नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बुधवार को एक बड़ा
कानूनी झटका लगा है। वॉशिंगटन डीसी के संघीय जिला न्यायाधीश पॉल फ्राइडमैन ने ट्रंप प्रशासन के उस आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी है, जो विदेश सेवा कर्मचारियों से उनके सामूहिक बातचीत के अधिकार को समाप्त करने की कोशिश कर रहा था। इस कार्यकारी आदेश को राष्ट्रपति ट्रंप ने 27 मार्च को हस्ताक्षरित किया था, जिसे अमेरिकन फॉरेन सर्विस एसोसिएशन (AFSA) ने अदालत में चुनौती दी थी। यह संघ अमेरिका की विदेश सेवा के 18,000 से अधिक सदस्यों का प्रतिनिधित्व करता है।
कोर्ट ने ट्रंप के आदेश पर लगाई रोक
न्यायाधीश फ्राइडमैन ने संघ की प्रारंभिक निषेधाज्ञा की मांग को स्वीकार करते हुए कहा कि जब तक मुकदमे की कार्यवाही पूरी नहीं होती, ट्रंप प्रशासन इस आदेश को लागू नहीं कर सकता। AFSA का कहना है कि ट्रंप का यह आदेश विदेश विभाग और यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) के कर्मचारियों को उनके श्रमिक अधिकारों से वंचित करता है, जो दशकों से चले आ रहे श्रम-प्रबंधन संतुलन को तोड़ता है।
प्रशासन की दलील, राष्ट्रीय सुरक्षा में बाधा बन रहे संघ
वहीं, सरकारी वकीलों ने दलील दी कि राष्ट्रपति का मानना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी एजेंसियां, श्रमिक संघों के साथ समझौतों के कारण कुशलता से कार्य नहीं कर पा रहीं, और इससे आम जनता के हितों को नुकसान हो रहा है। उनका कहना है कि राष्ट्रपति को ऐसा आदेश देने का संवैधानिक अधिकार है।
अधिकार छीने जा रहे: संघ के वकील
संघ के वकीलों ने अदालत में कहा कि यह आदेश ऐसे समय में जारी किया गया है जब प्रशासन लगातार काम की शर्तों और नियुक्ति नीतियों में बदलाव कर रहा है। यह कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों पर सीधा हमला है। पिछले महीने भी इसी न्यायाधीश ने एक अलग मामले में संघीय कर्मचारियों से सामूहिक सौदेबाजी के अधिकार छीनने पर अस्थायी रोक लगाई थी।