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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। america vs china: विश्व राजनीति में एक बार फिर से ताइवान को लेकर तनाव गहराता नजर आ रहा है। अमेरिकी रक्षा विभाग (Pentagon) ने हाल ही में जापान और ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बनाया है कि अगर अमेरिका और चीन के बीच ताइवान को लेकर युद्ध होता है, तो इन दोनों देशों की भूमिका क्या होगी- इसे स्पष्ट करें। अमेरिका और ईरान के बीच तनाव अभी कम नहीं हुआ है और ऐसे में अमेरिका, चीन को छेड़ने से पहले वैश्विक स्थिति भांपने में लगा है। जानकारों का मानना है कि यदि चीन और अमेरिका आमने- सामने आ गए तो तीसरे विश्व युद्ध की भूमिका तैयार होनी तय है।
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जानिए क्या है विवाद का कारण
अमेरिका से ताईवान को मिली सैन्य मदद पर चीन परेशान है। दरअसल दक्षिण- पूर्वी एशिया के समुद्र में अमेरिका की मौजूदगी चीन का मंजूर नहीं है। कुल मिलाकर चीन और अमेरिका दोनों ही वर्चस्व को लेकर खासे संजीदा हैं, हालांकि दोनों की नीति सीधे तौर पर युद्ध में उलझने के बजाय पावर वैलेंस के बल पर वर्चस्व बनाए रखने की है। परमाणु और पारंपरिक हथियारों के निर्माण के बल पर चीन अमेरिका को यह जाहिर करना चाहता है कि समय बदल गया है। दक्षिण कोरिया और जापान में अपनी मौजूदगी से अमेरिका एशिया- प्रशांत क्षेत्र में लंबे समय से दबदबा बनाए हुए है।
अमेरिका ने उठाया सवाल
पेंटागन के अंडर सेक्रेटरी फॉर डिफेंस पॉलिसी ने जापान और ऑस्ट्रेलिया के रक्षा अधिकारियों के साथ हालिया वार्ताओं में यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया है। अमेरिका चाहता है कि Indo-Pacific क्षेत्र में उसके सहयोगी राष्ट्र किसी भी संभावित संघर्ष की स्थिति में पहले से अपनी भूमिका तय करें।
ताइवान बना वैश्विक संघर्ष का केंद्र?
चीन लगातार ताइवान को अपना क्षेत्र मानता आया है, जबकि अमेरिका ताइवान को एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक इकाई के रूप में देखता है। ऐसे में ताइवान को लेकर दोनों शक्तियों के बीच टकराव की आशंका बनी हुई है।विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह टकराव युद्ध में बदलता है, तो यह न सिर्फ एशिया बल्कि पूरी दुनिया की शांति को प्रभावित कर सकता है।
जापान और ऑस्ट्रेलिया की चुप्पी
अब तक जापान और ऑस्ट्रेलिया ने इस मुद्दे पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, दोनों देश अमेरिका के रणनीतिक सहयोगी हैं और Indo-Pacific सुरक्षा ढांचे में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। पेंटागन की चिंता यह है कि किसी भी आपात स्थिति में अमेरिका को यह पहले से पता होना चाहिए कि उसके मित्र राष्ट्र क्या स्टैंड लेंगे।
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