेरिकी सीनेटरों ने एक चौंकाने वाले प्रस्ताव में भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों पर 500% टैरिफ लगाने की बात कही है। इसका उद्देश्य रूस से तेल खरीदने और पुतिन की "युद्ध मशीन" को ईंधन देने से रोकना है। यह खबर दुनिया भर में हलचल मचा रही है और इसके भू-राजनीतिक व आर्थिक परिणाम दूरगामी हो सकते हैं।
यह प्रस्ताव अमेरिकी सीनेटरों की ओर से आया है जो रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस के खिलाफ सख्त कार्रवाई की वकालत कर रहे हैं। उनका मानना है कि भारत और चीन जैसे देश, जो रूस से रियायती दरों पर तेल खरीद रहे हैं, अप्रत्यक्ष रूप से पुतिन की युद्ध मशीन को धन मुहैया करा रहे हैं। इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य इन देशों को रूस के साथ व्यापार करने से रोकना है, ताकि रूस की आर्थिक शक्ति कमजोर हो और वह युद्ध जारी न रख सके।
"Fueling Putin's war machine": US Senators say penalise India, China, Brazil with 500% tarriff to deter trade with Russia
— ANI Digital (@ani_digital) July 15, 2025
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भारत पर क्या होगा असर?
भारत रूस से तेल खरीदने वाले सबसे बड़े देशों में से एक बन गया है। युद्ध के बाद पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखा। यदि 500% टैरिफ का प्रस्ताव लागू होता है, तो भारत के लिए रूसी तेल खरीदना बेहद महंगा हो जाएगा। इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव पड़ सकता है, क्योंकि ऊर्जा लागत में वृद्धि से महंगाई बढ़ सकती है और उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह भारतीय उपभोक्ताओं के लिए भी एक बड़ा झटका होगा, क्योंकि पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान छू सकते हैं।
चीन और ब्राजील भी निशाने पर
भारत के अलावा, चीन और ब्राजील जैसे देश भी इस प्रस्ताव के दायरे में आते हैं। चीन भी रूस का एक बड़ा व्यापारिक साझेदार है और उसने भी रूस से तेल आयात बढ़ाया है। ब्राजील भी इसी श्रेणी में आता है। इन देशों पर टैरिफ लगने से वैश्विक व्यापार समीकरणों में बड़ा बदलाव आएगा। यह प्रस्ताव इन देशों को अपनी विदेश नीति और व्यापार संबंधों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करेगा।
भू-राजनीतिक implications: क्या बिगड़ेंगे अमेरिका से संबंध?
यह प्रस्ताव न केवल आर्थिक बल्कि भू-राजनीतिक मोर्चे पर भी तनाव बढ़ा सकता है। यदि अमेरिका इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाता है, तो भारत, चीन और ब्राजील के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं। ये देश अपनी संप्रभुता और व्यापारिक स्वतंत्रता पर इस तरह के बाहरी दबाव को स्वीकार करने से हिचकिचा सकते हैं। इससे वैश्विक शक्ति संतुलन में भी बदलाव आ सकता है, क्योंकि ये देश रूस के करीब आने या नए व्यापारिक गठबंधन बनाने के लिए मजबूर हो सकते हैं।
एक तरफ जहां अमेरिका रूस को कमजोर करना चाहता है, वहीं दूसरी तरफ वह अपने प्रमुख व्यापारिक साझेदारों को भी नाराज करने का जोखिम उठा रहा है।
आगे क्या? विकल्प और चुनौतियां
इस प्रस्ताव के बाद भारत और अन्य प्रभावित देशों के सामने कई चुनौतियां और विकल्प होंगे
नए ऊर्जा स्रोत तलाशना: भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भरता कम करने और अन्य देशों से तेल आयात के विकल्पों पर विचार करना पड़ सकता है।
कूटनीतिक दबाव: भारत, चीन और ब्राजील एक साथ आकर अमेरिकी प्रस्ताव का विरोध कर सकते हैं और कूटनीतिक स्तर पर दबाव बनाने की कोशिश कर सकते हैं।
रूस के साथ संबंधों का पुनर्मूल्यांकन: इन देशों को रूस के साथ अपने व्यापारिक और रणनीतिक संबंधों का पुनर्मूल्यांकन करना पड़ सकता है।
वैश्विक आर्थिक मंदी का खतरा: यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में और अस्थिरता ला सकता है, जिससे कई देशों को नुकसान हो सकता है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिका इस प्रस्ताव को कानून में बदलता है या यह केवल एक चेतावनी के रूप में रहता है। निश्चित रूप से, यह घटनाक्रम आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालेगा। यह साफ है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के आर्थिक और भू-राजनीतिक नतीजे अभी खत्म नहीं हुए हैं।
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