नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फरवरी के दूसरे हफ्ते में अमेरिका के दौरे पर जाने वाले हैं, लेकिन उससे पहले अमेरिका लगातार भारत को झटके दे रहा है। डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद दुनिया में काफी उथल-पुथल मची हुई थी। लेकिन इस मामले पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने से पूरी दुनिया घबराई हुई है, लेकिन भारत का नाम उन देशों में नहीं है, भारत ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से घबराया हुआ नहीं है।
इतना ही नहीं जयशंकर ने यह भी कहा था कि दोनों नेताओं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच अच्छे संबंध हैं और यह भारत के लिए अच्छी खबर है।
लेकिन हालात इसके बिलकुल उलट नज़र आ रहे हैं। बुधवार को जिस तरह से अमेरिका ने अपने सैन्य विमान से 104 भारतीयों को वापस भेजा, उसने बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। इन 104 भारतीयों में से कई ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि उन्हें हाथ-पैर में हथकड़ी लगाकर वापस भेजा गया।
अब सवाल यह उठता है कि भारत सरकार अपने नागरिकों के साथ कैदियों जैसा व्यवहार करने के लिए कैसे तैयार हो गई? भारत सरकार ने यह क्यों नहीं कहा कि उनके लोगों को सैन्य विमानों के बजाय यात्री विमानों से भेजा जाए और उनके साथ मानवीय व्यवहार किया जाए?
ट्रम्प की नियत क्या है?
ऐसे में ट्रंप का प्रधानमंत्री मोदी को न्योता देना क्या संकेत देता है? इस मामले के जानकारों की मानें तो उनका कहना है कि पीएम मोदी को न्योता देने के पीछे ट्रंप का मकसद सिर्फ और सिर्फ कारोबार है। ट्रंप अपने फायदे के लिए भारत के साथ डील कर सकते हैं, लेकिन इस मामले पर भारत का रुख क्या होगा। सवाल यह है कि पीएम मोदी इस यात्रा से अपने साथ क्या लेकर आएंगे?